
शरद पवार (फाइल फोटो)
मुंबई:
शरद पवार और क्रिकेट प्रशासन का दशकों पुराना नाता 6 महीने में खत्म हो जाएगा। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने इस बारे में ऐलान किया। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी के जिन जिन खेलों से भी वे जुड़े हैं उससे भी रिटायरमेंट ले लेंगे।
क्रिकेट प्रशासन छोड़ते हुए, शरद पवार ने खुद को छह महीने की मियाद दी और कहा " 6 महीने का वक्त बहुत होता है शायद उससे पहले ही हम काम पूरा कर लें और उसके बाद हंसते-हंसते अलविदा।'' चुटीले अंदाज में पवार प्रशासकों के लिए 70 साल की मियाद को लेकर पूर्व जजों को अपने तेवर दिखाने से भी नहीं चूके और कहा " सुप्रीम कोर्ट ने जो शिकायतों के निपटारे के लिए पैनल बनाया है, उस मैं देख रहा था, जिसमें जस्टिस आनंद उम्र 79 साल, जस्टिस लाहौटी उम्र 75 साल, जस्टिस नानावटी उम्र 81 साल, जस्टिस सिंह उम्र 74 साल, जस्टिस बालसुब्रमण्यम उम्र 74 साल ... तो यह अच्छा है कानून के बेहतर जानकार अनुभवी लोग हैं।''
शरद पवार ने साफ किया कि वे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान में बदलाव कर, लोढा कमेटी की सिफारिशों को शब्दसह स्वीकारेंगे। बस सिर्फ एक स्टेट एक वोट पर उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से कुछ सफाई लेनी है। पवार ने कहा " हमें एक स्टेट एक वोट का फैसला मंजूर है, लेकिन हमारे यहां तीन एसोसिएशन हैं विदर्भ, महाराष्ट्र और मुंबई। फैसले के मुताबिक हमें बारी-बारी से बीसीसीआई में नुमाइंदगी करनी है। लेकिन जब जिसकी बारी आएगी उसे अपनी सीमा से बाहर भी खिलाड़ियों का चयन करना होगा।"
76 साल के शरद पवार 2010 से 2012 तक आईसीसी के अध्यक्ष रहे और 2005 से 2008 तक वे बीसीसीआई के सर्वेसर्वा रहे। उन्होंने तकरीबन डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त तक मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की कमान संभाली। वैसे लोढा कमेटी के फैसले के बाद देश के कई क्रिकेट संघों का स्वरूप हमेशा हमेशा के लिए बदल जाएगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बीसीसीआई को अपने अधिकारियों के लिए 70 साल की उम्र सीमा तय करनी होगी। इस अहम फैसले के बाद मुंबई क्रिकेट संघ के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि शरद पवार का यह बयान तब आया है जब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आरएम लोढ़ा के बीसीसीआई में सुधार के ज्यादातर सुझावों को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का भी ध्यान रखा कि बीसीसीआई की आर्थिक हालत कमजोर न हो, लेकिन सिस्टम में क्लीनअप के सभी सुझावों को मंजूरी दे दी गई। अब इन सभी सुझावों को बीसीसीआई को छह महीने के भीतर लागू करना है और इसकी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आरएम लोढ़ा को ही दी है। कमेटी की पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। लोढ़ा समिति का सबसे अहम सुझाव है कि एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा।
क्रिकेट प्रशासन छोड़ते हुए, शरद पवार ने खुद को छह महीने की मियाद दी और कहा " 6 महीने का वक्त बहुत होता है शायद उससे पहले ही हम काम पूरा कर लें और उसके बाद हंसते-हंसते अलविदा।'' चुटीले अंदाज में पवार प्रशासकों के लिए 70 साल की मियाद को लेकर पूर्व जजों को अपने तेवर दिखाने से भी नहीं चूके और कहा " सुप्रीम कोर्ट ने जो शिकायतों के निपटारे के लिए पैनल बनाया है, उस मैं देख रहा था, जिसमें जस्टिस आनंद उम्र 79 साल, जस्टिस लाहौटी उम्र 75 साल, जस्टिस नानावटी उम्र 81 साल, जस्टिस सिंह उम्र 74 साल, जस्टिस बालसुब्रमण्यम उम्र 74 साल ... तो यह अच्छा है कानून के बेहतर जानकार अनुभवी लोग हैं।''
शरद पवार ने साफ किया कि वे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान में बदलाव कर, लोढा कमेटी की सिफारिशों को शब्दसह स्वीकारेंगे। बस सिर्फ एक स्टेट एक वोट पर उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से कुछ सफाई लेनी है। पवार ने कहा " हमें एक स्टेट एक वोट का फैसला मंजूर है, लेकिन हमारे यहां तीन एसोसिएशन हैं विदर्भ, महाराष्ट्र और मुंबई। फैसले के मुताबिक हमें बारी-बारी से बीसीसीआई में नुमाइंदगी करनी है। लेकिन जब जिसकी बारी आएगी उसे अपनी सीमा से बाहर भी खिलाड़ियों का चयन करना होगा।"
76 साल के शरद पवार 2010 से 2012 तक आईसीसी के अध्यक्ष रहे और 2005 से 2008 तक वे बीसीसीआई के सर्वेसर्वा रहे। उन्होंने तकरीबन डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त तक मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की कमान संभाली। वैसे लोढा कमेटी के फैसले के बाद देश के कई क्रिकेट संघों का स्वरूप हमेशा हमेशा के लिए बदल जाएगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बीसीसीआई को अपने अधिकारियों के लिए 70 साल की उम्र सीमा तय करनी होगी। इस अहम फैसले के बाद मुंबई क्रिकेट संघ के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि शरद पवार का यह बयान तब आया है जब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आरएम लोढ़ा के बीसीसीआई में सुधार के ज्यादातर सुझावों को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का भी ध्यान रखा कि बीसीसीआई की आर्थिक हालत कमजोर न हो, लेकिन सिस्टम में क्लीनअप के सभी सुझावों को मंजूरी दे दी गई। अब इन सभी सुझावों को बीसीसीआई को छह महीने के भीतर लागू करना है और इसकी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आरएम लोढ़ा को ही दी है। कमेटी की पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। लोढ़ा समिति का सबसे अहम सुझाव है कि एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा।
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