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This Article is From Feb 01, 2020

पिछले एक दशक में भारत में इनकम टैक्स स्लैब में कितना हुआ है बदलाव, जाने सरकार ने कब-कब लगाया है सरचार्ज

भारत में इनकम टैक्स के स्लेब में पिछले एक दशक में कई बदलाव देखने को मिले हैं. इनकम टैक्स और राजस्व संग्रहण के बीच सामंजस्य बनाने का प्रयास लगातार अधिकारियों और वित्त मंत्रालय की तरफ की जाती रही है.

पिछले एक दशक में भारत में इनकम टैक्स स्लैब में कितना हुआ है बदलाव, जाने सरकार ने कब-कब लगाया है सरचार्ज
इनकम टैक्स स्लैब में एक दशक में हुए हैं कई बदलाव
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इनकम टैक्स के ढांचे में पिछले एक दशक में कई बदलाव हुए हैं
वर्ष 2010 में 1.6 लाख तक की आय पूर्ण रूप से टैक्स फ्री कर दी गई थी
1 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर 2 प्रतिशत का TDS लगाया गया था
नई दिल्ली:

भारत में इनकम टैक्स के ढांचे में पिछले एक दशक में कई बदलाव देखने को मिले हैं. इनकम टैक्स और राजस्व संग्रहण के बीच सामंजस्य बनाने का प्रयास लगातार अधिकारियों और वित्त मंत्रालय की तरफ से किया जाता रहा है. 2010 से अब तक टैक्स स्लैब में हुए मुख्य बदलावों को हम यहां देख सकते हैं. सरकार की तरफ से बजट में की गई प्रमुख घोषणाएं हर बजट के साथ बदलते रही हैं. हालांकि सरकार बदलने के बाद टैक्स नीतियों में परिवर्तन भी देखने को मिले हैं

बजट 2010-2011 

टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी

  • 1.6 लाख तक की सालाना आय पूर्ण रूप से टैक्स फ्री कर दी गई थी.
  • 1.6 लाख रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा.
  • 5 लाख रुपये से अधिक और 8 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत टैक्स के प्रावधान किया गया.
  • 8 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स के प्रावधान किया गया.

लंबी अवधि के इंफ्रा बॉन्ड में निवेश के लिए 20,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती के लाभ भी दिए गए थे. (कर बचत योजनाओं में 1 लाख रुपये की मौजूदा सीमा के अलावा)

बजट 2011-2012

  • टैक्स स्लैब में व्यक्तिगत करदाताओं के लिए छूट की सीमा 1,60,000 रुपये से बढ़ाकर 1,80,000 रुपये कर दी गई, मतलब छूट सीमा में 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई थी.
  • वरिष्ठ नागरिक की अर्हता की उम्र सीमा को 65 वर्ष से कम कर 60 वर्ष कर दिया गया था.
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर छूट की सीमा 2,40,000 रुपये से बढ़ाकर 2,50,000 रुपये कर दी गई थी, मतलब 10,000 रुपये की छूट बढ़ा दी गई थी.
  • 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 5,00,000 तक के आय को टैक्स फ्री कर दिया गया.

बजट 2012-2013

टैक्स स्लैब में व्यक्तिगत करदाताओं के लिए छूट की सीमा 1,80,000 रुपये से बढ़ाकर 2,00,000 रुपये कर दी गई, मतलब 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई थी.

  • 20 फीसदी टैक्स स्लैब की ऊपरी सीमा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई.
  • 5 लाख से 10 लाख तक के आय पर 20 फीसदी टैक्स के प्रावधान किया गया.
  • 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया गया.
  • बचत बैंक खातों पर मिलने वाले 10,000 रुपये तक के ब्याज की करयोग्य आय से कटौती का प्रावधान किया गया.
  • स्वास्थ्य जांच के लिए 5,000 रुपये तक की कटौती का प्रावधान किया गया.
  • वरिष्ठ नागरिक, जिनकी कोई आय नहीं थी, उन्हें अग्रिम कर भुगतान से छूट दी गई.

बजट 2013-2014
5 लाख रुपये तक की करयोग्य आय वाले व्यक्तियों को 2,000 रुपये का टैक्स क्रेडिट दिया गया.

NDA शासन के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था और टैक्स प्रणाली में परिवर्तन किया गया.

बजट 2014-15

60 वर्ष से कम उम्र वाले करदाताओं के लिए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया.

बजट 2015-2016

इस बजट की मुख्य बात थी कि संपत्ति कर को सरकार ने खत्म कर दिया था. एक करोड़ रुपये से अधिक की आय पर सरचार्ज को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया.

बजट 2016-17

एक करोड़ रुपये से अधिक की आय पर सरचार्ज को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया.

5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर छूट 2,000 रुपये से 5,000 रुपये तक बढ़ा दी गई.

पहली बार होम लोन लेने वालों के लिए ब्याज भुगतान पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती दी गई. (होम लोन लेने वालों के लिए 2 लाख रुपये से अधिक)

बजट 2017-18

2.5 लाख - 5 लाख रुपये की आय पर आयकर दर में 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई.

धारा 87ए के तहत छूट की सीमा 5,000 रुपये से कम कर 2,500 रुपये कर दी गई, 3.5 लाख रुपये तक की आय पर.

50 लाख-1 करोड़ रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लगाया गया.

इस बजट की सबसे प्रमुख बात यह थी कि सरकार ने समय पर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने पर 10,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया था. हालांकि 5 लाख तक की आय पर जुर्माने की रकम 1,000 रुपये ही तय की गई थी. साथ ही वित्त मंत्रालय ने राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश पर मिलने वाली छूट को भी खत्म कर दिया.

बजट 2018-19

इस बजट में सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया. वेतन और पेंशन पाने वालों के लिए सरकार ने एक बार फिर 40,000 रुपये की मानक कटौती की शुरुआत की, जिसके तहत 40,000 रुपये की यह रकम करयोग्य आय में से घटा दी जाएगी.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने बैंक / डाकघर जमा पर करमुक्त ब्याज आय की छूट 10,000 रुपये से बढ़कर 50,000 रुपये कर दी. आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम / चिकित्सा व्यय के लिए कटौती की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई.

बजट 2019-2020 अंतरिम बजट 
2019 चुनावी साल था, इस कारण सरकार अंतरिम बजट ले कर आई थी.

5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को आयकर  में पूरी छूट दे दी गई, और अगर वे 80सी के तहत निवेश करते हैं, तो 6.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.

स्टैंडर्ड डिडक्शन (पिछले वर्ष में पेश किया गया) 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया.

बैंक जमा से मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस की सीमा, डाक बचत को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया.

बजट 2019-20 

प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर 2 प्रतिशत के टीडीएस का प्रावधान किया गया.

प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) में राहत दी गई.

400 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 फीसदी टैक्स ब्रैकेट के भीतर लाया गया.

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