विज्ञापन
This Article is From Dec 11, 2018

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 : आखिर ऐसा क्या है कि मध्य प्रदेश में 'मामा' शिवराज हारते ही नहीं?

Vidhan Sabha Chunav : शिवराज सिंह चौथी बार मुख्यमंत्री बनते हैं तो यह कोई नई बात नहीं होगी.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 : आखिर ऐसा क्या है कि मध्य प्रदेश में 'मामा' शिवराज हारते ही नहीं?
शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान  लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी अगुवाई में बीजेपी कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही है. हालांकि बीच-बीच में कांग्रेस को रुझानों में बहुमत भी मिला है. मध्य प्रदेश में करीब 15 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी के मुख्य शिवराज सरकार दावा था कि उसके शासन की वजह प्रदेश में किसानों की स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है और अब यहां उन्नत खेती की जा रही है. लेकिन मंदसौर में किसानों के आंदोलन और उनके ऊपर चली गोली ने उनके इस दावे को पलीता लगा दिया. सवाल इस बात का है कि अगर राज्य सरकार के सभी दावे ऐसे हैं जिनकी पोल खुलने में देर नहीं लगती तो शिवराज सिंह चौहान में ऐसा क्या है कि वह हर बार चुनाव जीतकर सरकार बना लेते हैं. हर विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा क्यों लगता है कि मध्य प्रदेश में अभी  5 साल और लगेंगे शिवराज सिंह चौहान को हराने में.  राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान की विनम्रता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है.  शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जाता है कि उनको किसी ने आज तक गुस्से में नहीं देखा. वह हर स्थिति में सहज रहते हैं. वह सीएम होते हुए भी धार्मिक कार्यक्रमों में माइक लेकर भजन गाने लगते हैं.  व्यापमं जैसे घोटाले में गंभीर आरोप लगने के बाद भी वह विचलित नहीं आते हैं. 

Election Results 2018: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के रुझानों पर क्या बोले पक्ष-विपक्ष के नेता ?

शिवराज जब महाराजा (ज्योतिरादित्य) और फकीर के बीच लड़ाई की बात करते हैं तो आम जनता को उनमें कहीं भी बनावटी नहीं लगता है. हालांकि शिवराज के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनकी विनम्र छवि चुनाव में तो काम आती है लेकिन वह इसी वजह से अफसरशाही के आगे फेल हो जाते हैं.  लेकिन यही उनकी राजनीतिक पूंजी भी है. शिवराज सिंह चौहान को अपने राजनीतिक जीवन में एक ही बार सामना करना पड़ा था जब वह 2003 में राघोपुर सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के सामने खड़े हुए थे. 

छत्तीसगढ़ में रुझानों में कांग्रेस को बहुमत, अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला से आगे निकले सीएम रमन सिंह

दरअसल साल 2005 में  शिवराज सिंह चौहान को जब मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था तो ऐसा लग रहा था कि बीजेपी मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हार जाएगी क्योंकि 10 साल बाद कांग्रेस को हराकर सत्ता में आई तो बीजेपी के दो बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा. पहले उमा भारती और फिर बाबूलाल गौड़.  29 नवंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान को सत्ता सौंपी गई.  लालकृष्ण आडवाणी को शिवराज के तौर पर ऐसा नेता मिला था जो आरएसएस और बीजेपी को एजेंडे चुपचाप लागू कर सके. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये था कि गांधी जी की हत्या के बाद से सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की शाखा में जाने पर प्रतिबंध था. इसको न तो उमा भारती हटा पाईं और न 15 महीने के कार्यकाल में बाबूलाल गौड़. लेकिन शिवराज ने बिना शोरगुल के इस प्रतिबंध को पलटकर रख दिया.

मध्यप्रदेश में किसानों की स्थिति पर बोले सीएम शिवराज, अब हालात बदल चुके हैं, किसान आज दुखी नहीं

इसमें दो राय नहीं है कि दिग्विजय सिंह के 10 सालों के शासनकाल में मध्य प्रदेश में बिजली और सड़क की हालत बहुत ही खराब थी. लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने बिजली और सड़क की हालत बदल दी. एनडीटीवी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और मध्य प्रदेश के रहने वाले आनंद नायक कहते हैं, 'गांवों में कुछ घंटों की बात छोड़ दें तो शिवराज सिंह चौहान ने 24 घंटे बिजली का सपना पूरा किया है साथ ही सड़कों की भी हालत बदल दी.'

विधानसभा चुनाव 2018 परिणाम LIVE UPDATES : पीएम मोदी के 'कांग्रेस मुक्त भारत' का राहुल गांधी ने दिया तगड़ा जवाब

दरअसल मध्य प्रदेश की राजनीति में शिवराज के सामने 15 सालों तक कोई कद्दावर नेता भी नहीं था. न तो कांग्रेस में और न ही बीजेपी में. मध्य प्रदेश में  कांग्रेस के नेता कमलनाथ, दिग्विजय और ज्योतिरादित्य केंद्र की राजनीति में व्यस्त रहे वहीं दूसरी ओर ओबीसी पृष्ठभूमि से आए शिवराज सिंह चौहान अकेले ही अपनी जमीन खूब मजबूत की. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत लड़कियों की शादी करने पर सरकार की ओर से मिलने वाली मदद ने उनको शिवराज को पूरे प्रदेश में 'मामा' के नाम से प्रसिद्ध हो गए. उनका 'मामा' वाले अवतार का कद इतना बड़ा है कि इस चुनाव में भी सर्वे उनको सीएम पद के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बता रहे हैं. 

शिवराज सिंह सरकार की वह योजनाएं जिनकी खूब हुई चर्चा 
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर-कान्ट्रेक्टर योजना, निःशुल्क पैथालॉजी जाँच योजना, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, भावांतर योजना


शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में आरएसएस ने आदिवासी क्षेत्रों में बहुत विस्तार किया है. हर चुनाव में कांग्रेस इसका काट ढूंढती रह जाती है. शिवराज सरकार लड़कियों के जन्म पर एक लाख रुपए का चेक देती है जिससे 18 साल की उम्र में पैसे मिलते हैं और गरीब परिवार में किसी की मौत हो जाने पर अंत्येष्टि के लिए 5 हजार रुपये देने वाली सरकार आदिवासियों और दलितों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है.

शिवराज के खिलाफ अरूण यादव बुधनी से कांग्रेस प्रत्याशी​

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com