पिछले साल जिम्बाब्वे के खिलाफ T20 में एमएस धोनी की आंख में चोट लग गई थी (फाइल फोटो)
लंदन:
क्रिकेट के मैदान पर कई खिलाड़ियों को गंभीर चोटों की वजह से यह खेल छोड़ना पड़ा है, वहीं कुछ को जान भी गंवानी पड़ी है. आपको बल्लेबाज फिलिप ह्यूज तो याद होंगे ही, जिनकी सिर के पीछे गेंद लगने से मौत हो गई थी. बल्लेबाजों के साथ-साथ फील्डरों खासतौर से विकेटकीपरों को इसका सबसे अधिक खतरा होता है, क्योंकि कई बार उनको विकेट से चिपककर खड़ा होना पड़ता है. ऐसे में गेंद या गिल्ली के उछलकर उनकी आंखों या अन्य अंगों में लगने का जोखिम भी रहता है. इस तरह की चोटों से भारत के सबा करीम और एमएस धोनी के साथ ही कई क्रिकेटर प्रभावित हो चुके हैं, इसीलिए विकेटकीपरों को मैच के दौरान गिल्ली से लगने वाली गंभीर चोटों से बचाने के लिए अब मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) एक खास उपाय करने जा रहा है...
विकेटकीपरों को लगने वाली चोटों का संज्ञान लेते हुए एमसीसी ने नियम 8.3 में बदलाव करने का फैसला किया है. क्लब ने ‘टीथर वाली बेल’ के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है जिससे स्टंप उखड़ने के समय बेल की दूरी सीमित हो जाएगी. इसके लिए दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन की दो कंपनियों ने अपने डिजाइन सौंपे हैं जिसमें टीथर लीग बेल होंगी, लेकिन इससे बेल गिरने की तेजी और रफ्तार में कोई बदलाव नहीं होगा.
एमसीसी के नियम संबंधित मैनेजर फ्रेजर स्टेवार्ट ने कहा, ‘अगर इससे किसी खिलाड़ी की आंख की रोशनी जाने से बचती है तो इस पर विचार करना महत्वपूर्ण था.’ उन्होंने कहा, ‘कंपनियां अब भी इस पर काम कर रही हैं इसलिये काम भी चल रहा है लेकिन एमसीसी ने नियमों में इस तरह के उपकरण (टीथर वाली बेल) को अनुमति दे दी है. इसके बाद इसके इस्तेमाल की अनुमति देना संचालन संस्था पर निर्भर करता है. ’
ये विकेटकीपर हो चुके हैं चोटिल
मार्क बाउचर को 2012 में दक्षिण अफ्रीका के इंग्लैंड दौरे पर शुरुआती मैच के दौरान बाईं आंख में गंभीर चोट लगी थी जब बेल उखड़कर उनकी आंख में लग गई थी. इसके बाद उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी और आखिर में संन्यास लेना पड़ा था.
भारत के पूर्व विकेटकीपर सबा करीम का करियर भी इसी तरह की चोट के कारण खत्म हो गया था. उन्हें 2000 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप मुकाबले में इसी तरह की चोट लगी थी. अनिल कुंबले की गेंद से बेल उखड़कर बल्लेबाज के जूते से लगकर करीम की दाईं आंख में लग गई थी.
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की भी दायीं आंख में पिछले साल जिम्बाब्वे के खिलाफ अंतिम टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान बड़ा शाट खेलने की कोशिश में बेल लग गई थी.
विकेटकीपरों को लगने वाली चोटों का संज्ञान लेते हुए एमसीसी ने नियम 8.3 में बदलाव करने का फैसला किया है. क्लब ने ‘टीथर वाली बेल’ के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है जिससे स्टंप उखड़ने के समय बेल की दूरी सीमित हो जाएगी. इसके लिए दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन की दो कंपनियों ने अपने डिजाइन सौंपे हैं जिसमें टीथर लीग बेल होंगी, लेकिन इससे बेल गिरने की तेजी और रफ्तार में कोई बदलाव नहीं होगा.
एमसीसी के नियम संबंधित मैनेजर फ्रेजर स्टेवार्ट ने कहा, ‘अगर इससे किसी खिलाड़ी की आंख की रोशनी जाने से बचती है तो इस पर विचार करना महत्वपूर्ण था.’ उन्होंने कहा, ‘कंपनियां अब भी इस पर काम कर रही हैं इसलिये काम भी चल रहा है लेकिन एमसीसी ने नियमों में इस तरह के उपकरण (टीथर वाली बेल) को अनुमति दे दी है. इसके बाद इसके इस्तेमाल की अनुमति देना संचालन संस्था पर निर्भर करता है. ’
ये विकेटकीपर हो चुके हैं चोटिल
मार्क बाउचर को 2012 में दक्षिण अफ्रीका के इंग्लैंड दौरे पर शुरुआती मैच के दौरान बाईं आंख में गंभीर चोट लगी थी जब बेल उखड़कर उनकी आंख में लग गई थी. इसके बाद उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी और आखिर में संन्यास लेना पड़ा था.
भारत के पूर्व विकेटकीपर सबा करीम का करियर भी इसी तरह की चोट के कारण खत्म हो गया था. उन्हें 2000 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप मुकाबले में इसी तरह की चोट लगी थी. अनिल कुंबले की गेंद से बेल उखड़कर बल्लेबाज के जूते से लगकर करीम की दाईं आंख में लग गई थी.
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की भी दायीं आंख में पिछले साल जिम्बाब्वे के खिलाफ अंतिम टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान बड़ा शाट खेलने की कोशिश में बेल लग गई थी.
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