शिखर धवन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना होने से पहले आज टीम इंडिया बेंगलुरु में अपना आखिरी अभ्यास मैच खेलेगी। यह दौरा कई खिलाड़ियों के लिए खास मौका लेकर आएगा। टेस्ट टीम में गिनेचुने खिलाड़ियों को छोड़ किसी की जगह पक्की नहीं कही जा सकती, ऐसे में यह दौरा कुछ खिलाड़ियों के लिए अपनी जगह को पक्का करने का काम कर सकता है। हर खिलाड़ी अपनी कमजोरी पर काम कर रहा है ताकि नए सीजन की शुरुआत जीत के साथ ही कर पाए। अच्छे प्रदर्शन का मतलब होगा टीम में जगह पक्का होना इसीलिए कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो वेस्टइंडीज़ दौरे को टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की करना का एक बेहतरीन मौका भी मानते हैं।
शिखर धवन : बतौर सलामी बल्लेबाज़ ऑफ़-स्टंप के बाहर शिखर की कमज़ोरी पिछले टेस्ट सीज़न में खुलकर सामने आई। उस पर लोकेश राहुल के फ़ॉर्म में आने का मतलब है कि धवन पर अपनी जगह बचाने का दबाव है। शिखर ने बेंगलुरु में हुए कैंप में अपनी कमजोरियों पर काफी काम किया और उम्मीद है कि नतीजे कैरेबियाई दौरे पर नज़र आएंगे।
चेतेश्वर पुजारा : किसी जमाने में टीम इंडिया की नई दीवार माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा की जगह इस टीम में बदलती रही है। ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उनकी तकनीक में खामियां नज़र आईं और वह क्लीन बोल्ड होते रहे, लेकिन श्रीलंका दौरे पर उन्होंने अच्छा प्रदर्शन दिखाया और टीम में बने रहे, लेकिन अभी भी वह कहां बल्लेबाजी करेंगे यह तय नहीं है। जाहिर है कि पुजारा भी अच्छे प्रदर्शन से खुद पर उठे सवालों का जवाब देना चाहेंगे।
रोहित शर्मा : अभी तक यह खिलाड़ी टेस्ट टीम में अपनी जगह क्यों नहीं बना पाया है यह किसी की समझ में नहीं आता। वनडे में टीम इंडिया का अहम हिस्सा रहा यह खिलाड़ी टेस्ट मैचों में अपनी तकनीक नहीं बल्कि अपने टेंपरामेंट की वजह से परेशान है। कभी नंबर 3 तो कभी नंबर 6 पर उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका मिलता है, लेकिन विकेट पर टिकने की कला को उन्हें निखारना ही होगा।
अमित मिश्रा : अनिल कुंबले के कोच बनने से सबसे ज़्यादा फायदा अमिता मिश्रा को हो सकता है। धोनी की कप्तानी में हमेशा नजरअंदाज होते रहे अमित मिश्रा को उम्मीद है कि कोहली के राज में उन्हें जडेजा पर तरजीह दी जाएगी और वह इस टीम का खास हिस्सा बन पाएंगे।
भुवनेश्वर कुमार : नई गेंद से ईशांत शर्मा का साथ कौन देगा? धोनी भुवनेश्वर कुमार को पसंद करते थे, लेकिन कोहली गति के मामले में उमेश और वरुण एरॉन को तरजीह देते रहे हैं। वेस्टइंडीज़ दौरे पर भुवी को पिचों से कितनी मदद मिलेगी यह कह पाना मुश्किल है लेकिन इस दौरे पर वह अपना बेस्ट प्रदर्शन कर टेस्ट टीम में जगह पक्की जरूर करना चाहेंगे।
शिखर धवन : बतौर सलामी बल्लेबाज़ ऑफ़-स्टंप के बाहर शिखर की कमज़ोरी पिछले टेस्ट सीज़न में खुलकर सामने आई। उस पर लोकेश राहुल के फ़ॉर्म में आने का मतलब है कि धवन पर अपनी जगह बचाने का दबाव है। शिखर ने बेंगलुरु में हुए कैंप में अपनी कमजोरियों पर काफी काम किया और उम्मीद है कि नतीजे कैरेबियाई दौरे पर नज़र आएंगे।
चेतेश्वर पुजारा : किसी जमाने में टीम इंडिया की नई दीवार माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा की जगह इस टीम में बदलती रही है। ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उनकी तकनीक में खामियां नज़र आईं और वह क्लीन बोल्ड होते रहे, लेकिन श्रीलंका दौरे पर उन्होंने अच्छा प्रदर्शन दिखाया और टीम में बने रहे, लेकिन अभी भी वह कहां बल्लेबाजी करेंगे यह तय नहीं है। जाहिर है कि पुजारा भी अच्छे प्रदर्शन से खुद पर उठे सवालों का जवाब देना चाहेंगे।
रोहित शर्मा : अभी तक यह खिलाड़ी टेस्ट टीम में अपनी जगह क्यों नहीं बना पाया है यह किसी की समझ में नहीं आता। वनडे में टीम इंडिया का अहम हिस्सा रहा यह खिलाड़ी टेस्ट मैचों में अपनी तकनीक नहीं बल्कि अपने टेंपरामेंट की वजह से परेशान है। कभी नंबर 3 तो कभी नंबर 6 पर उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका मिलता है, लेकिन विकेट पर टिकने की कला को उन्हें निखारना ही होगा।
अमित मिश्रा : अनिल कुंबले के कोच बनने से सबसे ज़्यादा फायदा अमिता मिश्रा को हो सकता है। धोनी की कप्तानी में हमेशा नजरअंदाज होते रहे अमित मिश्रा को उम्मीद है कि कोहली के राज में उन्हें जडेजा पर तरजीह दी जाएगी और वह इस टीम का खास हिस्सा बन पाएंगे।
भुवनेश्वर कुमार : नई गेंद से ईशांत शर्मा का साथ कौन देगा? धोनी भुवनेश्वर कुमार को पसंद करते थे, लेकिन कोहली गति के मामले में उमेश और वरुण एरॉन को तरजीह देते रहे हैं। वेस्टइंडीज़ दौरे पर भुवी को पिचों से कितनी मदद मिलेगी यह कह पाना मुश्किल है लेकिन इस दौरे पर वह अपना बेस्ट प्रदर्शन कर टेस्ट टीम में जगह पक्की जरूर करना चाहेंगे।
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