रूसी Su-27 फाइटर जेट ने मंगलवार को अमेरिकी सेना के "रीपर" सर्विलांस ड्रोन के प्रोपेलर को टक्कर मार दी, जिससे वह ब्लैक सी में क्रैश हो गया. अमेरिका सेना ने रूस के इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा की है. इस घटना के बाद अमेरिका और रूस में तनाव और बढ़ गया है. दरअसल, अमेरिका का ये ड्रोन लेटेस्ट तकनीक से लैस था. इसमें मिसाइलें भी दागी जा सकती थी. आइए आपको बताते हैं अमेरिका के इस ड्रोन की खासियतें...!
MQ-9 रीपर ड्रोन के बारे में हम जो जानकारी दे रहे हैं, वो वायु सेना और इसके निर्माता जनरल एटॉमिक्स की जानकारी के आधार पर है.
27 घंटे से अधिक तक भर सकता है उड़ान
MQ-9 रीपर मानव रहित हवाई वाहन 27 घंटे से अधिक समय तक 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. परिष्कृत कैमरों, सेंसर और रडार के साथ खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता है. इसमें 66 फुट का विंगस्पैन है, एक हनीवेल इंजन है, जो 3,900 पाउंड ईंधन ले जा सकता है और 240 समुद्री मील 'वास्तविक वायु गति' की रफ्तार से उड़ कर सकता है. 16 साल पहले वायुसेना को सौंपे गए रीपर को हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल जैसे हथियारों से भी लैस किया जा सकता है. MQ-9s को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, नासा, यूके रॉयल एयर फोर्स, इटैलियन एयर फोर्स, फ्रेंच एयर फोर्स और स्पैनिश एयर फोर्स द्वारा भी खरीदा गया है.
ड्रोन के क्या हैं फायदे?
ड्रोन आमतौर पर समान क्षमताओं वाले मानवयुक्त विमानों की तुलना में कम खर्चीले होते हैं और ऑपरेटरों के लिए सुरक्षित होते हैं, क्योंकि उन्हें पायलट की आवश्यकता नहीं होती है. अधिकांश अन्य विमानों के विपरीत, ड्रोन घंटों तक उड़ सकते हैं और खुफिया जानकारी एकत्र कर सकते हैं. जनरल एटॉमिक्स के अनुसार, उदाहरण के लिए एक F-16 को संचालित करने के लगभग $8,000 प्रति उड़ान घंटे की तुलना में ड्रोन की लागत लगभग $3,500 प्रति उड़ान घंटे है. वायु सेना के अनुसार, $56.5 मिलियन में, वे सेंसर, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन और एक उपग्रह लिंक के साथ चार MQ-9 विमान खरीद सकते हैं.
क्या MQ-9 अपना बचाव कर सकता है?
जनरल एटॉमिक्स का कहना है कि MQ-9 ने वायु सेना के परीक्षणों में "हवा से हवा में मार करने वाली हथियार क्षमता का प्रदर्शन किया. इसे "सेल्फ प्रोटेक्ट पॉड" से भी लैस किया जा सकता है, जो खतरों का पता लगाकर सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकता है.
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