अखिलेश यादव किसी भी तरह अमेठी सीट छोड़ने को तैयार नहीं दिखते
नई दिल्ली:
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन भले ही हो गया है लेकिन गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली रायबरेली और अमेठी की विधानसभा सीटों पर पेंच अभी फंसा हुआ है. इसमें मुख्य रूप से अमेठी सीट पर मामला फंसा हुआ है. दरअसल पिछली बार इस सीट से सपा के उम्मीदवार गायत्री प्रसाद प्रजापति ने जीत हासिल की थी. उसके बाद उनका सरकार में इतना रुतबा बढ़ा कि वह एक साल के भीतर ही तीन प्रमोशन पाकर कैबिनेट मंत्री बन गए. हालांकि यह भी माना जाता है कि अखिलेश यादव उनको पसंद नहीं करते लेकिन प्रजापति को मुलायम का बेहद करीबी माना जाता है. इसलिए अखिलेश द्वारा कैबिनेट से बर्खास्त होने के बाद भी उनकी वापसी हो गई.
सपा में मचे घमासान के बावजूद उनको कैबिनेट से नहीं हटाया गया. मुलायम सिंह और शिवपाल यादव की पहली सूची में अमेठी से गायत्री प्रसाद प्रजापति का ही नाम था. बाद में सपा में सुलह होने के बाद मुलायम ने जो अपने 38 समर्थकों की सूची अखिलेश को दी, उसमें भी गायत्री प्रसाद प्रजापति का नाम था. कहा जाता है कि मुलायम यह मानते हैं कि गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से प्रजापति ने जीत हासिल कर बड़ा काम किया. इसलिए उनको सम्मान दिया गया. अखिलेश ने मुलायम की नई सूची के ज्यादातर लोगों को टिकट देने का फैसला किया है. इसके अलावा पिछले दिनों में सुल्तानपुर में जब अखिलेश ने पहली चुनावी रैली की तो उस दौरान भी मंच पर गायत्री प्रजापति मौजूद थे. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी उनको अमेठी से ही उतारा जाएगा.
इसी वजह से कांग्रेस को दिक्कत हो रही है. दरअसल कांग्रेस इस सीट पर अमेठी के राजा संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह को उतारना चाहती है. दूसरी तरफ अखिलेश किसी भी तरह इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं दिखते क्योंकि ऐसा होने पर मुलायम सिंह नाराज हो सकते हैं और चुनाव के इस महत्वपूर्ण मौके पर अखिलेश किसी भी कीमत पर अब दोबारा पिता को नाराज नहीं करना चाहते.
वैसे रायबरेली और अमेठी की मिलाकर 10 विधानसभा सीटें हैं. पिछली बार इनमें से आठ सपा ने और दो कांग्रेस ने जीती थी. माना जा रहा है कि मोटे तौर पर इस बार दोनों दलों ने पांच-पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. हालांकि सपा पूर्व में जीती अपनी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की इच्छुक थी लेकिन गठबंधन के दबाव के चलते उसने समझौता किया. लेकिन अमेठी सीट को लेकर कांग्रेस अड़ गई है और सपा यदि उसकी बात मानती है तो अपने मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को उस सीट से उतारने का फैसला उसे वापस लेना होगा. उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र की सीटों पर चौथे और पांचवें चरण में मतदान होगा.
सपा में मचे घमासान के बावजूद उनको कैबिनेट से नहीं हटाया गया. मुलायम सिंह और शिवपाल यादव की पहली सूची में अमेठी से गायत्री प्रसाद प्रजापति का ही नाम था. बाद में सपा में सुलह होने के बाद मुलायम ने जो अपने 38 समर्थकों की सूची अखिलेश को दी, उसमें भी गायत्री प्रसाद प्रजापति का नाम था. कहा जाता है कि मुलायम यह मानते हैं कि गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से प्रजापति ने जीत हासिल कर बड़ा काम किया. इसलिए उनको सम्मान दिया गया. अखिलेश ने मुलायम की नई सूची के ज्यादातर लोगों को टिकट देने का फैसला किया है. इसके अलावा पिछले दिनों में सुल्तानपुर में जब अखिलेश ने पहली चुनावी रैली की तो उस दौरान भी मंच पर गायत्री प्रजापति मौजूद थे. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी उनको अमेठी से ही उतारा जाएगा.
इसी वजह से कांग्रेस को दिक्कत हो रही है. दरअसल कांग्रेस इस सीट पर अमेठी के राजा संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह को उतारना चाहती है. दूसरी तरफ अखिलेश किसी भी तरह इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं दिखते क्योंकि ऐसा होने पर मुलायम सिंह नाराज हो सकते हैं और चुनाव के इस महत्वपूर्ण मौके पर अखिलेश किसी भी कीमत पर अब दोबारा पिता को नाराज नहीं करना चाहते.
वैसे रायबरेली और अमेठी की मिलाकर 10 विधानसभा सीटें हैं. पिछली बार इनमें से आठ सपा ने और दो कांग्रेस ने जीती थी. माना जा रहा है कि मोटे तौर पर इस बार दोनों दलों ने पांच-पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. हालांकि सपा पूर्व में जीती अपनी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की इच्छुक थी लेकिन गठबंधन के दबाव के चलते उसने समझौता किया. लेकिन अमेठी सीट को लेकर कांग्रेस अड़ गई है और सपा यदि उसकी बात मानती है तो अपने मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को उस सीट से उतारने का फैसला उसे वापस लेना होगा. उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र की सीटों पर चौथे और पांचवें चरण में मतदान होगा.
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