यह ख़बर 28 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

संगीत को गैर-इस्लामी बताने वाले मुफ्ती गजलों का लुत्फ उठाते देखे गए

खास बातें

  • अब विवादों में घिरे जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम बशीरूद्दीन अहमद ने इस वीडियो को शरारती तत्वों की करतूत करार दिया है और कहा कि यह संगीत का कार्यक्रम नहीं है।
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम बशीरूद्दीन अहमद को संगीत का आनंद लेते हुए दिखाए जाने वाले एक वीडियो से खासा विवाद खड़ा हो गया है और इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। मुफ्ती ने संगीत को गैर-इस्लामिक करार दिया था।

इस वीडियो में मुफ्ती-ए-आजम अहमद को एक महिला सहित कुछ लोगों के साथ स्थानीय कलाकारों के गजल गायन का आनंद लेते हुए दिखाया गया है। ये कलाकार हारमोनियम बजाते हुए गजल पेश कर रहे हैं।

संगीत आयोजन में अहमद की मौजूदगी की व्यापक आलोचना हो रही है, क्योंकि खुद उन्होंने ही कश्मीर में लड़कियों के पहले रॉक बैंड 'प्रगाश' के खिलाफ फतवा जारी किया था और गायन को गैर-इस्लामिक बताया था।

इस साल जनवरी में मुफ्ती-ए-आजम के फतवा जारी करने के बाद रॉक बैंड की तीनों सदस्यों ने इस ग्रुप को भंग करने का फैसला किया था। अब खुद विवादों में घिरे मुफ्ती-ए-आजम ने वीडियो को शरारती तत्वों की करतूत करार दिया है। उन्होंने कहा, यह संगीत का कार्यक्रम नहीं है। यह प्रख्यात साहित्यकार अकबर हैदरी के जीवन पर आयोजित एक सेमिनार था। इसका आयोजन अजीज हाजिनी और आकाशवाणी के श्रीनगर केंद्र की निर्देशक रूखसाना जबीन ने किया था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

मुफ्ती-ए-आजम ने कहा, कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की आयतों से हुई और समापन पर कैसर निजामी ने अकबर हैदरी की कुछ शायरी सुनाई। अहमद ने कहा कि वीडियो संबंधी खबरों का उद्देश्य उनकी छवि खराब करना है।