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This Article is From Aug 26, 2017

ब्रो कोहली, वर्ल्ड कप में आपके 'लड़कों' को इस 'आदमी' की ज़रुरत पड़ेगी!

Sanjay Kishore
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 26, 2017 20:44 pm IST
    • Published On अगस्त 26, 2017 11:54 am IST
    • Last Updated On अगस्त 26, 2017 20:44 pm IST
कल मैच देखने बैठ गया. बहुत दिनों बाद हुआ कि टेलीविजन स्क्रीन के सामने से उठ नहीं पाया. आमतौर पर स्पोर्ट्स रिपोर्टर से लोग रश्क करते हैं-क्या नौकरी है! मैच देखने से बेहतर काम क्या हो सकता है!! लेकिन ऐसा नहीं हैं. मैच देखते समय हमारा ध्यान अपनी रिपोर्ट लिखने पर रहता है. रिपोर्टिंग के चश्मे से और शौक-मनोरंजन के लिए मैच देखना दो अलग-अलग बाते हैं.

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बहरहाल कल थोड़ी फ़ुर्सत में था. घड़ी में रात के तक़रीबन 10 बजा चाहते थे. ऑफिस नहीं गया था. लिहाज़ा दफ़्तर की मानसिक और ड्राइविंग की शारीरिक थकावट नहीं थी. थकान के साथ के बिना नींद अकेले कमज़ोर पड़ गया. धावा नहीं बोल पाया. साहबजादों के बीच "हार जाएगा"...."नहीं हारेगा" की बहस हाथापाई में बदलने वाली थी. दोनों के बीच भारत-चीन बॉर्डर की तरह धक्कामक्की चलती रहती है. हालांकि भारत-पाक बॉर्डर वाली नौबत नहीं आती है. 

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तभी भारतीय कप्तान विराट कोहली आउट हो गए. उसी ओवर में दो गेंद पहले केदार जाधव पैवेलियन लौट चुके थे. कोहली के जाने के दो गेंद बाद केएल राहुल भी गए. एक ही ओवर में तीन बल्लेबाज़ आउट. सीरीज़ में पहली बार जान नज़र आयी.

"अभी हार्दिक पांड्या है. अक्षर पटेल भी बैटिंग कर लेता है." 

बच्चों की उम्मीदें बड़ी होती हैं. जल्दी टूटती नहीं.

10 मिनट के अंदर हार्दिक पांड्या और अक्षर पटेल भी उसी अकिला धनंजय के शिकार हो गए जिसने जाधव, कोहली और राहुल को एक ही ओवर में लपेट दिया था.

"बंद कर दो टीवी!" छोटे साहबजादे के लिए वैसे भी ओवरटाइम हो रहा था। 10 बजते-बजते सो जाते हैं.

टीवी बंद करने की बात से मुझे एक बात याद आ गई. सत्तर का दशक होगा. तब घर-घर में टेलीविजन नहीं हुआ करता था. हम रेडियो पर कॉमेंट्री सुना करते थे. उस जमाने में टेस्ट 6 दिन का होता था. एक दिन रेस्ट-डे होता था. आज की तरह साल भर मैच नहीं खेले जाते थे. क्रिकेट की दीवानगी इतनी थी कि जब भारत का मैच नहीं हो रहा होता तो पाकिस्तान के मैच की कॉमेंट्री सुनते थे. इसके लिए काफ़ी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. शॉर्ट वेव पर रेडियो पाकिस्तान को ढूंढना आसान नहीं होता था. रेडियो को लेकर सही सिग्नल के लिए लोकेशन ढ़ूंढ़नी पड़ती थी. फिर भी लहरिया कॉमेंट्री से काम चलाना पड़ता था. लहरिया कॉमेंट्री मतलब आवाज़ आती थी जाती थी. बहरहाल उनकी कॉमेंट्री सुनकर बहुत सारे उर्दू शब्द सीखे. मजेदार बात ये होती थी कि जब पाकिस्तान की टीम हारने लगती थी तब वे कॉमेंट्री बंद कर देते थे.

मैने टीवी बंद नहीं किया. छोटे पहले ही सो चुके थे. बड़े को पढ़ाई के समय कोई 'ऑम्बियॉन्स' चाहिए होता है। टीवी की आवाज़ उसे परेशान नहीं करती. मैच जारी था. जीत और हार से ज़्यादा दिलचस्पी मुझे ये देखने में थी कि महेंद्र सिंह धोनी कितने फ़िट हैं. आज क्या करते हैं? फ़िनिशर की भूमिका निभा पाते हैं या नहीं? विकेट के पतझड़ को रोक पाते हैं या नहीं? दूसरे छोर के बल्लेबाज़ को सही सलाह दे पाते हैं या नहीं? पिछले कुछ साल से धोनी पर उम्र को बहाना बना कर दबाव बनाया जा रहा है. मुख्य चयनकतर्ता एमएसके प्रसाद इशारों में धोनी के प्रदर्शन पर नज़र रखने की बात कह चुके हैं। वहीं कप्तान विराट कोहली के इस बयान में आलोचक मतलब तलाश रहे हैं जिसमें कोहली ने कहा था कि अगले तीन महीनों में मिले मौक़ों से धोनी अपने लय को वापस पा सकते हैं और एक बार अगर धोनी अपना लय हासिल कर लेते हैं तो अगले वर्ल्ड कप तक उसे बरक़ारार रख सकते हैं। 

सवाल है कि क्या धोनी का लय टूटा भी है या यों ही उन्हें बार-बार कसौटी पर परखा जा रहा है? पिछले एक साल के आंकड़े तो ऐसा नहीं कहते कि धोनी चूक रहे हैं। पिछले 12 महीनों में 20 मैचों में 56.6 की औसत से 623 रन से ज़्यादा आप क्या उम्मीद करते हैं. इस दौरान 17 कैच और 10 स्टंपिंग उनकी चुस्ती-फ़ुरती साबित कर रहे हैं. पल्लेकले में युज़्वेंद्र चहल की गेंद पर दनुश्का गुनातिलका को स्टंप आउट कर वनडे में कुमार संगकारा के स्टंपिंग के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली. धोनी के नाम इसके साथ ही वनडे फ़ॉरमैट में 298 मैचों में 99 स्टंपिंग हो गई. संगकारा के नाम 99 स्टंपिंग 404 मैचों में हैं. इनके बाद रोमेश कालुविथर्ना का नाम है जिनके नाम 75 स्टंपिंग हैं और फिर मोइन खान हैं जिनके नाम 73 स्टंपिंग हैं. एक दिलचस्प आंकड़ा है कि धोनी ने ज्यादातर स्टंप आउट हरभजन सिंह की गेंद पर किए। भज्जी की गेंद पर 19 बार, रविंद्र जडेजा की गेंद पर 15 और अश्विन की गेंद पर 14 स्टंपिंग की.

धोनी के बारे में आगे बात करने से पहले मैच के हीरो 23 साल के अकिला दनंजय के बारे में जानना जरुरी है. अकिला के पिता बढई हैं. कुछ साल पहले श्रीलंका के पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने की नेट्स में उन पर नज़र पड़ी. महेला ने चयनकर्ताओं को उनके बारे में बताया. दनंजय को 2012 में ICC वर्ल्ड T20 में शामिल कर लिया गया, जहां -न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उनके करियर की शुरुआत हुई। फ़र्स्ट क्लास से पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले दुनिया के चंद खिलाड़ियों में शामिल हैं. अब तक उन्होने 4 वनडे और 5 T20 खेले हैं. 2013 में चेन्नई सुपकिंग्स ने 11 लाख में खरीदा था. पल्लेकले वनडे के एक दिन पहले इसी बुधवार को नेथाली तेकशिनी से उन्होने शादी की. शादी के अगले दिन इतनी घातक गेंदबाज़ी कि वनडे में वर्ल्ड नंबर-1 विराट कोहली भी तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाए. 

लौटते हैं, धोनी की बात पर. 131 रन पर 7 विकेट गिर चुके थे. मंजिल ठीक 100 रन दूर थी. अकिला दनंजय का खतरा बना हुआ था. गुगली आमतौर पर लेग स्पिनर का हथियार होता है. अकिला एक ऑफ़ स्पिनर हैं मगर वे गुगली फेंक 6 भारतीय बल्लेबाज़ें को हलाक कर चुके थे. धोनी के अनुभव के सामने उनका ये हथियार भी काम नहीं आया जिसने मैच में विकेट के बीच धोनी को रन चुराते हुए देखा होगा, उन्हें माही की फ़िटनेस पर कोई शक नहीं रहा होगा. उन्होने 45 रन में एक ही चौका लगाया और बाक़ी 41 रन दौड़ कर बनाए क्योंकि विकेट पर टिक कर संयमित बल्लेबाज़ी करने की थी. उनकी सोच और सलाह ने भुवनेश्वर कुमार के लिए प्रेरणा का काम किया. उनके अनुभव का कमाल देखिए. भुवनेश्वर कुमार के ख़िलाफ़ जब श्रीलंकाई टीम ने रिव्यू मांगा तो धोनी ने भुवी को पहले ही बता दिया कि गेंद बाहर जा रही थी. अब ये साफ़ है कि 2019 वर्ल्ड कप में कप्तान विराट कोहली और उनके लड़को को इस 'सुपरमैन' और उसके 'मिडास टच' की जरुरत पड़ेगी और उनके ऐसी किस्मत की भी जिसमें गेंद विकेट से टकरा जाए और बेल्स न गिरे.

संजय किशोर एनडीटीवी के खेल विभाग में डिप्टी एडिटर हैं...

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