झारखंड में 65 प्लस सीटों का आंकड़ा लेकर चल रही भाजपा को उम्मीद है कि वह पांच महीने पूर्व हुए लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में भी दोहराएगी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपानीत राजग ने 14 में से 12 सीटें जीती थी. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में होना है और भाजपा आक्रामक चुनाव प्रचार की तैयारी में है. इस चुनाव में एनआरसी और धर्मातरण को भाजपा बड़ा मुद्दा बनाएगी. झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उनकी पार्टी 65 नहीं, 70 सीटें जीतेगी. विपक्षी दलों की एकजुटता के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2014 के मुकाबले विपक्ष साफ है. उन्होंने दावा किया कि इस चुनाव में विकास के साथ भाजपा एनआरसी और धर्मांतरण को भी बड़ा मुद्दा बनाएगी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों मुद्दों पर पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी.
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निशिकांत दुबे ने कहा, "झारखंड में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं पहली बार गरीबों तक पहुंचीं. मधु कोड़ा का भ्रष्टाचार आज तक लोग भूले नहीं हैं. झारखंड विकास मोर्चा के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव अपनी ही पार्टी की महिला नेता के यौन शोषण में फंसे हैं. भ्रष्टाचार और चारित्रिक पतन के शिकार विपक्षी नेता कौन-सा चेहरा लेकर जनता के बीच जाएंगे." दुबे के मुताबिक, उनके गोड्डा संसदीय क्षेत्र की कुल छह में से फिलहाल चार सीटें भाजपा के पास हैं. इस विधानसभा चुनाव में वह सभी सीटों को पार्टी की झोली में डालने की कोशिश करेंगे. धर्मांतरण के लिए बदनाम झारखंड में भाजपा ने इसे विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी की है. भाजपा को लगता है कि इस मुद्दे से वह वोटों का ध्रुवीकरण कर सकती है. आदिवासियों के बीच जाकर पार्टी बताने की तैयारी में है कि उनकी संस्कृति की रक्षा के लिए ही राज्य में पहली बार धर्मांतरण कानून लागू हुआ.
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भाजपा की रघुबर दास सरकार ने 2017 से राज्य में धर्म स्वतंत्र कानून (झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017) कानून लागू किया है. इसमें जबरन या लालच देकर धर्मांतरण को अपराध घोषित किया गया है. इस कानून के तहत चार साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. भाजपा का कहना है कि आदिवासी संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए धर्मांतरण पर सख्ती जरूरी है. धर्मांतरण के मुद्दे पर विपक्ष की खामोशी को भाजपा हथियार बनाने की कोशिश में है. झारखंड विधानसभा चुनाव में एनआरसी के मुद्दा होने का संकेत मुख्यमंत्री रघुबर दास भी पहले दे चुके हैं. उन्होंने असम की तरह झारखंड में भी एनआरसी लिस्ट तैयार करने की सितंबर में मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार केंद्र के सामने एनआरसी का प्रस्ताव रखेगी. बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को राज्य से भगाया जाएगा. गौरतलब है कि 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 81 में से 37 सीटे जीतने वाली भाजपा बाद में झाविमो के छह विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने में सफल हुई थी.
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