बीसीसीआई का लोगो
नई दिल्ली:
नामी-गिरामी कंपनियां बीसीसीआई की द्विपक्षीय और बाकी सीरीजों के अगले पांच साल के प्रसारण और डिजिटल अधिकार हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त हैं. लेकिन इन कंपनियों को बीसीसीआई की एक बात ने बहुत ही ज्यादा खफा कर दिया है. इन कंपनियों ने बीसीसीआई को लिखकर अपना पक्ष सामने रखा है, जो प्रथम दृष्ट्या एकदम सही नजर आता है.
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वैसे प्रसारक कंपनियों की एक चिंता यह भी है कि भारत ने आखिरी बार साल 2003-04 में टीवीएस कप ट्राई सीरीज का आयोजन किया था. और अगर आईसीसी के एफटीपी (प्यूचर टूर प्रोग्राम) पर नजर डालें, तो भारत दूर-दूर तक ट्राई सीरीज का आयोजन नहीं कर रहा है. मतलब यह कि एक तरफ ट्राई सीरीज के आयोजन की कोई संभावना नहीं है, लेकिन बोर्ड ने बोली में रकम को जोड़ दिया है. जाहिर है कि कोई भी कंपनी चिंता करेगी.
लेकिन इन कंपनियों की नारजगी की असल वजह कुछ और ही है. और यह वजह दो सौ फीसदी जायज है. आपको बता दें कि अगले पांच साल के लिए टेलीविजन प्रसारण अधिकारों के लिए प्रति इंटरनेशनल मैच का आधार मूल्य 35 करोड़ रुपये है. यह अगले पांच साल के लिए है. वहीं, डिजिटल अधिकार के तहत पहले पांच साल के लिए प्रति मैच आधार मूल्य 8 करोड़, तो इसके बाद अगले चार साल के लिए प्रति मैच आधार मूल्य 4 करोड़ रुपये है.दरअसल बोली लगाने वाली कंपनियों का कहना है कि भारत के साथ द्विपक्षीय सीरीज के मैचों और ट्राई सीरीज में बाकी मैचों की प्रसारण रकम समान रखी गई है.
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उदाहरण के तौर पर अगर भारत बांग्लादेश और श्रीलंका की भागीदारी वाली ट्राई सीरीज का आयोजन करता है, तो इस सूरत में कंपनियों का तर्क है कि जो पैसा वह भारत-श्रीलंका, या भारत-बांग्लादेश मैच के लिए देंगे, तो वह वही समान रकम श्रीलंका-बांग्लादेश मैच के लिए क्यों दें. जाहिर है बात में बहुत ज्यादा दम है. साफ है कि जब दूसरी टीमों का मैच होगा, दर्शकों और विज्ञापन की संख्या के साथ-साथ इनके दामों में भी गिरावट होगी. बहरहाल अब देखते हैं कि बीसीसीआई कंपनियों की चिंता का निवारण कैसे करता है.
इन कंपनियों ने बीसीसीआई को दो टीमों या दो से ज्यादा टीमों की भागीदारी के टूर्नामेंट को लेकर चिट्टी लिखी है. बता दें कि इन बड़ी कंपनियों में इंडियन प्रीमियर लीग के अगले पांच साल के अधिकार खरीदने वाली स्टार स्पोर्ट्स, सोनी सहित कई और नामी-गिरामी कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों में टीम इंडिया के पांच साल के अगरे घरेलू प्रसारण और डिजिटल अधिकार हासिल करने के लिए जबर्दस्त होड़ मची हुई है. लेकिन इन कंपनियों ने टेंडर की शर्त को लेकर आपत्ति दर्ज की है. और साफ तौर पर बोर्ड को पत्र भी लिख दिया है.That's how we end the series on a high! What a night, what a win! #TeamIndia clinch the Nidahas Trophy! pic.twitter.com/mCstu2JdCM
— BCCI (@BCCI) March 18, 2018
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वैसे प्रसारक कंपनियों की एक चिंता यह भी है कि भारत ने आखिरी बार साल 2003-04 में टीवीएस कप ट्राई सीरीज का आयोजन किया था. और अगर आईसीसी के एफटीपी (प्यूचर टूर प्रोग्राम) पर नजर डालें, तो भारत दूर-दूर तक ट्राई सीरीज का आयोजन नहीं कर रहा है. मतलब यह कि एक तरफ ट्राई सीरीज के आयोजन की कोई संभावना नहीं है, लेकिन बोर्ड ने बोली में रकम को जोड़ दिया है. जाहिर है कि कोई भी कंपनी चिंता करेगी.
#ThalaDhoni can't keep calm for he is back home! #WhistlePoduArmy, how are you gearing up to watch @msdhoni don the #CSK yellow again? pic.twitter.com/cwOWQu8NiC
— Star Sports (@StarSportsIndia) April 1, 2018
लेकिन इन कंपनियों की नारजगी की असल वजह कुछ और ही है. और यह वजह दो सौ फीसदी जायज है. आपको बता दें कि अगले पांच साल के लिए टेलीविजन प्रसारण अधिकारों के लिए प्रति इंटरनेशनल मैच का आधार मूल्य 35 करोड़ रुपये है. यह अगले पांच साल के लिए है. वहीं, डिजिटल अधिकार के तहत पहले पांच साल के लिए प्रति मैच आधार मूल्य 8 करोड़, तो इसके बाद अगले चार साल के लिए प्रति मैच आधार मूल्य 4 करोड़ रुपये है.दरअसल बोली लगाने वाली कंपनियों का कहना है कि भारत के साथ द्विपक्षीय सीरीज के मैचों और ट्राई सीरीज में बाकी मैचों की प्रसारण रकम समान रखी गई है.
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उदाहरण के तौर पर अगर भारत बांग्लादेश और श्रीलंका की भागीदारी वाली ट्राई सीरीज का आयोजन करता है, तो इस सूरत में कंपनियों का तर्क है कि जो पैसा वह भारत-श्रीलंका, या भारत-बांग्लादेश मैच के लिए देंगे, तो वह वही समान रकम श्रीलंका-बांग्लादेश मैच के लिए क्यों दें. जाहिर है बात में बहुत ज्यादा दम है. साफ है कि जब दूसरी टीमों का मैच होगा, दर्शकों और विज्ञापन की संख्या के साथ-साथ इनके दामों में भी गिरावट होगी. बहरहाल अब देखते हैं कि बीसीसीआई कंपनियों की चिंता का निवारण कैसे करता है.