बिहार में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. 2019 चुनाव से पहले अपनी-अपनी ताकत का बखान करने के लिए बयानबाजी तेज है. सबसे ताजा बयान जेडीयू के महासचिव संजय सिंह का है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि बीजेपी बिना नीतीश कुमार के 2019 का चुनाव नहीं जीत सकती और यह बात बीजेपी भी जानती है. उन्होंने यह भी कहा कि 2014 और 2019 में हालात में काफी अंतर है. संजय सिंह यहीं नहीं रुकते हैं. उन्होंने आगे कहा है कि बीजेपी सभी 40 सीटों पर लड़ने के लिए स्वतंत्र है.
कुछ दिनों पहले भी एक ऐसा ही बयान आया था कि नीतीश कुमार बिहार के गठबंधन के बड़े भाई हैं. अब यहां इस बात को समझने की जरूरत है कि आखिर ऐसे बयान क्यों आ रहे हैं. दरअसल, यह एक दबाब बनाने की रणनीति है क्योंकि आकड़ों के आधार पर जेडीयू बिहार में गठबंधन की जूनियर पार्टनर है. आकड़ें इस बात के गवाह हैं कि मौजूदा लोकसभा में बीजेपी के 22 सांसद हैं तो जेडीयू के महज 2. अब भला ऐसे आकड़ों पर गठजोड़ हो तो कैसे. यह फिलहाल संभव होता नहीं दिख रहा है. जेडीयू 2015 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाना चाहती है.
2015 में बिहार की 243 सीटों में से जेडीयू को 71 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी को 53. यही नहीं जेडीयू ने उस वक्त आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बीजेपी रामविलास पासवान और कुशवाहा के साथ मिल कर चुनाव में उतरी थी. बीजेपी के नेताओं की दलील है कि जेडीयू की असली ताकत 2014 के लोकसभा चुनाव से पता चलती है, जहां उसे केवल दो सीटें मिली थीं. जेडीयू की दिक्कत ये है कि बीजेपी अपनी पुरानी सहयोगी पासवान और कुशवाहा के बीच 10 सीटों का बंटवारा करेगी. ऐसी हालत में बीजेपी और जेडीयू के बीट बंटवारे के लिए 30 सीटें ही बचती हैं. मामला यहीं उलझा पड़ा है, जिसकी वजह से जेडीयू परेशान है और उनके नेता बयानबाजी करके माहौल बनाने में जुटे हैं.
दूसरी तरफ आरजेडी के तेजस्वी यादव ने साफ कहा है कि उनके दरवाजे उपेंद्र कुशवाहा के लिए हमेशा से खुले हैं और उनका स्वागत है. जीतन राम मांझी पहले से ही आरजेडी के पाले में हैं. इसलिए यहां पासवान के लिए जगह नहीं बचती है. तेजस्वी यह भी कह चुके हैं कि वो 'नीतीश चाचा' से कोई भी नाता नहीं रखना चाहते हैं. जातीय आंकड़ों को देखे तो यादव, मुस्लिम और मांझी के दलित वोट के साथ आरजेडी अच्छी हालात में है, जिसका सबूत हाल में ही हुए उपचुनाव में मिले जहां जहानाबाद और जोकीहाट की सीट आरजेडी ने जेडीयू से छीन ली. यही समस्या है नीतीश कुमार की जहां सरकार तो उनकी है मगर वोट खिसकता जा रहा है.
मौजूदा मोदी सरकार ने बिहार को कोई पैकेज भी नहीं दिया, जिससे नीतीश कुमार के भरोसे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि पैकेज की बात प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव के दौरान कही थी. अब जब बिहार में बीजेपी बेहतर हालत में दिख रही है जेडीयू यह फॉर्मूला दे रही है कि जेडीयू और बीजेपी 15-15 सीटों पर लड़ें और बाकी सहयोगी दलों को 10 सीटें दी जाए. अब देखना है यह फॉर्मूला चलता है या बिहार में 2019 में एक और नया गठजोड़ दिखेगा या बीजेपी अपने दम पर चुनाव में जाएगी.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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