
- फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट हुई जारी
- भारतीय अर्थव्यवस्था में दिख रही तेजी
RBI Financial Stability Report: आज रिजर्व बैंक (RBI) ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (FSR) जारी कर दी है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के उठाए गए कदमों से देश की अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थिरता आई है. साथ ही कहीं ना कहीं रिस्क भी कम हुआ है. इकोनॉमिक और ट्रेड पॉलिसी में उतार-चढ़ाव वैश्विक अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल सिस्टम के लिए समस्या का विषय बना हुआ है. इसके अलावा बदलती नीति और भू-राजनीतिक के चलते फाइनेंशियल मार्केट की हालत अभी ठीक नहीं है, जिसमें कोर सरकारी बॉन्ड बाजार शामिल है.
'भारतीय इकॉनमी दे रही अहम योगदान'
साथ ही बढ़ते पब्लिक लोन लेवल और हाई एसेट्स वैल्यूएशन से नए झटके मिल सकते हैं. हालांकि अनिश्चित और चुनौतीपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था के बावजूद, भारतीय इकॉनमी वैश्विक विकास के लिए अहम योगदान दे रही है, जिसमें मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक बुनियादी बातें और मैक्रोइकॉनोमिक नीतियां शामिल हैं.
'बैंकों और गैर-बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत'
डोमेस्टिक फाइनेंशियल सिस्टम के जरिए पता चलता है कि बैंकों और गैर-बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत है. वहीं एक अच्छी मौद्रिक नीति और वित्तीय बाजारों में कम उथल-पुथल की वजह से वित्तीय स्थितियां आसान हुई हैं. कॉर्पोरेट बैलेंस शीट की मजबूती एक बड़े लेवल पर आर्थिक स्थिरता के बारे में बताती है.
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक (एससीबी) का कैपिटल बफर, कई समय बाद कम हुए NPA और बढ़ती आय से मजबूत हुआ है. मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के रिजल्ट्स से पता चलता है कि ज्यादातर शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक के पास वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए पर्याप्त पूंजी का बफर मौजूद है.
म्यूचुअल फंड और क्लियरिंग कॉरपोरेशन में भी तेजी देखने को मिली है. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) बड़े पैमाने पर पूंजी बफर, मजबूत आय और बेहतर एसेट्स वैल्यूएशन के साथ आगे जा रहीं हैं. इसके अलावा बीमा सेक्टर का कंसोलिडेटेड सॉल्वेंसी रेश्यो भी मिनिमम लेवल से ऊपर बना हुआ है.
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