
भारतीय टीम जब 2005 वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंची थी तब भी मिताली ही कप्तान थीं (फाइल फोटो)
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2005 में भी फाइनल में पहुंची थी भारतीय महिला टीम
उस समय भी मिताली राज ही थीं टीम की कप्तान
दो वर्ल्डकप फाइनल में कप्तानी करने वाली पहली खिलाड़ी बनेंगी
आखिरी 25 गेंदों पर कौर ने बनाए 71 रन : सेमीफाइनल मैच में हरमनप्रीत कौर की करिश्माई बल्लेबाजी के सामने ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाज़ असहाय नज़र आईं. जब भारत का स्कोर 35 रन था तब टीम ने अपना दूसरा विकेट गवां दिया. फिर हरमनप्रीत बल्लेबाजी करने के लिए आईं. अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए उन्होंने 64 गेंदों का सहारा लिया और 90 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया. आखिरी 71 रन बनाने के लिए हरमनप्रीत ने सिर्फ 25 गेंदों का सामना किया. उन्होंने कुल मिलाकर 115 गेंदों का सामना करते 171 रन बनाए जिसमें 20 चौके और सात छक्के शामिल थे. भारत के हरमनप्रीत कौर ने अपने नाम कई रिकॉर्ड कायम करने में सफल हुए हैं.
महिला वर्ल्डकप नॉकआउट मैच में सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड: महिला वर्ल्डकप के नॉक आउट स्टेज में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत रन बनाने के मामले में हरमनप्रीत पहले स्थान पर पहुंच गई हैं. भारत की तरफ से वर्ल्डकप मैच में सबसे ज्यादा निजी स्कोर बनाने के मामले में भी हरमनप्रीत पहले स्थान पर पहुंच गई हैं. महिला वर्ल्डकप में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा शतक मारने के मामले में हरमनप्रीत कौर पहले स्थान पर हैं. कौर ने 18 मैच खेलते हुए दो शतक ठोके हैं जबकि कप्तान मिताली राज दूसरे स्थान पर हैं. मिताली ने 30 मैच खेलकर दो शतक मारने में कामयाब हुई हैं.
कपिल,सौरव और धोनी को पीछे छोड़ देंगी मिताली : अब लॉर्ड्स के मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच फाइनल मैच खेला जाएगा. भारत के तरफ से मिताली राज ऐसी पहली कप्तान होगी जो दो वर्ल्डकप फाइनल में कप्तानी का गौरव हासिल करेंगी. 2005 में भी भारत महिला वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंचा था और तब भी मिताली कप्तान थीं. आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है जब भारत के किसी पुरुष या महिला क्रिकेटर ने वर्ल्डकप के दो या दो से ज्यादा फाइनल में कप्तानी करने का गौरव हासिल किया हो. 1983 में भारत की पुरुष टीम पहली बार वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची था तब कपिल देव कप्तान थे.
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एक लो स्कोरिंग मैच में वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर भारत पहली बार वर्ल्डकप जीतने का गौरव हासिल किया था. 2003 में भारत ने दूसरी बार सौरव गांगुली के कप्तानी में पुरुष वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंचने का गौरव हासिल किया था लेकिन वह चैंपियन नहीं बन पाया था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच को भारत 125 रन से हार गया था. 2011 के वर्ल्डकप के फाइनल में भी भारतीय टीम पहुंचीं थी तब महेंद्र सिंह धोनी के कप्तानी में उसने श्रीलंका को छह विकेट से हराकर दूसरी बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था.
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