नई दिल्ली:
लोग कहते हैं कि प्रेम की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन भारत के समलैंगिक जोड़ों को इस कहावत पर अफसोस है। उनका कहना है कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखे जाने के बावजूद वे सार्वजनिक रूप से अपने प्रेम का इजहार नहीं कर सकते। शौचालयों और एकांत स्थानों में ही वे अपनी भावनाओं को मूर्त रूप दे पाते हैं। गौरव नाम के युवक के साथ समलैंगिक सम्बंध रखने वाले दिल्ली निवासी अक्षय गुप्ता (25) ने बताया, "हमें भारतीय कानून के तहत लिखित में अधिकार मिल गया है लेकिन समाज अभी भी हमारे व्यवहार को समझने के लिए तैयार नहीं है। लोगों की नजर में समलैंगिकता अभी भी सामाजिक प्रतिबंध है।" मुम्बई स्थित 'द हमसफर ट्रस्ट' के संस्थापक, फिल्म निर्माता और समलैंगिक कार्यकर्ता श्रीधर रंगायन ने बताया, "एक मेट्रो में जब दो युवा एक दूसरे का आलिंगन करते हैं तो इसे नापसंद किया जाता है। शहरों में प्रेम जाहिर करने के लिए जगह ढूंढ़ना और मुश्किल है।" उन्होंने बताया, "यही कारण है कि समलैंगिक और लिंग का परिवर्तन करा चुके लोग अपना प्रेम और यौन उत्कंठा शांत करने के लिए ऐसे स्थानों और स्थितियों में चले जाते हैं जो असुविधाजनक हो जाती है।" ज्ञात हो कि वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को निरस्त करते हुए समलैंगिक लोगों के बीच सहमति से बनाए गए शारीरिक सम्बंध को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा। सूचना प्रौद्योगिकी पेशे से जुड़े अक्षय ने कहा, "प्रेम का इजहार करना हमारे लिए चिंता का विषय है। जबकि विपरीत लिंग वाले जोड़े आसानी से अपने प्रेम का इजहार कर लेते हैं लेकिन हम जैसे लोग जहां भी जाते हैं लोगों की नजरें हमारी पीछा करती हैं। हमारे ऊपर पाबंदिया लगा दी जाती हैं।" एक कॉल सेंटर कर्मी अदिति खुराना (22) जिसका प्रिया नाम की लड़की के साथ शारीरिक सम्बंध है, ने बताया, "चूंकि हम दोनों लड़कियां हैं इसलिए हमें शौचालयों अथवा दुकानों के कपड़े बदलने वाले कमरे में एक साथ जाने में मुश्किल नहीं आती।" अदिति ने कहा, "इन सीमित स्थानों में मैं और प्रिया अंतरंग क्षणों को गुजारते हैं।"
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