क्या मोदी सरकार ने अब Microsoft और Google से सीधे टक्कर लेने का मन बना लिया है... पढ़ें ये खबर

अब भारत सरकार भी इसमें कूदने का मन ही नहीं बना चुकी बल्कि कूद चुकी है और अपने उत्पाद के साथ जल्द ही बाजार में उतरने वाली है और अंतरराष्ट्रीय आईटी बाजार में तहलका मचाने वाली है. इससे पहले भी भारत सरकार ने भारोस नाम का अपना ओपरेटिंग सिस्टम लाने का ऐलान कर दिया है.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य पर गहरा असर पड़ेगा.

नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कई क्षेत्रों में भारत ने तेजी से प्रगति की है. साथ ही कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी शुरुआत की जो केवल विकसित देशों के अधिकार क्षेत्र माने जाते रहे हैं. ऐसा ही एक क्षेत्र रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई. इस क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट से लेकर गूगल तक जैसी बड़ी कंपनियों का एकाधिकार रहा है. लेकिन अब भारत सरकार भी इसमें कूदने का मन ही नहीं बना चुकी बल्कि कूद चुकी है और अपने उत्पाद के साथ जल्द ही बाजार में उतरने वाली है और अंतरराष्ट्रीय आईटी बाजार में तहलका मचाने वाली है. इससे पहले भी भारत सरकार ने भारोस नाम का अपना ओपरेटिंग सिस्टम लाने का ऐलान कर दिया है. 

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाद कर पाने में सक्षम एआई टूल के संदर्भ में अगले कुछ हफ्तों में एक 'बड़ी घोषणा' के सोमवार को संकेत दिए. अत्याधुनिक एआई टूल ‘चैटजीपीटी' की तरह का टूल भारत में भी विकसित किए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर वैष्णव ने कहा, ‘कुछ हफ्तों तक इंतजार करें, इस बारे में एक बड़ी घोषणा होगी.''

वैष्णव से जब यह पूछा गया कि यह बड़ी घोषणा किस तरह की होगी, तो उन्होंने कहा, ‘इस समय संसद का सत्र चल रहा है लिहाजा मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं.'' उन्होंने इस बारे में आगे कोई भी ब्योरा देने से मना कर दिया. वह ‘इंडिया ग्लोबल फोरम' के कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे. कृत्रिम मेधा (एआई) पर आधारित टूल ‘चैटजीपीटी' इस समय दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह एआई टूल पूछे गए सवालों के विस्तृत एवं काफी हद तक सटीक जवाब देने में सक्षम होने की वजह से तमाम प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए एक अहम पहलू बनकर उभरा है. अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को स्थित एआई कंपनी ओपनएआई ने चैटजीपीटी को विकसित किया है. उपयोग के लिए जारी होने के कुछ सप्ताह में ही इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई है.

अब केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) की विफलता के बाद घरेलू स्टार्टअप की मदद के लिये सरकार ने तत्काल कदम उठाया है. इससे सुनिश्चित हुआ कि उन पर ‘मामूली संकट' का प्रतिकूल असर नहीं पड़े. उन्होंने पूरे स्टार्टअप समुदाय से भारतीय बैंक क्षेत्र को अपना भरोसेमंद साथी मानने का आह्वान किया. वैष्णव ने कृत्रिम मेधा (एआई) और क्वॉन्टम कंप्यूटिंग के क्षेत्रों में भारत के तेजी से उठाये गये कदमों का भी जिक्र किया.

मंत्री ने भारत वैश्विक मंच कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक समय था जब भारत को केवल प्रौद्योगिकी उपभोक्ता के तौर पर देखा जाता था, लेकिन आज कई वैश्विक कंपनियां भारतीय स्टार्टअप, उद्यमियों और शिक्षाविदों को अपने भागीदार के रूप में पसंद करती हैं, क्योंकि इससे प्रौद्योगिकी के विकास पर सकारात्मक असर पड़ता है.

उन्होंने कहा, ‘‘...हम इन दो प्रौद्योगिकियों में भारत और दुनिया के लिये समाधान विकसित करने के लिये भारतीय प्रतिभा का उपयोग करना चाहेंगे.'' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत चैटजीपीटी की तरह कुछ बना सकता है, मंत्री ने कहा, ‘‘कुछ सप्ताह इंतजार कीजिए, बड़ी घोषणा होगी.''

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फोटो : केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये भारत जैसा भरोसेमंद भागीदार महत्वपूर्ण है. वैष्णव के अनुसार, पूरी दुनिया में माना जा रहा है कि भारत को एक प्रमुख सेमीकंडक्टर विनिर्माण गंतव्य के रूप में उभरना चाहिए. सरकार देश में एक जीवंत सेमीकंडक्टर विनिर्माण परिवेश तंत्र सुनिश्चित करने के लिये पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रही है.

मंत्री ने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक के पतन के बाद सरकार उन भारतीय स्टार्टअप को संभालने के लिये तत्काल कदम उठाने शुरू कर दिये जिनकी बैंक में जमा राशि थी.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उस मामूली संकट के लिये तुरंत कदम उठाया और पूरे स्टार्टअप समुदाय के साथ जुड़े. इसके यह सुनिश्चित किया कि जो भी जमा राशि वे भारतीय बैंकों में स्थानांतरित करना चाहते हैं, वह आसानी से हो ... सरकार की विभिन्न इकाइयों के बीच सहयोग से पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से क्रियान्वित किया गया.''

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वैष्णव ने वैश्विक उद्यमियों और नवप्रवर्तकों को देश और दुनिया के लिये विश्वसनीय प्रौद्योगिकी विकसित करने को भारत की बढ़त का लाभ उठाने को कहा. (इनपुट भाषा से)