ये पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी मिसाल बनी रहेगी...

इसके बाद इंडियन ऑयल ने एक स्पष्टीकरण दिया कि हर जगह पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केवल 1 पैसे की कमी की गई है. 

ये पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी मिसाल बनी रहेगी...

प्रतीकात्मक फोटो.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने आज देश की जनता के साथ एक भद्दा मजाक किया है. लगातार 16 दिनों तक तेल की कीमतों को बढ़ाने के बाद आज यह घोषणा की गई कि तेल की कीमतें घटेंगी. सबसे पहले यह खबर आई कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 60  पैसे और मुंबई में 59 पैसै कम कर दी गई है. उसी तरह यह भी कहा गया कि डीजल के दाम दिल्ली में 56 पैसे और मुंबई में 59 पैसे घटा दिए गए हैं. मगर इसके बाद इंडियन ऑयल ने एक स्पष्टीकरण दिया कि हर जगह पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केवल 1 पैसे की कमी की गई है. 

यह एक ऐसा वाकया है जो शायद ही किसी देश में घटा हो जहां किसी चीज की कीमत एक पैसे घटाई गई हो. इसके पीछे कारण जो भी हो, मगर यह इस देश के सत्ता पर बैठे नेताओं और अफसरों के गुरूर को दर्शाता है. साथ ही उनके अहंकार को भी. सोशल मीडिया पर सरकार या कहें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की खूब आलोचना की गई. 

सच में पेट्रोलियम पर्दाथों में एक पैसे की कमी की घोषणा करना आम जनता से छल करने जैसा था. कई लोगों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि अब इसका क्या जबाब दिया जाए. एक ने कहा कि यह कदम महंगाई के इस दौर में जनता के ऊपर पेट्रोल झिड़कने जैसा कदम है. जबकि आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों की ब्रिक्री पर काफी मुनाफा कमाया है और उतना ही फायदे में है. इंडियन ऑयल ने पेट्रोल और डीजल पर एक पैसा घटा कर देशवासियों के मुंह पर तमाचा जड़ा है. इंडियन ऑयल का मुनाफा 2016-17 में 19 हजार 106 करोड़ था जो 2017-18 में बढ़कर 21 हजार 346 करोड़ हो गया.

जबकि सरकारों ने लाखों करोड़ रुपए कमाए हैं. 2015-16 में  सरकार का मुनाफा 1 लाख 60 हजार 209 करोड़ रु था जो 2016-17 में बढ़कर 1 लाख 89 हजार 770 करोड़ रु हो गया. जाहिर है 2017-18 में यह इससे भी ज्यादा बढ़ेगा. मगर अभी अनुमानित 1 लाख 1 हजार 86 करोड़ रु है. सरकार की तरफ से यह दलील दी जा रही है कि पेट्रोलियम पदार्थों से सरकार को जो मुनाफा होता है वह हाईवे, पुल आदि बनाने में खर्च होता है, मगर इस सबके लिए भी सरकार के पास बजट का प्रावधान होता है, तो इस तरह की दलील का क्या मतलब है. 

सवाल सबसे बड़ा ये है कि यदि सरकारें विभिन्न प्रकार के टैक्स से इतना कमा रही हैं तो वह जनता को राहत क्यों नहीं दे सकतीं. यदि कर्नाटक चुनाव के समय 19 दिनों तक तेल के दाम नहीं बढ़े तो एक पैसे की राहत देना कैसी राहत है. कर्नाटक चुनाव के बाद लगातार 16 दिनों तक तेल के दाम बढ़े हैं यानि यहां पर ये दलील बेमानी है कि तेल की कीमतें बढ़ाना या घटाना सरकार के हाथ में नहीं है. 

यह तर्क महज एक छलावा है कि तेल कंपनियां तेल की कीमतें तय करती हैं. सब कुछ सरकार ही अंत में तय करती है, नहीं तो पेट्रोलियम मंत्री के होने का मतलब ही नहीं बनता. तेल निकालने का काम ओएनजीसी का तेल बांटने और दाम बढ़ाने घटाने का काम इंडियन ऑयल और अन्य सरकारी और गैर-सरकारी कंपनियों का है. तो सरकार बीच में क्या कर रही है. मतलब साफ है कि सरकार किसी भी वैसी जगह से अपना हाथ नहीं खींचना चाहती जहां मोटा मुनाफा होता हो और यह सब चुनाव के हालात पर निर्भर करता है और इसी सब के बीच सरकारों से ऐसी गलती हो जाती है जिसकी मिसाल जनता सालों तक देती रहती है.

इस बार तेल की कीमतें एक पैसा कम करने का फैसला भी लोगों को सालों तक याद रहेगा और इसकी मिसाल भविष्य में दी जाती रहेगी.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

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