
मणिपुर के सीएम ओकराम इबोबी सिंह के बेटे चुनावी मैदान में हैं. (फाइल फोटो)
ममतामयी मां तो वैसे ही अपने बच्चों के लिए त्याग की देवी होती है. चुनावी सीजन में भी इसका नजारा देखने को मिल रहा है. ऐसी कई सीटें जिन पर मां अभी तक चुनाव लड़ती रही हैं, अबकी बार अपने पुत्र के पक्ष में उन्होंने ये सीटें छोड़ दी हैं. यानी कि इस बार इन सीटों पर मां की जगह बेटे किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में हैं. चार मार्च को मणिपुर में चुनाव होने वाले हैं.इस कड़ी में पहला चर्चित नाम मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की पत्नी का है. पत्नी ओकराम लनधोनी दो बार से थाऊबल जिले की खांगाबोक सीट से चुनाव जीत रही हैं.
इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करते हुए इकलौते बेटे ओकराम सूरजकुमार(29) को इस सीट से उतारने की घोषणा की है. सूरजकुमार इस चुनाव के साथ ही अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं. वह अबकी बार मणिपुर के चुनाव में सबसे युवा प्रत्याशी भी हैं. उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार चौथी बार सत्ता में आने के लिए मैदान में है. वाराणसी सीट पर
इसी तरह के कई मामले यूपी चुनावों में भी देखने को मिल रहे हैं. गोरखपुर की पिपराइच सीट से बसपा सरकार में मंत्री रहे जमुना प्रसाद निषाद की मृत्यु के बाद पत्नी राजमति निषाद सपा से इसी सीट से जीतीं. अबकी बार उनकी जगह बेटे अमरेंद्र निषाद सपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. वाराणसी कैंट सीट पर बीजेपी विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव ने अपने बेटे सौरभ के लिए सीट खाली कर दी है.
यूपी की ही जंगीपुर सीट से सपा सरकार में मंत्री कैलाश यादव के निधन के बाद हुए चुनाव में पार्टी ने किसमतिया देवी को मैदान में उतारा. उपचुनाव में वह विजयी हुईं. अबकी बार सपा ने उनकी जगह बेटे वीरेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में दिनेश सिंह का दबदबा था. प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी थे. उनके निधन के बाद पत्नी लालमुनी देवी को सपा ने विधायक बनाया. अबकी बार इस सीट से पुत्र उग्रसेन सिंह को पार्टी ने उतारा है. गोंडा के मेहनौन सीट से सपा विधायक नंदिता शुक्ला ने बेटे राहुल के लिए अपनी सीट छोड़ दी है.
इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करते हुए इकलौते बेटे ओकराम सूरजकुमार(29) को इस सीट से उतारने की घोषणा की है. सूरजकुमार इस चुनाव के साथ ही अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं. वह अबकी बार मणिपुर के चुनाव में सबसे युवा प्रत्याशी भी हैं. उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार चौथी बार सत्ता में आने के लिए मैदान में है. वाराणसी सीट पर
इसी तरह के कई मामले यूपी चुनावों में भी देखने को मिल रहे हैं. गोरखपुर की पिपराइच सीट से बसपा सरकार में मंत्री रहे जमुना प्रसाद निषाद की मृत्यु के बाद पत्नी राजमति निषाद सपा से इसी सीट से जीतीं. अबकी बार उनकी जगह बेटे अमरेंद्र निषाद सपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. वाराणसी कैंट सीट पर बीजेपी विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव ने अपने बेटे सौरभ के लिए सीट खाली कर दी है.
यूपी की ही जंगीपुर सीट से सपा सरकार में मंत्री कैलाश यादव के निधन के बाद हुए चुनाव में पार्टी ने किसमतिया देवी को मैदान में उतारा. उपचुनाव में वह विजयी हुईं. अबकी बार सपा ने उनकी जगह बेटे वीरेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में दिनेश सिंह का दबदबा था. प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी थे. उनके निधन के बाद पत्नी लालमुनी देवी को सपा ने विधायक बनाया. अबकी बार इस सीट से पुत्र उग्रसेन सिंह को पार्टी ने उतारा है. गोंडा के मेहनौन सीट से सपा विधायक नंदिता शुक्ला ने बेटे राहुल के लिए अपनी सीट छोड़ दी है.
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