गोवा 2017 : सभी दलों को बढ़े हुए मतदान की चिंता सता रही है, मतदान का रिकॉर्ड टूटा, किसकी है लहर...

गोवा 2017 : सभी दलों को बढ़े हुए मतदान की चिंता सता रही है, मतदान का रिकॉर्ड टूटा, किसकी है लहर...

गोवा में इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ है...

खास बातें

  • आम आदमी पार्टी काफी समय से राज्य में जीत का दावा करती आ रही है
  • लोगों को अभी भी केंद्रीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से काफी उम्मीदें हैं
  • कभी राजनितिक अस्थिरता के लिए परिचित गोवा में 11 लाख 6 हजार वोटर हैं
पणजी:

गोवा के वोटरों ने एक बार फिर साबित किया कि वे मतदान के लिए सबसे ज्यादा जागरूक हैं. उन्होंने एक बार फिर रिकॉर्ड मतदान दर्ज करवाया है. इस बार मतदान पिछले चुनावों के मुकाबले 2 प्रतिशत अधिक हुआ है. पिछले बार मतदान प्रतिशत 83 फीसदी था तो इस बार यह 85 फीसदी है. गोवा विधानसभा चुनावों में मतदान के बाद यह लग रहा है कि लोगों ने किस ओर मतदान दिया है. सभी को बढ़ा हुआ मतदान की चिंता सता रही है. राजनीतिक दल इस बढ़े हुए मतप्रतिशत को अपना बता रहे हैं...

राजनीति के जानकारों का कहना है कि मतदान हो चुका है और यह साफ है कि लोगों ने किसे मत दिया है. यहां पर विपक्ष में होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी का विरोध जारी विधानसभा के कार्यकाल में ठीक नहीं रहा. जहां तक राज्य में कांग्रेस के संगठन की बात है, तो वह भी पहले की तुलना में काफी कमजोर सा दिखा. पार्टी के पास न तो मजबूत संगठन है, न ही कोई बड़ा चेहरा है.

उधर, राज्य में पहली बार चुनावी ताल ठोक रही आम आदमी पार्टी पिछले काफी समय से राज्य में जीत का दावा करती आ रही है. पार्टी ने पूर्व पुलिस अधिकारी को पार्टी की ओर से सीएम पद का उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के अधिकतर उम्मीदवार एक समुदाय से हैं.

गौर करने की बात यह है कि बीजेपी ने भी कुछ ऐसा ही खेल किया है और वह पिछले दो विधानसभा चुनावों से ऐसा करती आ रही है और इसी समुदाय के कई लोग बीजेपी से विधायक भी बने हैं. इतना ही नहीं पिछली सरकार में डिप्टी सीएम का पद अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति को दिया गया था.

कहा जा रहा है कि राज्य में लोगों को अभी भी केंद्रीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से काफी उम्मीदें हैं. वैसे भी पर्रिकर कई मौकों पर कह चुके हैं कि भले ही वह दिल्ली में रहते हैं लेकिन उनका दिल नहीं लगता है. शनिवार की सुबह मतदान करने के बाद उन्होंने सबसे पहले यही कहा था कि दिल्ली में वह गोवा का खाना काफी याद करते हैं. दिल्ली का खाना खाते-खाते उनका वजन 4 किलो कम हो गया है.

वैसे भी राज्य में बीजेपी ने चुनाव इस बार भी मनोहर पर्रिकर के चेहरे के दम पर ही लड़ा है. गोवा के मतदाता के सामने इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आप और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पक्ष का गठबंधन विकल्प बना था. चुनाव से पहले गोवा के RSS में हुई ऐतिहासिक बग़ावत भी सुर्खियां बनी थी.

मगोप गठबंधन के नेता सुभाष वेलिंगकर ने कहा है कि संघ की भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ चुनाव के जरिये वह जंग लड़ हैं. एक प्रत्याशी बाबुश मोंसेरात ने कहा कि बीजेपी ने कोई विकास नहीं किया. पणजी की अनदेखी हुई है. युवा बेरोजगारी की वजह से परेशान है.
 
कभी राजनितिक अस्थिरता के लिए परिचित गोवा में 11 लाख 6 हजार वोटर हैं. 2012 में यहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी और इस बार पिछली बार के मुकाबले ज्यादा वोट कर मतदाताओं ने राजनेताओं को चकित कर दिया है.


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