
प्यार की कोई जुबान नहीं होती, पता नहीं यह कब हो जाए, यह बात मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) से बेहतर कौन जानता होगा. अंजलि मेहता को पहली बार देखकर ही वह उनके प्यार के सपनों में डूब गए थे. सचिन ने अपनी आत्मकथा और कुछ अहम मौकों पर अंजलि मेहता (अब अंजलि तेंदुलकर) के साथ अपनी मुलाकात के बारे में खुलासा किया है. बेशक सचिन और अंजलि के विवाह को करीब 24 वर्ष हो चुके हैं लेकिन सचिन-अंजलि की जोड़ी के लिए तो मानो हर दिन वेलेंटाइन डे (Valentine day)की तरह है. दोनों का एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव और कैमिस्ट्री गजब की है. बेशक क्रिकेट खेलने के दिनों में पूरी दुनिया सचिन की दीवानी थी लेकिन सचिन तो अंजलि (Anjali Tendulkar) के दीवाने थे. प्यार कभी उम्र, जात-पात का मोहताज नहीं होता. अंजलि पेशे से डॉक्टर हैं और उम्र में सचिन से करीब पांच साल बड़ी हैं. गुजराती मूल के आनंद मेहता की बेटी ने मास्टर ब्लास्टर पर ऐसा जादू किया कि सचिन उनकी 'प्रेमपाश' में कैद हो गए. सचिन ने एक बार बताया था कि वे बैटिंग करते समय नर्वस नहीं होते लेकिन अंजलि को पत्र लिखते समय बेहद नर्वस हो जाते थे.
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बेशक, सचिन को लेकर क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के लिए ही जानते हैं लेकिन अंजलि के अनुसार, उनके पति घर में क्रिकेट के बारे में चर्चा बेहद कम ही करते हैं. वे जब भी घर पर होते हैं, अपना समय पत्नी-बच्चों के साथ मौजमस्ती और बातचीत करके ही बिताते हैं. रिटायरमेंट के बाद समय परिवार के साथ समय बिताने का ज्यादा मौका मिल रहा है. सचिन और अंजलि की मुलाकात 1990 के दौरान हुई थी जब सचिन इंग्लैंड से मैच खेलकर भारत वापिस आ रहे थे. मुम्बई एयरपोर्ट पर ही दोनों की पहली मुलाकात हुई, उस समय अंजली अपनी मां को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंची थीं. उस समय अंजलि की क्रिकेट में बहुत ज्यादा रुचि नहीं थी. बाद में अपने कॉमन फ्रेंड के जरिये इन दोनों की कई मुलाकात हुईं. सचिन स्वभाग से बेहद शर्मीले थे, ऐसे में अंजलि खुद सचिन के घर रिश्ता लेकर गई थी. वे पत्रकार बनकर सचिन के घर पहुंची थीं. कुछ साल रोमांस करने के बाद सचिन ने 1994 में अंजलि के साथ सगाई की और इसके अगले साल विवाह बंधन में बंध गए थे. तेंदुलकर दंपती का बेटा अर्जुन और बेटी सारा है. अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए सचिन बताते हैं कि वह अंजलि को पत्र लिखते थे तो बार-बार इसकी जांच करते रहते थे. खत का जवाब मिलने पर वह अंजलि की 'खूबसूरत' राइटिंग में खो जाया करते थे.
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तेंदुलकर ने मुस्कुराते हुए कहा, क्रिकेट गेंद को हिट करना मेरे लिए नैसर्गिक था, लेकिन मैं अंजलि को पत्र लिखते समय नर्वसनेस में यह जांच करता रहता था कि मैं क्या लिख रहा हूं. सचिन ने एक कार्यक्रम में बताया था, , उन दिनों मोबाइल नहीं हुआ करते थे तथा संचार के एकमात्र साधन लैंडलाइन फोन या पत्र हुआ करते थे. मैंने पत्र लिखने शुरू किए. मैंने अपने माता-पिता को पत्र लिखने से शुरुआत की और बाद में कुछ पत्र (पत्नी) अंजलि के लिए भी लिखे. तेंदुलकर ने कहा कि अमूमन डॉक्टरों की लिखावट साफ-सुथरी नहीं होती, लेकिन पेशे से डॉक्टर अंजलि की लिखावट बहुत सुंदर है, जिसे देखकर कोई भी प्रेरित हो सकता है. सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट की खातिर अंजलि ने अपने जमे हुए डॉक्टरी करियर को छोड़ दिया.
वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट को अलविदा कहते हुए सचिन जब विदाई भाषण दे रहे थे तो अंजलि की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. सन ग्लासेस के जरिये वे इन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थीं. क्रिकेट के प्रति सचिन की दीवानगी का जिक्र करते हुए अंजलि ने कहा था, 'मैं सचिन के बिना क्रिकेट की कल्पना तो कर सकती है, लेकिन क्रिकेट के बिना सचिन की कल्पना कर पाना असंभव है.मैं नहीं जानती कि क्रिकेट के बाद उनके जीवन में कौन सी चीज जगह बनाएगी.' अंजलि ने यह भी बताया था कि वानखेड़े स्टेडियम में अपने करियर के 200वें टेस्ट के बाद संन्यास के फैसले और आगे के भविष्य के बारे में सचिन ने उनसे चर्चा की थी. अंजलि ने कहा, सचिन हमेशा कहते रहे कि जिस दिन उन्हें लगेगा कि वह अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं, तो यह वक्त (संन्यास का) होगा...एक दिन उन्होंने मुझसे कहा और फैसला कर लिया.
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