शरद शर्मा की कलम से : कांग्रेस फिर आप के साथ?

आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

दिल्ली चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने संकेत दिए हैं कि वो चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी को समर्थन दे सकती है।
शीला दीक्षित ने कहा कि हमारी स्पष्टता ये हैं कि हम किसी सांप्रदायिक पार्टी को समर्थन नहीं दे सकते। शीला दीक्षित के मुताबिक दो बातें साफ़ हैं कि एक मुकाबला त्रिकोणीय है और दूसरा कांग्रेस बीजेपी को सपोर्ट नहीं कर सकती, बाकी आगे क्या स्थिति बनेगी ये तो वक्त बताएगा।

शीला दीक्षित ने कहा कि ''पिछली दफा हमने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था बाहर से, बीजेपी को नहीं दिया था क्योंकि बीजेपी एक सांप्रदायिक पार्टी है और हम सांप्रदायिक पार्टी के साथ सांठ-गांठ नहीं कर सकते। उसके बावजूद वो सरकार नहीं चली अब क्या परिस्थिति आएगी ये कहना बड़ा मुश्किल है। पर मुकाबला त्रिकोणीय है, जैसा पिछली बार था वैसा इस बार भी है।''

हालांकि दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने सब अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस आप या किसी पार्टी को सपोर्ट नहीं करेगी, कांग्रेस मानती हैं कि संघ प्रत्यक्ष रुप से बीजेपी और परोक्ष रूप से आप को चलाता है।

शीला दीक्षित के बयान और संकेत को खारिज करना आसान होता तो खबर बड़ी बनती ही क्यों? आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि  
- शीला जी का बयान अहम है।
- कांग्रेस ने हार मान ली है।
- लोगों को अपना वोट कांग्रेस को देकर व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
- अब दिल्ली चुनाव केवल दो पार्टियों की लड़ाई है

बीजेपी को मौका मिल गया ये बताने का कि कांग्रेस और आप मिले हुए हैं। बीजेपी नेता विजय गोयल कहा, यह साफ है कि कांग्रेस और आप दोनों ने हार मान ली है और दोनों ही एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं।

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भले ही शीला दीक्षित लड़ाई त्रिकोणीय बता रही हों, लेकिन जमीनी असलियत यही दिखती है कि मुक़ाबला आप और बीजेपी के बीच है। कांग्रेस और कमज़ोर हुई तो आम आदमी पार्टी मज़बूत होगी, लेकिन कांग्रेस ने अपनी जमीन वापस हासिल की तो फायदा बीजेपी को होगा।