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This Article is From Aug 29, 2014

पुरस्कारों का खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर दिखेगा असर

Vimal Mohan
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 19, 2014 16:14 pm IST
    • Published On अगस्त 29, 2014 22:53 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 19, 2014 16:14 pm IST

खेल दिवस पर अर्जुन पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार से खिलाड़ियों को नवाज़ा गया, तो राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता की कमी भी खली। क्योंकि भारतीय खेलों के इतिहास में सिर्फ दूसरी बार यह पुरस्कार किसी खिलाड़ी को नहीं दिए जा सके। कई खिलाड़ियों ने माना कि ये पुरस्कार आने वाले एशियाई खेलों में भी उनका हौसला बढ़ाएंगे और इसकी नतीजा भी दिखेगा।

थोड़ी बहुत अड़चनों के बावजूद हर बार की तरह इस साल भी अर्जुन पुरस्कारों की परंपरा कायम रही। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच खिलाड़ी दमकते रहे। उन्होंने ये भी माना कि इस पुरस्कार का असर आने वाले एशियाई खेल और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी दिखेगा।

पूर्व वर्ल्ड नंबर वन शूटर हिना सिद्धू के लिए अर्जुन पुरस्कार उनके जन्मदिन का तोहफ़ा बन कर आया है। वह खेल दिवस पर अपना जन्मदिन भी मना रही हैं और कहती हैं कि इसका असर उनके प्रदर्शन पर ज़रूर दिखना चाहिए, क्योंकि थोड़े ही दिन बाद एशियाई खेल होने वाले हैं, इसलिए पुरस्कार की टाइमिंग उनके लिए और भी ख़ास हो गई है।

वहीं वेटलिफ़्टर रेणु बाला चानू कहती हैं कि अनफ़िट होने की वजह से वह फ़िलहाल एशियाई खेलों की रेस से बाहर हैं, लेकिन वह इसका असर रियो ओलिम्पिक के दौरान दिखाना चाहेंगी।

ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय पहलवानों ने पांच स्वर्ण सहित कुल तेरह पदक जीते और कुश्ती भारत का नंबर वन खेल बन कर उभरी। इसकी कुछ धमक राष्ट्रपति भवन में भी दिखाई दी, जहां कोच महाबीर प्रसाद और पहलवान सुनील कुमार राणा के साथ पहली बार दिल्ली के गुरु हनुमान अखाड़े को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्हें इसका फ़ायदा भी फ़ौरन मिलता नज़र आया, जब कॉरपोरेट सेक्टर ने इन अखाड़ों को और सुविधाएं देने की ज़िम्मेदारी उठा ली।

ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में 125 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीतने वाले पहलवान बताते हैं कि यह ऐतिहासिक मौक़ा है, जब किसी अखाड़े को राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाज़ा गया है। वे मानते हैं कि इससे वहां के पहलवानों का हौसला बढ़ेगा। इन अखड़ों को बिड़ला ग्रुप अस्सी से ज़्यादा साल से मदद कर रहा है। इस ग्रुप के एडवेन्ट्ज़ के कार्यकारी निदेशक हेमंत कुमार इन अखाड़ों को फ़ौरन आधुनिक सुविधाएं देने का वादा कर रहे हैं।

इस बीच, पुरस्कारों को लेकर इस बार सवाल तो उठे, लेकिन ये इशारा भी मिला कि सबक़ भी लिए जाएंगे। विवाद चाहे जितने हों, खिलाड़ियों के लिए इन पुरस्कारों के मायने बिल्कुल अलग हैं। इसलिए अगर सिस्टम को फुलप्रूफ़ नहीं बनाया गया, तो कड़वाहट रह ही जाएगी।

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