वैसे तो जंतर-मंतर कुछ और चीजों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन आजकल यह प्रदर्शन का अड्डा बना हुआ है। जब भी जंतर-मंतर पर जाएं, कोई न कोई अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठा हुआ नजर आता है। आन्ना हजारे के जंतर-मंतर पर अनशन के बाद से लगभग रोज ही लोग जंतर-मंतर पर बैठे हुए नज़र आ रहे हैं।
देश का मीडिया मुंबई बम काण्ड के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर बहस मुबाहिसों में फंसा हुआ है। उसके पास उस सामाजिक सरोकार के लिए उतना समय नहीं है, जिसे मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कथावस्तु बनाया था।