हर साल की तरह इस बार भी बड़े ही धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया. 26 जनवरी 1950 में डॉक्टर बीआर. अम्बेडकर ने भारत का संविधान लिखा था.
नई दिल्ली:
हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली के राजपथ पर बड़े ही धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया. इस शानदार समारोह को देखने के लिए कई लोग पहुंचे. कुछ लोगों ने टीवी पर भारतीय सेना के शक्ति प्रदर्शन और सुंदर झांकियों का आनंद लिया. 26 जनवरी 1950 में डॉक्टर बीआर. अम्बेडकर ने भारत का संविधान लिखा था. भारत में ये तारीख ऐतिहासिक बन चुकी है. उस वक्त रेडियो पर ये खबर सुनाई गई थी. मान लीजिए अगर उस वक्त इंटरनेट और मोबाइल जैसी चीजें होतीं तो क्या होता? सोशल मीडिया पर बड़े राजनेता कैसे अपनी बात रखते. 26 जनवरी के मौके पर हम आपको तस्वीरों के जरिए बताते हैं अगर आजादी से पहले इंटरनेट होता तो क्या होता. ट्विटर पर क्या टॉप ट्रेंड रहता? वाट्सऐप पर क्या बातचीत होती? गूगल पर लोग क्या सर्च करते और फेसबुक पर कैसी बातें होतीं? आइए जानते हैं...
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अगर आजादी से पहले होता ट्विटर
आजादी से पहले अगर ट्विटर होता तो पूरी जंग ट्विटर पर ही लड़ी जाती. कई बड़े नेताओं के नारे टॉप ट्रेंड में आ जाते. अंग्रेजों को भगाने में कई लोग अपनी राय दे सकते थे. गांधीजी का हर भाषण पूरा भारत आसानी से लाइव सुन पाता. बड़े नेताओं के पेज होते और लोग उन्हें फॉलो कर आसानी से बात कर पाते.
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गूगल पर क्या सर्च होता
सर्च इंजन गूगल अगर आजादी से पहले होता तो लोग आसानी से अंग्रेजों को समझा सकते. लोगों को अंग्रेजों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल जाती. लेकिन एक दिक्कत होती. वो है स्पीड की. आज के समय में तो चुटकियों में जानकारी मिल जाती है. लेकिन, उस वक्त पेज खुलने में टाइम लग जाता.
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कैसे भेजे जाते वाट्सऐप से संदेश
अगर उस वक्त वाट्सऐप होता तो लोग आसानी से एक दूसरे से बात कर सकते थे. हर आंदोलन के लिए ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ा जाता. आंदोलन की तस्वीरें लोगों तक आसानी से पहुंचतीं. कई वीडियो वायरल होते. महात्मा गांधी वाट्सऐप के जरिए लोगों को संदेश देते.
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फेसबुक पर करते अंग्रेजों को ट्रोल
फेसबुक पर भी आजादी की क्रांति देखने को मिलती. अंग्रेजों को ट्रोल किया जाता. हर छोटी से छोटी जानकारी लोगों तक पहुंचती. लोगों से अंग्रेजों से लड़ने के लिए राय मांगी जाती.
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अगर आजादी से पहले होता ट्विटर
आजादी से पहले अगर ट्विटर होता तो पूरी जंग ट्विटर पर ही लड़ी जाती. कई बड़े नेताओं के नारे टॉप ट्रेंड में आ जाते. अंग्रेजों को भगाने में कई लोग अपनी राय दे सकते थे. गांधीजी का हर भाषण पूरा भारत आसानी से लाइव सुन पाता. बड़े नेताओं के पेज होते और लोग उन्हें फॉलो कर आसानी से बात कर पाते.
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गूगल पर क्या सर्च होता
सर्च इंजन गूगल अगर आजादी से पहले होता तो लोग आसानी से अंग्रेजों को समझा सकते. लोगों को अंग्रेजों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल जाती. लेकिन एक दिक्कत होती. वो है स्पीड की. आज के समय में तो चुटकियों में जानकारी मिल जाती है. लेकिन, उस वक्त पेज खुलने में टाइम लग जाता.
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कैसे भेजे जाते वाट्सऐप से संदेश
अगर उस वक्त वाट्सऐप होता तो लोग आसानी से एक दूसरे से बात कर सकते थे. हर आंदोलन के लिए ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ा जाता. आंदोलन की तस्वीरें लोगों तक आसानी से पहुंचतीं. कई वीडियो वायरल होते. महात्मा गांधी वाट्सऐप के जरिए लोगों को संदेश देते.
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फेसबुक पर करते अंग्रेजों को ट्रोल
फेसबुक पर भी आजादी की क्रांति देखने को मिलती. अंग्रेजों को ट्रोल किया जाता. हर छोटी से छोटी जानकारी लोगों तक पहुंचती. लोगों से अंग्रेजों से लड़ने के लिए राय मांगी जाती.
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