यह ख़बर 08 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत-इंग्लैंड सीरीज : किन-किन से है अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद

खास बातें

  • भारत−इंग्लैंड के बीच सीरीज़ में जहां केविन पीटरसन को अपने साथी खिलाड़ियों से तालमेल बिठाना एक बड़ी चुनौती होगी, वहीं दोनों टीमों में ऐसे कई चेहरे हैं जिनपर अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा।
नई दिल्ली:

भारत−इंग्लैंड के बीच सीरीज़ में जहां केविन पीटरसन को अपने साथी खिलाड़ियों से तालमेल बिठाना एक बड़ी चुनौती होगी, वहीं दोनों टीमों में ऐसे कई चेहरे हैं जिनपर अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा। चाहे वह युवराज सिंह हो या फिर इंग्लैंड के स्पिनर ग्रेम स्वॉन।
 
युवराज सिंह
 क्रिकेट में चमत्कार होते हैं। कभी जीत हार में बदल जाती है तो कभी एक खिलाड़ी सिर्फ़ अपने दम पर हार के मुंह से जीत छीन लेता है। कुछ ऐसी ही कहानी युवराज सिंह की है। कैंसर से जंग लड़ रहे युवी की वापसी कब होगी, कैसे होगी, क्या युवी पहले की तरह एक मैच विनर खिलाड़ी की भूमिका निभा पाएंगे, ऐसे कई सवालों की गूंज युवी के कानों से होकर गुजरी।
 
मां का आशीर्वाद और फ़ैन्स के प्यार की बदौलत युवी ने ज़िंदगी की जंग जीत ली और वापसी की। प्रदर्शन पर सवाल उठते रहे, लेकिन पंजाब के शेर ने हार ना मानने की ठान ली। मैच दर मैच बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में युवी का वही पुराना जोश और जज़्बा देखने को मिला। उम्मीद है इंग्लैंड सीरीज़ में युवी ज़ोरदार प्रदर्शन कर अपने बचे हुए आलोचकों के मुंह पर ताले लगाने में कामयाब होंगे।
 
हरभजन सिंह और आर अश्विन
हरभजन सिंह और आर अश्विन, दो ऐसे चेहरे हैं जो भारतीय पिचों पर किसी तूफ़ान से कम नहीं। इंग्लैंड सीरीज़ में इनकी टक्कर विरोधी बल्लेबाज़ों से कम और एक−दूसरे से ज़्यादा होगी।
आउट ऑफ़ फ़ॉर्म भज्जी को तलाश है एक अच्छे प्रदर्शन की, जो उन्हें फिर टीम इंडिया का चहेता बना दे। दूसरी तरफ हाल के दिनों में आर अश्विन ने कप्तान और सेलेक्टर्स का भरोसा जीत कर अपनी जगह बना ली है। ऐसे में दोनों के लिए यह सीरीज़ काफी अहम हैं।

इयन बेल
 इंग्लिश टीम को ठोस शुरुआत देने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी इस बल्लेबाज़ के कंधों पर होगी। टेस्ट में 16 शतक लगा चुके इयन बेल भारत के इंग्लैंड दौरे पर एक शतक और एक दोहरा शतक जमाकर अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं, लेकिन उनका असली इम्तिहान भारतीय स्पिनरों के ख़िलाफ़ भारतीय पिचों पर होगा।

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हालांकि, बेल 2006 और 2008 में भारत में खेल चुके हैं, लेकिन उस वक्त उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा था।
 
ग्रेम स्वॉन
स्पिन डिपार्टमेंट में इंग्लैंड पूरी तरह से ग्रेम स्वॉन पर निर्भर है। इंग्लिश टीम को कोई भारतीय बल्लेबाज़ों के क़हर से बचा सकता है तो वह इकलौते स्वॉन हैं। 2008 में चेन्नई टेस्ट में इस गेंदबाज़ ने राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे बल्लेबाज़ों को अपनी फिरकी के जाल में फांसकर अपने टेस्ट करियर का आग़ाज किया। 46 टेस्ट में 192 विकेट ले चुके स्वॉन से टीम को काफी उम्मीद है।
 
 समित पटेल
 सिर्फ़ दो टेस्ट मैच पुराने समित पटेल ने अभ्यास मैच में अपनी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी से सबको प्रभावित किया। भारतीय पिचों पर कैसे टिककर रन बटोरा जाए यह इस बल्लेबाज़ को बखूबी पता है। अगर पटेल को मौका मिलता हो तो वह टीम इंडिया के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।