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Exclusive: तेजस्वी CM बने तो वो AK-47 से काटेंगे केक... NDTV से बोले जीतन राम मांझी, पढ़िए पूरी बातचीत

बिहार चुनाव अभी थोड़ी दूर है, लेकिन रोचक जगह पर पहुंच गया है. सभी नेता अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में जीत राम मांझी इस चुनाव को कैसे देख रहे हैं, यहां जानिए...

Exclusive: तेजस्वी CM बने तो वो AK-47 से काटेंगे केक... NDTV से बोले जीतन राम मांझी, पढ़िए पूरी बातचीत

बिहार विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं, पर राजनीतिक जोर आजमाइश शुरू हो गई है. हर दल इस चुनाव को मौके की तरह देख रहा है. दोनों गठबंधन भी अपने-अपने घर को मजबूत करने में लगे हैं. वहीं प्रशांत किशोर और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता भी बिहार में अपनी जमीन तलाशने में जुटे हैं.  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी से बिहार चुनाव से जुड़े सभी सवालों पर एनडीटीवी के राजीव रंजन से बात की. 

सवाल- इस बार पलड़ा किसका भारी है? दोंनो पक्ष ताल ठोक कर दावा कर रहे हैं. 

जवाब- बिहार में मंत्री रहा हूं. मुख्यमंत्री रहा हूं और अब केंद्रीय मंत्री हूं, लेकिन मैं राजनीति नहीं जानता हूं और ना ही राजनीति करता हूं. जो अनुभव से सीखता हूं, वही बोलता हूं.

बिहार चुनाव को लेकर अमित शाह जी से 2 महीने पहले बातचीत हुई थी.  उन्होंने कहा था कि हम लोग जुलाई में कोई फैसला करेंगे. गृहमंत्री जी ने जो बात कही है, मैं उसी बात पर टिका हुआ हूं. मैं अभी यही कहता हूं जब तक एनडीए में सीटों को लेकर बातचीत नहीं होगी, तब तक मैं कुछ नहीं कह सकता हूं.

हम तो एक अनुशासित सिपाही के तौर पर काम करते हैं. हमारे कार्यकर्ता भी सब एक तरह के नहीं होते हैं, लेकिन मैं समाज को जगाने के लिए बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, दिल्ली हर जगह काम करता रहता हूं. हर जगह हमारे समर्थक हैं, जहां कहीं भी मीटिंग होती है 10,000 से ज्यादा लोग आते हैं. जो लोग हमारी मीटिंग में आते हैं, वह कहते हैं कि आप अपने आप को कम मत समझिए, आप इतने सीट पर लड़िए. हमने अपनी बात कह दी तो लोगों ने कई तरह की बातें उड़ा दी. इस कारण अब हम चुप रहते हैं. पब्लिक डोमेन में हम कुछ भी कहने से बचते हैं. मैंने आपसे कहा कि मैं स्वाभाविक राजनीति करता हूं. जब आप सब गठबंधन की बात करते हैं तो उनकी बस एक ही इच्छा है कि केंद्र में पीएम बन जाएं और बिहार में मुख्यमंत्री. इसके अलावा उनका कोई सामाजिक सरोकार नहीं है. इसके उलट चाहे बिहार का मामला हो या फिर केंद्र का, हर जगह जनता का काम हो रहा है. हम 44 साल से राजनीति में हैं और हम जानते हैं कि जो काम नीतीश कुमार के नेतृत्व में हो रहा है, वह बिहार के विकास के लिए काफी है. आज बिहार के छोटे-छोटे इलाके में भी जाएंगे तो वहां आपको सड़क मिलेगी. बिजली भी मिलेगी. बिहार में लोग जनता की सेवा के लिए काम कर रहे हैं.  यहां भी नरेंद्र मोदी जी जनता की सेवा के लिए काम कर रहे हैं कि भारत को कैसे विकसित राष्ट्र बनाना है. जनता काम होता देख रही है, इसलिए एनडीए और नीतीश कुमार के प्रति लोगों में काफी विश्वास हैं. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि एनडीए और महागठबंधन में कोई तुलना ही नहीं है. 90 फीसदी एनडीए है तो 10 फीसदी महागठबंधन है.

सवाल- दोनों पक्ष यह कहने से बच रहे हैं कि उनका मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन है? 

जवाब - देखिए, किसी के नेतृत्व में चुनाव होता है तो मुख्यमंत्री वही होता है. अगर आप चाय मांगेंगे तो यह नहीं कहेंगे कि दूध मत दो, चीनी मत दो. एनडीए इस बार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ रहा है. केंद्र में भी अगर कहें तो यही कहा जा रहा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहे हैं और फिर चुनाव हुआ तो नेता उन्हें को चुना गया.

सवाल- महागठबंधन में राजद ने तेजस्वी को अपना मुख्यमंत्री घोषित कर दिया पर कांग्रेस चुप है?

जवाब - देखिए, वहां पर तो कई दावेदार हैं. कांग्रेस वाले भी उनको लेकर बोल नहीं रहे हैं. कांग्रेस की अपनी इच्छा है, वह बड़ी पार्टी है. ऐसी हालत में कांग्रेस का नेतृत्व बनता भी है. तेजस्वी के बारे में आप मुझे बोलवा रहे हैं, लेकिन मैं कहना नहीं चाहता हूं. तेजस्वी या राजद के लोग बिहार का नेतृत्व करने लायक है ही नहीं. उनका नेतृत्व हम लोगों ने 2005 के पहले देख रखा है. किस प्रकार बिहार की स्थिति थी. आज भी बिहार में जो भूमि सुधार को लेकर काम हुआ है, जो जमीन का पट्टा दिया गया है, उस पर 90 फ़ीसदी लोगों का कब्जा नहीं है. कब्ज़ा राजद के लोगों का है. लोग कहते हैं किसी भी हाल में राजद का नेतृत्व नहीं आना चाहिए. 

सवाल- जेडीयू कह रही है कि नीतीश ही मुख्यमंत्री बनेंगे, बाकी कोई नहीं. 

जवाब - कहते हैं ना जाकी रही भावना जैसी... जब हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ते हैं तो मेरे हिसाब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही होना चाहिए. 

सवाल- तेजस्वी समेत कई विपक्षी दल के नेता नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति को लेकर सवाल उठा रहे हैं?

जवाब - देखिए,  किसकी मानसिक स्थिति ठीक है कैसे कहें? जन्मदिन पर तलवार से केक काटते हैं. यह ठीक मानसिकता की बात है? आप किसको कहिएगा. अगर गलती से तेजस्वी मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो वह एक-47 से केक काटेंगे. इसकी तुलना में मुख्यमंत्री जी कितनी शालीनता के साथ अपनी बात रखते हैं. देखिए, हमको लगता है पागल आदमी ही उनको पागल कह सकता है.  कितनी जिम्मेदारी के साथ वह काम कर रहे हैं. 

सवाल- क्या इस बार एनडीए से कोई नया मुख्यमंत्री बन सकता है?

जवाब - राजनीति में 2+2 =4 नहीं होता है. 1 जोड़ 1=2 नहीं होता है, बल्कि 11 भी होता है. देखिए, राजनीति संभावनाओं का खेल है, मैं वर्तमान के आधार पर कह रहा हूं. ऐसा तभी हो सकता है, जब नीतीश कुमार चुनाव जीतकर कहें कि चलो मैं चुनाव जीता दिया, अब तुम संभालो. जब तक नीतीश कुमार चाहेंगे, वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

सवाल- एक दफा हरियाणा के मुख्यमंत्री नवाब सिंह सैनी ने कह दिया था कि सम्राट चौधरी बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. 

जवाब - देखिए, यह उनकी पार्टी की बात है. रही बात सम्राट चौधरी की तो वह हमारे नेतृत्व में भी बिहार में काम कर चुके हैं. पटना में मेट्रो बन रहा है. पहले हमने ही आदेश दिया था, फिर सरकार बदल गई. अब  सम्राट चौधरी मेट्रो बनवा रहे हैं. जहां तक सम्राट की बात है तो वो पढ़े-लिखे हैं, उत्साही हैं, काबिल हैं. अगर नेतृत्व की बात आती है और सम्राट चौधरी के नेतृत्व में अगर सरकार बनती है तो गलत नहीं है, लेकिन अभी वहां चीफ मिनिस्टर की वैकेंसी नहीं है.

सवाल- क्या अगर आपके ऊपर चीफ मिनिस्टर की जिम्मेदारी दी जाती है तो आप उसे संभालेंगे?

जवाब - देखिए, जिसकी मां 9 घंटे, 10 घंटे कीचड़ में काम करती थी. पिताजी हल जोतते थे. कभी सोचा नहीं था कि राजनीति में जाएंगे. हमको लगा समाज के लिए कुछ करना चाहिए. हम जब मैट्रिक और बीए में पढ़ते थे तो उसी क्लास के बच्चों को ट्यूशन देते थे. इससे हमारा घर चलता था. हमारे पास किताब नहीं थी. कभी नहीं सोचा था कि चीफ मिनिस्टर होंगे, कभी नहीं सोचा था कि मंत्री बनेंगे. सिर्फ एमएलए प्रतिनिधि होकर राज्य की सेवा करेंगे. हम तो सपने में भी मंत्री बनने की सोचते नहीं थे. हमने तो इच्छा केवल सेवा करने की रखी थी. अब 81 साल मेरी उम्र हो गई है. चार तरह की बीमारी से ग्रस्त हूं, दवा लेकर चल रहे हैं, लेकिन कभी भी अपने आप को कमजोर नहीं पाया. आगे क्या बात होगी, वह संभावनाओं का खेल होता है. अभी क्या कहें. समय आएगा तो देखा जाएगा.

सवाल- एनडीए में इस बार सीटों का बंटवारा कैसे होगा , कौन कितनी सीट पर लड़ेगा? 

जवाब - देखिए हम लोग पांच दल हैं. सभी लोगों की अपनी-अपनी इच्छा है. हमको कहा गया है कि जुलाई में तय करेंगे, अभी से क्या कहें. हमें एनडीए नेतृत्व पर विश्वास है. जनमानस में किए गए काम के आधार पर सीट मिलेगा. जो हमको सीट मिलेगा, हम उस पर संतोष करके चुनाव लड़ेंगे. जैसे लोकसभा चुनाव के समय में कहा गया था कि दो लोकसभा की सीट मिलेगी और एक राज्यसभा की. इसको पत्थर का लकीर मान दिया जाए, लेकिन मिली हमको एक. हमने कहां विरोध किया. हम दूसरे लोगों को भी कहना चाहते हैं कि जब हम गठबंधन में है तो गठबंधन का पालन करना चाहिए. जवाब - देखिए हम लोग पांच दल हैं. सभी लोगों की अपनी-अपनी इच्छा है. हमको कहा गया है कि जुलाई में तय करेंगे, अभी से क्या कहें. हमें एनडीए नेतृत्व पर विश्वास है. जनमानस में किए गए काम के आधार पर सीट मिलेगा. जो हमको सीट मिलेगा, हम उस पर संतोष करके चुनाव लड़ेंगे. जैसे लोकसभा चुनाव के समय में कहा गया था कि दो लोकसभा की सीट मिलेगी और एक राज्यसभा की. इसको पत्थर का लकीर मान दिया जाए, लेकिन मिली हमको एक. हमने कहां विरोध किया. हम दूसरे लोगों को भी कहना चाहते हैं कि जब हम गठबंधन में है तो गठबंधन का पालन करना चाहिए.

सवाल- आपके घटक दल के साथी हैं, वो कह रहे हैं 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. मुख्यमंत्री भी बनना चाहते है ( चिराग को लेकर )

जवाब - देखिए, सबकी अपनी-अपनी इच्छा होती है और जो बोल रहे हैं 2020 में कितने सीट पर लड़े और कितनी सीट जीते. सबको पता है.  143 पर लड़े थे वो और एक सीट जीते थे और हम सात पर लड़े थे और चार सीट जीते थे. बहुत लोग यह भी कहते हैं कि लोकसभा में उनको 5 सीट मिला पांच जीते. हमको एक सीट मिला तो हम भी एक सीट जीते हैं. देखिए यह सारा जज एनडीए के लोग करेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से कर रहे हैं, लगता है उनका कॉन्फिडेंस लेवल थोड़ा लो है. उनको लगता है ऐसा कुछ करेंगे, तो हमको ज्यादा सीट मिलेगा. विधानसभा का मामला है तो सीटों का बंटवारा विधानसभा के नतीजे के मुताबिक ही होना चाहिए. सब लोग अपनी-अपनी ताकत दिखाते हैं. जिनके पास पैसा है, वह इस तरह का काम करते हैं. हम तो बैनर भी नहीं लगाते हैं. पोस्टर भी नहीं लगाते हैं. एक कॉल देते हैं तो हमारी सोच से ज्यादा लोग आ जाते हैं. दूसरे लोग तो 10-20 गाड़ी लगा देते हैं. इससे पीछे वाला फिर आगे चला जाता है. यह अपना-अपना टेक्टिस है, जनता को शो करने के लिए.

चिराग का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जिस तरह से कर रहे हैं, लगता है उनका कॉन्फिडेंस लेवल थोड़ा लो है. उनको लगता है ऐसा कुछ करेंगे, तो हमको ज्यादा सीट मिलेगा. विधानसभा का मामला है तो सीटों का बंटवारा विधानसभा के नतीजे के मुताबिक ही होना चाहिए. सब लोग अपनी-अपनी ताकत दिखाते हैं. जिनके पास पैसा है, वह इस तरह का काम करते हैं. हम तो बैनर भी नहीं लगाते हैं. पोस्टर भी नहीं लगाते हैं. एक कॉल देते हैं तो हमारी सोच से ज्यादा लोग आ जाते हैं. दूसरे लोग तो 10-20 गाड़ी लगा देते हैं. इससे पीछे वाला फिर आगे चला जाता है. यह अपना-अपना टेक्टिस है, जनता को शो करने के लिए.

सवाल- आपकी पार्टी कितने सीटों पर लड़ेगी? आप तो खुलकर डिमांड भी नहीं करते हैं?

जवाब- हम नहीं कर सकते हैं कि किसको कितनी सीटों पर एडजस्ट किया जाएगा. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा हमने 2015 में बनाया था. पहले लोग कहते थे कि हम गरीब घर के आदमी हैं. पार्टी नहीं चला सकते हैं, लेकिन आज हमारी पार्टी चल नहीं रही है, बल्कि दौड़ रही है. आज हमारे पास चार विधायक हैं. एक एमएलसी है और एक लोकसभा सदस्य. हमको लगता है कि हमें नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. हमारी पार्टी के लोगों की एक इच्छा है कि अभी हम बिहार में रजिस्टर्ड पार्टी के तौर पर काम कर रहे हैं. मान्यता प्राप्त करने के लिए कम से कम हमको 8 सीट जीतना चाहिए. आठ मिलेगा और हम आठ जीत जाएंगे, ऐसा संभव नहीं है. इससे कुछ ज्यादा सीट मिलनी चाहिए. हमारे कामकाज को देखकर एनडीए के लोग जरूर कहेंगे कि मांझी जी के पार्टी को कम से कम 8 सीट आ जाए ताकि उनकी पार्टी को मान्यता मिल जाए.

सवाल- आपके अलायंस में कई नेता एक-दूसरे खिलाफ बिना नाम लिए बोल रहे हैं? क्या इसका असर नतीजों पर पड़ सकता है?

जवाब - एनडीए में तो नेता नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी जी ही हैं. सब लोग इन्हीं दोनों के काम के आधार पर वोट लेंगे. मुझे नहीं लगता है कि किसी के कुछ बोलने का असर नतीजों पर असर पड़ेगा.

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