
सचिन तेंदुलकर ने रणजी में बड़े बदलाव का सुझाव दिया है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत का घरेलू क्रिकेट जब बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है तब महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शनिवार को सुझाव दिया कि रणजी ट्रॉफी का प्रत्येक मैच दो अलग-अलग पिचों पर खेला जाना चाहिए, जिससे कि विदेशी दौरों के लिए बेहतर टेस्ट टीम तैयार की जा सके.
द्विपक्षीय सीरीज को अधिक रोमांचक बनाने के लिए भी तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि दोनों टीमों के बीच घरेलू और विदेशी सरजमीं के आधार पर लगातार दो सीरीज होनी चाहिए, जिससे कि अलग अलग हालात में दोनों टीमों की मजबूती का आकलन हो.
एक ही रणजी मैच में दो पिचों का तेंदुलकर का सुझाव लोगों को हालांकि अधिक रोमांचक लगा. सचिन तेंदुलकर ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ के दौरान कहा, ‘‘मैंने रणजी ट्रॉफी में तटस्थ स्थानों (इस सत्र में जिस पर परीक्षण हो रहा है) के बारे में काफी सोच विचार किया. मेरे पास एक सुझाव है. जब हम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका जैसे स्थानों पर जाते हैं तो कूकाबूरा गेंदों से खेलते हैं जो शुरू में स्विंग करती हैं. ऐसे में उस युवा रणजी बल्लेबाज के बारे में सोचिए जो भारत में एसजी टेस्ट गेंद से खेलता है और इसके बाद विदेशों में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा करते हैं पहली पारी कूकाबूरा गेंद से घसियाली पिचों पर कराते हैं जिससे सलामी बल्लेबाजों को चुनौती मिलेगी. यहां तक कि गेंदबाजों को मदद मिलेगी. हमारे स्पिनर भी घसियाली पिचों पर कूकाबूरा गेंद से गेंदबाजी सीखेंगे.’’
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘इस घसियाली पिच के साथ ही दूसरी पिच होनी चाहिए जो पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल हो. दूसरी पारी इस पिच पर एसजी टेस्ट गेंद से खेली जानी चाहिए, जिससे हमारेगेंदबाजों को स्तरीय स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ खेलने में भी मदद मिलेगी. हम विदेशी हालात में तेज गेंदबाजी को खेलने में काफी ध्यान लगाते हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्पिन गेंदबाजी को कैसे खेलें.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मत भूलिए कि विदेशी टीमें भी भारत में हमारे से हार रही हैं. शायद वे अपने घरेलू मैचों में एसजी गेंदों का इस्तेमाल शुरू कर दें.’’ तेंदुलकर ने कहा कि दो पारियां दो पिचों पर खेलने से क्यूरेटर टीम के अनुकूल पिच तैयार नहीं कर पाएंगे और साथ ही टॉस की भूमिका भी सीमित हो जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘‘कप्तान सोचने लगेगा कि टॉस जीतकर उसे पहले बैटिंग चुनने के अधिकार से सिर्फ 10 प्रतिशत ही फायदा मिलेगा लेकिन अगर वह घसियाली पिच पर पहले गेंदबाजी चुनता है तो उसे याद रखना चाहिए कि उसे चौथी पारी में स्पिन की अनुकूल पिच पर खेलना होगा.’’ तेंदुलकर जब यह सुझाव दे रहे थे तो दर्शकों के बीच बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे.
टेस्ट क्रिकेट में घटते दर्शकों के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने इसके लिए लंबे प्रारूप में प्रतिद्वंद्विता की कमी और टी20 क्रिकेट को जिम्मेदार ठहराया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
द्विपक्षीय सीरीज को अधिक रोमांचक बनाने के लिए भी तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि दोनों टीमों के बीच घरेलू और विदेशी सरजमीं के आधार पर लगातार दो सीरीज होनी चाहिए, जिससे कि अलग अलग हालात में दोनों टीमों की मजबूती का आकलन हो.
एक ही रणजी मैच में दो पिचों का तेंदुलकर का सुझाव लोगों को हालांकि अधिक रोमांचक लगा. सचिन तेंदुलकर ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ के दौरान कहा, ‘‘मैंने रणजी ट्रॉफी में तटस्थ स्थानों (इस सत्र में जिस पर परीक्षण हो रहा है) के बारे में काफी सोच विचार किया. मेरे पास एक सुझाव है. जब हम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका जैसे स्थानों पर जाते हैं तो कूकाबूरा गेंदों से खेलते हैं जो शुरू में स्विंग करती हैं. ऐसे में उस युवा रणजी बल्लेबाज के बारे में सोचिए जो भारत में एसजी टेस्ट गेंद से खेलता है और इसके बाद विदेशों में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा करते हैं पहली पारी कूकाबूरा गेंद से घसियाली पिचों पर कराते हैं जिससे सलामी बल्लेबाजों को चुनौती मिलेगी. यहां तक कि गेंदबाजों को मदद मिलेगी. हमारे स्पिनर भी घसियाली पिचों पर कूकाबूरा गेंद से गेंदबाजी सीखेंगे.’’
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘इस घसियाली पिच के साथ ही दूसरी पिच होनी चाहिए जो पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल हो. दूसरी पारी इस पिच पर एसजी टेस्ट गेंद से खेली जानी चाहिए, जिससे हमारेगेंदबाजों को स्तरीय स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ खेलने में भी मदद मिलेगी. हम विदेशी हालात में तेज गेंदबाजी को खेलने में काफी ध्यान लगाते हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्पिन गेंदबाजी को कैसे खेलें.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मत भूलिए कि विदेशी टीमें भी भारत में हमारे से हार रही हैं. शायद वे अपने घरेलू मैचों में एसजी गेंदों का इस्तेमाल शुरू कर दें.’’ तेंदुलकर ने कहा कि दो पारियां दो पिचों पर खेलने से क्यूरेटर टीम के अनुकूल पिच तैयार नहीं कर पाएंगे और साथ ही टॉस की भूमिका भी सीमित हो जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘‘कप्तान सोचने लगेगा कि टॉस जीतकर उसे पहले बैटिंग चुनने के अधिकार से सिर्फ 10 प्रतिशत ही फायदा मिलेगा लेकिन अगर वह घसियाली पिच पर पहले गेंदबाजी चुनता है तो उसे याद रखना चाहिए कि उसे चौथी पारी में स्पिन की अनुकूल पिच पर खेलना होगा.’’ तेंदुलकर जब यह सुझाव दे रहे थे तो दर्शकों के बीच बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे.
टेस्ट क्रिकेट में घटते दर्शकों के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने इसके लिए लंबे प्रारूप में प्रतिद्वंद्विता की कमी और टी20 क्रिकेट को जिम्मेदार ठहराया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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