संसद द्वारा पारित लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक, 2011 के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-:
1. केंद्र के स्तर पर लोकपाल और राज्यों के स्तर पर लोकायुक्त।
2. लोकपाल में एक अध्यक्ष होगा और अधिकतम आठ सदस्य। इनमें से 50 फीसदी सदस्य न्यायिक क्षेत्र से होंगे।
3. लोकपाल में 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं में से होंगे।
4. अध्यक्ष और सदस्यों का चयन एक चयन समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, भारत के प्रधान न्यायाधीश या प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सुप्रीम कोर्ट का कोई सेवारत न्यायाधीश, चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रख्यात न्यायविद।
5. प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया गया।
6. लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में हर श्रेणी के लोकसेवक आएंगे।
7. विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) के परिप्रेक्ष्य में विदेशी स्रोत से 10 लाख रुपये सालाना से अधिक दान प्राप्त कर रही सभी इकाइयां लोकपाल के दायरे में।
8. ईमानदार लोकसेवकों को पर्याप्त संरक्षण।
9. लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों में सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी को निर्देश देने का अधिकार लोकपाल को होगा।
10. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीबीआई निदेशक के चयन में सिफारिश करेगी।
11. सीबीआई में अभियोजन निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर।
12. लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों के तबादले लोकपाल की मंजूरी से ही होंगे।
13. भ्रष्ट स्रोतों से हासिल संपत्ति को सील करने का अधिकार, भले ही मुकदमा लंबित हो।
14. प्रारंभिक जांच, जांच और मुकदमे के लिए बिल में स्पष्ट समयसीमा। विधेयक विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान करता है।
15. कानून लागू होने के 365 दिन में राज्यों की विधानसभाओं को लोकायुक्त के गठन के लिए विधेयक पारित करना होगा।