राहुल पद छोड़ना चाहते हैं, उन्हें क्या सलाह दे रहीं सोनिया और प्रियंका

राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका उनके कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ने के पक्ष में नहीं, पार्टी भी उनके फैसले से असहमत

राहुल पद छोड़ना चाहते हैं, उन्हें क्या सलाह दे रहीं सोनिया और प्रियंका

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पतन के बाद शनिवार को पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले की जानकारी दी.

अगले माह अपना 49वां जन्मदिन मनाने से पहले आम चुनाव में बीजेपी के हाथों धूल चाटने की पीड़ा झेल रहे राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने के अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं जिसके बारे में उन्होंने शनिवार को पार्टी को अवगत कराया था.     

हालांकि, आज सुबह पार्टी की ओर से उनसे मिलने के लिए भेजे गए अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल से उन्होंने कहा कि उनका विकल्प ढूंढने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है. चुनाव में अपने खराब प्रदर्शन को लेकर सुलग रही कांग्रेस को अब पार्टी में शीर्ष पद से गांधी परिवार के सदस्य को हटते हुए भी देखना पड़ेगा.

यह शायद पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य बहुत हद तक विपरीत हालात का सामना कर रहे हैं. बताया जाता है कि राहुल की मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका उनके अध्यक्ष पद छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं. वे चाहती हैं कि वे पद पर बने रहें. उनकी मां के निकट सहयोगी अहमद पटेल ने आज की बैठक में राहुल गांधी को चेताया कि यदि उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व छोड़ा तो पार्टी टूट सकती है.    

राहुल गांधी अब तक दृढ़ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सबसे लंबा कार्यकाल पूरा करने का गौरव हासिल करने वालीं सोनिया ने अपने निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली को लिखे गए पत्र में अपनी भावनाओं को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दिया है. वे लिखती हैं कि “मुझे पता है आने वाले दिन बहुत कठिन होंगे, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आपके समर्थन की शक्ति और भरोसे से कांग्रेस हर चुनौती को पूरा करेगी.”

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उत्तर प्रदेश में सिर्फ सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर कांग्रेस अपनी जीत सुनिश्चित कर सकी.

यह पत्र गांधी के पद छोड़ने की पेशकश से एक दिन पहले 24 मई को लिखा गया है. इस कॉलम को लिखने से पहले मैंने जिन कांग्रेस नेताओं से बात की, उनका कहना है कि गांधी ने पद छोड़ने के संकल्प के बारे में अपनी मां और बहन से चर्चा की थी. शनिवार को पार्टी के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने अपना रुख साफ कर दिया. मुझे बताया गया कि उनके साथ काम कर रहीं प्रियंका गांधी वाड्रा उस वक्त भावुक थीं, तो सोनिया गांधी ने एक शब्द भी नहीं कहा.

प्रियंका ने कहा कि चुनाव में गड़बड़ी का दोष सिर्फ उनके भाई के सर पर नहीं मढ़ा जा सकता. उनके भाई के बोलने के बाद, प्रियंका ने पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि चुनाव अभियान में उनके नेतृत्व का पालन नहीं किया गया. राफेल घोटाले को लेकर उनके द्वारा तय की गई लाइन को अनदेखा किया गया. बताया जाता है कि उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ''उन्हें आप में से किसी का सहयोग नहीं मिला. वे अकेले लड़ते रहे और मोदी को नर्वस कर दिया. पर आप में से किसी ने उनकी सरकार का पर्दाफाश करने में मदद नहीं की.''    

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कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा. उन्होंने कथित तौर पर अपने भाई राहुल गांधी से पद पर बने रहने का आग्रह किया है.

अपने बेटे की मंशा को लेकर सोनिया गांधी की सिर्फ यही प्रतिक्रिया है कि गांधी कभी भी सार्वजनिक जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ते. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि उनकी दीर्घ विरासत है. वे यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकते कि भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी छितराई हुई नहीं है.        

राहुल गांधी का आरोप है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता केवल अपनी राजनीतिक विरासत बचाने पर केंद्रित रहे. उन्होंने अपने बेटों को चुनाव में उतारा और उनके चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित किए रहे. जबकि गांधी परिवार को पांचवींपीढ़ी को राजनीतिक विरासत मिली है और इसने कुछ विश्वास भी अर्जित कर लिया है.

सबसे पहले हमला राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हुआ जिनके बेटे वैभव गहलोत ने जोधपुर से चुनाव लड़ा और पराजित हुए. गांधी उन्हें टिकट देना नहीं चाहते थे और इसके पीछे उनकी मंशा सही साबित हुई जब गहलोत ने अपना 90 प्रतिशत समय अपने बेटे के चुनाव प्रचार में दिया. इस आधार पर दोषी माने जाने वाले दो अन्य नेताओं में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल हैं, जिनके बेटे नकुल नाथ राज्य में अकेले कांग्रेस प्रत्याशी हैं जो विजयी हुए. उनके अलावा पी चिदंबरम के विवादों में फंसे बेटे कार्ति चिदंबरम ने डीएमके की भरपूर मदद से शिवगंगा की पारिवारिक सीट जीती. सीनियर चिदंबरम गांधी के अपनी बात कहने के बाद भावुक हो उठे. उन्होंने कहा कि यदि वे अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे तो दक्षिण भारत में लोग आत्महत्या करेंगे. इस सब पर गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.  

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राहुल गांधी ने पार्टी के उन नवनिर्वाचित सांसदों से मिलने से इनकार कर दिया जिन्होंने उन्हें फोन किया था.

तो अब क्या होगा? राहुल गांधी ने कहा है कि वे कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता बने रहेंगे लेकिन उनकी बहन या मां उनका पद नहीं ले सकेंगी. हताशा से भरी कांग्रेस कार्यसमिति ने विकल्प के तौर पर उनके नामों की पेशकश की थी.      

लेकिन यह सच है कि उन्होंने पद तुरंत छोड़ने का संकल्प लिया है, इस प्राथमिकता के साथ कि वे पार्टी को बरबाद होने के लिए नहीं छोड़ सकते. वरिष्ठ नेताओं को उम्मीद है कि परिवर्तन की यह योजना इतनी लंबी हो जाएगी कि आखिरकार, बाहर जाने की सभी बातें खत्म हो जाएंगी.

गांधी ने स्पष्ट रूप से फैसला किया है कि वह अब और कांग्रेस को कोसने के लिए तड़ित चालक के रूप में कार्य नहीं करेंगे. दुनिया में मौजूदा समय में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले राजनीतिक विरासत संभालने वाले परिवार से होने के बावजूद उनका अपने पद से मोहभंग हो गया है.

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सूत्रों का कहना है कि कई कांग्रेसी नेताओं के विनती करने के बावजूद राहुल गांधी ने अपना विचार नहीं बदला है.

सूत्रों का कहना है कि गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वे पद छोड़कर अपने परिवार के साथ अन्याय कर रहे हैं. तब जब कि प्रियंका अभी-अभी राजनीति में शामिल हुई हैं, राहुल के पीछे हटने से उनके करियर को नुकसान होगा. मोदी सरकार गांधी परिवार, और खास तौर पर प्रियंका के पति कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के चलते सवाल उठाएगी.

सिर्फ 52 सीटें पाकर तिलमिलाई कांग्रेस अपने शीर्ष नेतृत्व पर कोई वास्तु दोष मानकर इसका कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं कराना चाहती. एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. "आप हमारी पार्टी को नहीं जानतीं, कोई अन्य नाम विचाराधीन नहीं है. कोई अन्य नेता स्वीकार्य नहीं होगा. वह केवल राहुल गांधी ही हो सकते हैं. गांधी परिवार ही एकमात्र वह परिवार है जो 'सांप को पिटारे' को बंद रखने में सक्षम है.''

राहुल गांधी ने फैसला ले लिया है. लेकिन उनका परिवार और पार्टी उन्हें नेतृत्व से परे होते नहीं देखना चाहती. तब जब उनका जन्मदिन मनाया जाना है, यह वांछनीय भी नहीं है.

(स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं और 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं)

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