NDTV Khabar

  • कांग्रेस पीढ़ीगत बदलाव को मैनेज करने में विफल रही है और इसी यही बात हर बार निकलकर सामने आई है. कांग्रेस की कमान अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ में है. वह इसकी जिम्मेदारी अपने बेटे राहुल गांधी को देने के उत्सुक हैं, लेकिन राहुल गांधी जिम्मेदारी संभालने के इच्छुक दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसी वजह से पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद जैसे युवा और प्रतिभाशाली नेताओं भी संगठन में पीछे बने हुए हैं. हालांकि ये सभी पार्टी में नई जान फूंक सकते हैं.
  • कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने अपनी प्रतिष्ठा बचा ली है. दिनभर चले सियासी ड्रामे के बाद कल देर रात ढाई बजे चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली. लेकिन इस दौरान कांग्रेस को भारी मशक्क्त करनी पड़ी. पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं को मोर्चा संभालना पड़ा था. यह ऐसा चुनाव था जिसमें गुजरात कांग्रेस का बिखराव खुलकर नजर आया. इससे अहमद पटेल मुश्किल में पड़ गए.
  • कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव तथा पार्टी के शीर्ष रणनीतिकार अहमद पटेल राज्यसभा में फिर पहुंचने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह की ओर से अपने जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष झेल रहे हैं.
  • गुजरात में बीजेपी को चुनौती देने की आधी ईमानदार कोशिश भी कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित होती. यह असंतुष्‍ट पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नया जोश पर देती जो लगातार मिल रही हार के कारण धीरे-धीरे पार्टी से दूर होते जा रहे हैं और जिन्‍होंने राहुल गांधी को नेता के रूप में और गंभीरता से लेने का मौका दिया.
  • हमेशा अपने सुरक्षा गॉर्ड से घिरे रहने वाले 44 वर्षीय योगी आदित्यनाथ देश के राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे. उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड बहुमत से जीत दर्ज करने के बाद भाजपा ने आदित्यनाथ को कमान देकर हिंदुत्व कार्ड को चर्मोत्कर्ष पर पहुंचाने का प्रयास किया है. इसके लिए योगी आदित्यनाथ सही मुखौटा है. योगी को यूपी की सत्ता देने का निर्णय लिए जाने के बाद, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि योगी मोदी के मंत्र 'सबका साथ - सबका विकास' के साथ कितना न्याय करेंगे, यह देखने वाली बात होगी.
  • एक सप्ताह पहले पांच सांसद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले और उनसे स्टार प्रचारकों की सूची में वरुण गांधी का नाम जोड़ने को कहा क्योंकि उनका नाम न होने से आम जनता में गलत संदेश जा रहा था. पांच सांसदों के दल में शामिल रहे हाथरस से बीजेपी सांसद राजेश दिवाकर का कहना है, "मुझे 2009 में टिकट भैयाजी ने ही दिलवाया था. उन्होंने 2009 में मेरी दावेदारी का समर्थन किया था. वह मेरे नेता हैं और मेरे उनसे पारिवारिक संबंध हैं. भैयाजी के अपमान से मेरे क्षेत्र के लोगों में गलत संदेश जा रहा था.
  • अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने सपा-कांग्रेस गठबंधन का हिस्‍सा भले ही अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल(रालोद) को नहीं बनाया लेकिन पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में बीजेपी से नाराज जाट समुदाय अपने समर्थन पर पुनर्विचार कर रहे हैं.
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