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This Article is From Jan 15, 2015

अदिति राजपूत की कलम से : सीएम पोस्ट पर सस्पेंस बनाए रखने में बीजेपी को फायदा

Aditi Rajput, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    जनवरी 15, 2015 23:03 pm IST
    • Published On जनवरी 15, 2015 22:43 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 15, 2015 23:03 pm IST

दिल्ली में चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ये सवाल और भी ज़ोर पकड़ने लगा था कि आख़िर बीजपी दिल्ली में किसके सहारे अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने जा रही है। मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात तो ठीक थी, लेकिन ये सवाल बना हुआ था कि कौन होगा बीजेपी का चेहरा?

सुबह से ही बीजेपी में नए चेहरों के शामिल होने की ख़बरें चलने लगीं और कुछ ही घंटों में जया प्रदा और शाज़िया इल्मी जैसे चेहरों के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज़ हुईं और थोड़ी ही देर में ये दोनों नाम कहीं पीछे छूटे और किरण बेदी का नाम सबसे आगे हो गया। बीजेपी दफ्तर में पहुंचते ही संबित पात्रा और श्रीकांत शर्मा जैसे नेताओं ने थोड़ा इंतज़ार कीजिए और अभी कुछ साफ़ नहीं हैं, जैसी बातें कहीं...उसके बाद मोबाइल पर एक मैसेज आया कि अमित शाह चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इससे यह साफ़ हो गया कि किरण बेदी अब बीजेपी में एंट्री लेने जा रही हैं।

तीन बजे तक 11 अशोक रोड पर गहमा गहमी बढ़ गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी शुरू हो गई। 4 बजने से कुछ देर पहले ही दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय दिखाई दिए और कुछ ही मिनटों में अमित शाह के साथ किरण बेदी की एंट्री हुई।

साथ में अरुण जेटली, प्रभात झा, डॉ हर्षवर्धन, विजय गोयल भी थे। सबसे पहले अमित शाह ने किरण बेदी का बीजेपी में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि किरण बेदी के आने से ताक़त मिलेगी।

लेकिन इन सबके बीच सतीश उपाध्याय का चेहरा देखने लायक था, सबसे कोने में बैठे लगातार नीचे देख रहे थे और सहज दिखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सतीश उपाध्याय, जगदीश मुखी, विजय गोयल, प्रभात झा जैसे कई नेताओं के लिए ये फ़ैसला उतना फीलगुड तो नहीं ही है ये सब जानते हैं। लेकिन किरण बेदी प्रधानमंत्री से मिलकर आईं थीं और उनकी एंट्री अमित शाह और अरुण जेटली जैसे कद्दावर नेता करवा रहे हैं तो पार्टी नेतृत्व का इशारा भी साफ़ है कि विरोध की आवाज़ भीतर ही दब जाए तो बेहतर। किरण बेदी ने शुरुआत ही इस बात से की कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से ही वह राजनीति में आई हैं और उनके फ़ैसले के पीछे भी पीएम ही हैं।

संदेश साफ़ है कि अब उनके ख़िलाफ़ विरोध की आवाज़ें सुनाई नहीं देंगी जैसा पिछली बार उनके शामिल होने की अटकलों की बीच ही सुनाई देने लगी थीं। सही मायनों में बीजेपी अब दिल्ली के दंगल में उतरी है। किरण बेदी के रूप में बीजेपी ने अपना ट्रंप कार्ड खेला है। बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती अरविंद केजरीवाल हैं और वह हमेशा ईमानदारी, साफ़ छवि और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई की बात करते रहे हैं। ऐसे में किरण बेदी ईमानदार भी हैं और उनकी छवि बेदाग़ भी है तो अब कांटे की टक्कर हैं। रही बात सीएम कैंडिडेट की तो फिलहाल बीजेपी को यही बेहतर लगता है कि इस पर सस्पेंस बनाए रखे और शायद वही सही भी है।

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