
- भारत के शुभांशु शुक्ला समेत Axiom-4 मिशन के चार अंतरिक्ष यात्री 18 दिन के वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद धरती लौटने के लिए तैयार हैं.
- SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सोमवार शाम को उड़ान भरकर ये अंतरिक्ष यात्री लगभग 22 से 23 घंटे बाद कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर स्प्लैशडाउन करेंगे.
- कैप्सूल की हीट शील्ड PICA-X मैटेरियल से बनी है, जो वायुमंडल में प्रवेश के दौरान अत्यधिक तापमान से सुरक्षा प्रदान करती है.
Shubhanshu Shukla's Space Axiom-4 Mission: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर 18 दिन के गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद भारत के शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए धरती पर लौटने का समय आ गया है. अंतरिक्ष यात्रियों की यह टीम पृथ्वी के लिए अपनी वापसी यात्रा शुरू करने को तैयार है. Axiom-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री सोमवार को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में बैठकर धरती के लिए उड़ान भरेंगे. लगभग 22-23 घंटे की उड़ान के बाद यह ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अमेरिका के कैलिफोर्निया में समुद्री तट के पास स्प्लैशडाउन (पानी में गिरेगा) करेगा.
इस मिशन के चालक दल में कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला के साथ-साथ मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की तथा टिबोर कापू शामिल हैं.
सवाल है कि आखिर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट बना किस चीज का होता है जो धरती के वायुमंडल या एटमॉस्फेयर में आते समय आग के गोले में बदलने के बावजूद अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को पूरी तरह सुरक्षित रखता है. चलिए आपको यहां बताते हैं.
ड्रैगन अंतरिक्ष यान क्यों है खास?
यह जानने के लिए हम SpaceX की साइट पर गए. SpaceX ने ही इस ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को बनाया है.
- SpaceX के अनुसार ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने अभी 51 मिशन पूरे किए हैं. यह स्पेसक्राफ्ट 46 बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गया है. 31 बार इसने धरती पर वापस आने के बाद फिर से अंतरिक्ष की यात्रा की है.
- ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की उंचाई 8.1 मीटर और व्यास (डायमीटर) 4 मीटर का है. धरती से लॉन्च होते समय इसका 'लॉन्च पेलोड मास' 6000 किलो होता है जबकि वापस आते समय 'रिटर्न पेलोड मास' 3000 किलो ही होता है.
- इस ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सीटिंग कैपेसिटी 7 यात्रियों की है. यानी यह स्पेसक्राफ्ट 7 अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की कक्षा यानी ऑर्बिट तक और उससे आगे तक ले जाने में सक्षम है. यह न सिर्फ अंतरिक्ष में जाता है बल्कि यह वापस भी आता है और इसे फिर से इस्तेमाल भी किया जा सकता है. यह खासियत इसे स्पेस इंडस्ट्री में तुरुप का इक्का बनाती है.
- ड्रैगन में ड्रेको थ्रस्टर्स लगे हैं जो ड्रैगन को किसी ऑर्बिट में रहने के दौरान दिशा बदलने की अनुमति देते हैं. इसमें कल 8 सुपरड्रेकोज हैं जो अंतरिक्ष यान के लॉन्च एस्केप सिस्टम को शक्ति प्रदान करते हैं.
ड्रैगन किस चीज का बना है?
जब अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन से धरती पर लौटते हैं, तो पहले ड्रैगन को स्पेस स्टेशन से अनडॉक किया जाता है और फिर यह अपने थ्रस्टर्स के साथ डी-ऑर्बिट बर्न करता है. इस स्पेसक्राफ्ट की निचली सतह पर हीट शील्ड लगे होते हैं और उसे सूर्य की सतह से अधिक गर्म तापमान से बचने के लिए डिजाइन किया गया है. ड्रैगन कैप्सूल कई अगल-अलग मैटेरियल से बना है. इनमें से हरेक को उसके खास गुणों और उससे होने वाले लाभ के लिए चुना गया है:
कार्बन फाइबर रिइंफोर्स्ड पॉलिमर(CFRP): ड्रैगन कैप्सूल का प्राइमरी स्ट्रक्चर CFRP से बना है, इसमें वजन के अनुपात में असाधारण ताकत होती है, इसमें इरोजन यानी संक्षारण को रोकने की शक्ति होती है और यह कैप्सूल को स्थायित्व प्रदान करती है.
थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS): ड्रैगन कैप्सूल की हीट शील्ड PICA-X नामक एक मैटेरियल से बनी है, जो फेनोलिक इंप्रेग्नेटेड कार्बन एब्लेटर (PICA) मैटेरियल का एक प्रकार है. PICA-X धरती के वायुमंडल में फिर से प्रवेश के दौरान आग के गोले में बदलने के बावजूद थर्मल सुरक्षा प्रदान करता है.
मल्टीलेयर इंसुलेशन (MLI): कैप्सूल के बाहरी हिस्से को MLI कंबल से लपेटा गया है, जिसमें कम-चालकता (कंडक्टिविटी) वाले स्पेसर द्वारा अलग किए गए रिफ्लेक्टिव मैटेरियल (जैसे, एल्युमिनाइज्ड मायलर) की कई परतें शामिल हैं. MLI हीट के ट्रांसफर को कम करने और स्थिर आंतरिक तापमान बनाए रखने में मदद करता है.
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