दिल्ली के मतदाताओं ने अरविंद केजरीवाल के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के सपने को पूरा कर दिया है. बड़ी आसानी के साथ इसे आम आदमी पार्टी के विकास के एजेंडे की जीत और बीजेपी के शाहीन बाग़ प्रोपेगेंडा की हार क़रार दिया जा सकता है. लेकिन बात सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं है. दिल्ली में विपक्ष को यह समझना होगा कि सियासी शतरंज की जो बाज़ियां कांग्रेस और बीजेपी के नेता 10, 15 और 20 साल में सीखते हैं, अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम 5-6 साल में ही उसमें पारंगत हो गई है. बीजेपी चाह कर भी आप नेताओं के मुंह से वो बयान नहीं निकलवा पाई, जो उसकी ध्रुवीकरण की मंशा को पूरा करते. पूरे चुनाव के दौरान अमित शाह और उनकी स्टार प्रचारक टोली केजरीवाल के विकास मॉडल का मज़ाक उड़ाती रही, लेकिन ऐसे बयान देते वक़्त उनकी भाव-भंगिमाएं कुछ और बयां कर रही थीं. इन सबके बीच दिल्ली का वोटर अपनी बारी आने का इंतज़ार कर रहा था.
फिर बीजेपी ने वो दांव खेला, जिसमें उसे महारत हासिल है. ज़बरदस्त सर्दी में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ खुले आसमान के नीचे चल रहे शाहीन बाग़ आंदोलन में उसे न जाने कहां से विजयी दांव दिखा, कि सारे के सारे बयानवीर शाहीन बाग़ पर पिल पड़े. कोई ईवीएम के ज़रिए शाहीन बाग़ तक करंट दौड़ाने को बेक़रार दिखा तो कोई लंगर की बिरयानी के पीछे पड़ गया. आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं को जमकर उकसाने की कोशिश की गई. बीजेपी को भरोसा था कि आप ने अगर शाहीन बाग़ पर पलटवार शुरू किया तो ध्रुवीकरण की राजनीति उसके अरमानों को पंख लगा देगी. लेकिन दिल्ली की जनता के साथ केजरीवाल एंड पार्टी भी समझदार निकली, मनीष सिसोदिया के एक बयान को अपवाद मान लें तो बाक़ी कोई आप नेता इस चक्रव्यूह में नहीं फंसा. ख़ैर बीजेपी के बयानवीरों पर ग़ौर करते हैं-
परवेश वर्मा
दिल्ली से बीजेपी के सांसद परवेश वर्मा इस चुनाव में अपनी पार्टी के सबसे बड़े बयानवीर साबित हुए. कुछ महत्वकांक्षाओं के साथ प्रचार में जुटे परवेश ने बार-बार विवादित बयान दिए. दो बार चुनाव आयोग से नोटिस मिला और दो बार प्रचार पर पाबंदी लगी. 28 फ़रवरी को एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने शाहीन बाग़ पर कहा कि वहां लाखों लोग जमा होते हैं. दिल्ली के लोगों को सोचना होगा और फ़ैसला करना होगा कि वो आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों से बलात्कार करेंगे और उन्हें मार देंगे. परवेश वर्मा यहीं नहीं रुके, 29 जनवरी को दिल्ली के मादीपुर में हुई जनसभा में वो अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी बता गए. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जेहादियों का समर्थन करती है और उसके ज़रिए शाहीन बाग़ के धरने की फ़ंडिंग हो रही है.
अनुराग ठाकुर
जिस उम्र में खिलाड़ी राज्य और देश की टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं, पिता के प्रभाव के चलते उस उम्र में अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बन गए थे, उसके बाद क्रिकेट और सियासत में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वर्तमान सरकार में मंत्री, इस नेता की ज़ुबान भी दिल्ली में ख़ूब फ़िसली. 27 जनवरी को रिठाला की सभा में हद तब हो गई जब उन्होंने जनता के सामने नारा लगाया, देश के गद्दारों को... और सभा में मौजूद लोगों ने अगली लाइन जोड़ी, गोली मारो... को. ठाकुर को इस बयानबाज़ी की क़ीमत चुकानी पड़ी, चुनाव आयोग ने 72 घंटे तक उनके प्रचार पर पाबंदी लगा दी. बयान का संसद में भी विरोध हुआ. जब अनुराग ठाकुर बोलने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष ने नारे लगाए, ‘गोली मारना बंद करो'.
कपिल मिश्रा
सबसे बड़े बयानवीरों में कभी आप के नेता रहे कपिल मिश्रा का भी नाम है. उनके दो बयानों पर आम आदमी पार्टी ने सख़्त एतराज़ जताया. 23 जनवरी को उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि आप और कांग्रेस ने शाहीन बाग़ जैसे मिनी पाकिस्तान खड़े किए हैं. बयान को बेहद आपत्तिजनक मानते हुए चुनाव आयोग ने ट्वीट को डिलीट करने का आदेश दिया और बाद में 48 घंटे तक उन्हें प्रचार से रोक दिया. लेकिन कपिल मिश्रा कहां रुकने वाले थे, उन्होंने एक और ट्वीट किया कि 8 फ़रवरी को दिल्ली में भारत और पाकिस्तान का मुक़ाबला है. उनके इस बयान पर आज आप नेता जमकर मज़ा ले रहे हैं.
मनोज तिवारी
अरविंद केजरीवाल कनॉट प्लेस वाले हनुमान जी के दर्शन को पहुंचे तो तिवारी जी को अखर गया. बयान आया कि केजरीवाल पूजा करने गए थे या हनुमान जी को अशुद्ध करने. मुख्यमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवारों में से एक मनोज तिवारी ने केजरीवाल को नकली भक्त भी बताया.
योगी आदित्यनाथ
दिल्ली जिताने के लिए बीजेपी की स्टार लिस्ट में योगी आदित्यनाथ भी शामिल थे. एक फ़रवरी को करावल नगर मे हुई सभा में उन्होंने कहा कि केजरीवाल शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों को बिरयानी खिला रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने बयान पर एतराज़ जताया, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया.
अमित शाह
दिल्ली के चुनाव में शाहीन बाग़ के मुद्दे में शाह जीत की संभावनाएं तलाश रहे थे. 24 जनवरी को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में उन्होंने कहा कि बटन (ईवीएम का) इतने ग़ुस्से से दबाना कि बटन यहां दबे और करंट शाहीन बाग़ के अंदर लगे. इस बयान को उन्होंने कई सभाओं में दोहराया.
नरेंद्र मोदी
दिल्ली के दंगल में जब प्रधानमंत्री मोदी उतरे तो उन्होंने ढेर सारी बातें की. अपने विकास को गिनाया और दिल्ली के लिए वादे किए. इन सबके बीच बड़े सधे हुए शब्दों में वो शाहीन बाग़ आंदोलन को कटघरे में खड़ा कर गए. प्रधानमंत्री ने कहा कि शाहीन बाग़ सिर्फ़ संयोग नहीं प्रयोग है. इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिज़ाइन है जो राष्ट्र के सौहार्द्र को खंडित करने का इरादा रखता है.
तरुण चुघ
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली के सह प्रभारी तरुण चुघ के निशाने पर भी शाहीन बाग़ था. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली को सीरिया नहीं बनने देंगे. उन्हें मंज़ूरी नहीं देंगे कि वो आईएस जैसा टेरर मॉड्यूल चलाएं, जिसमें महिलाओं बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा हो.
सियासत शर्माती नहीं है, उसका हर दांव जीत के लिए होता है. दिल्ली में बयानवीरों ने बीजेपी की जो दुर्गति की है उसके बाद यह समझना भूल होगी कि आगे से ऐसे बयान नहीं आएंगे. दूसरी जगहों पर चुनाव होंगे, नए बयानवीर पैदा होंगे और बेशक वो सिर्फ़ बीजेपी से नहीं होंगे.
(शोऐब अहमद खान एनडीटीवी इंडिया में आउटपुट एडिटर हैं.)
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