यह ख़बर 12 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने का प्रस्ताव

खास बातें

  • खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने का मामला केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष लंबित है और सरकार अपना जवाब सीआईसी को सौंप चुकी है।
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) समेत विभिन्न खेल संघों और परिसंघों को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लाए जाने का प्रस्ताव है।

खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में सदस्यों के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने अप्रैल, 2010 में ही सरकार से एक साल में 10 लाख रुपये या उससे अधिक का अनुदान हासिल करने वाले राष्ट्रीय खेल संघों को आरटीआई की धारा 2 एच के तहत लोक प्राधिकार घोषित कर दिया था। लेकिन बीसीसीआई खुद को लोक प्राधिकार के रूप में घोषित किए जाने से इस आधार पर इनकार करता आया है कि वह सरकार से किसी प्रकार का वित्तीय अनुदान हासिल नहीं करता।

उन्होंने बताया कि बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने का मामला केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष लंबित है और सरकार पहले ही बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने की अपील करते हुए अपना जवाब सीआईसी को सौंप चुकी है। हालांकि मद्रास हाईकोर्ट ने 24 जुलाई, 2013 को इस प्रक्रिया पर स्थगनादेश जारी कर दिया था।

खेलमंत्री ने बताया कि सरकार ने सभी राष्ट्रीय खेल संघों और बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने के लिए राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक, 2013 का मसौदा तैयार कर लिया है। चूंकि इस मसले पर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच वार्ता करना शामिल है, इसलिए विधेयक के लागू होने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई जा सकती।

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उन्होंने इसके साथ ही बताया कि बीसीसीआई एक स्वायत्त इकाई है। हालांकि उसे सरकार द्वारा मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) बीसीसीआई को भारत में क्रिकेट को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए शीर्ष राष्ट्रीय संघ मानती है।