न्यूयॉर्क:
भारतीय मूल की एक अमेरिकी प्रोफेसर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक नया तरीका खोजा है जो डार्क मैटर के वर्चस्व वाली छोटी आकाशगंगाओं को ढूंढने में और आकाशगंगा की बाहरी डिस्क में मौजूद तरंगों का ब्योरा देगा।
न्यूयॉर्क के रोसेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सहायक प्राध्यापक सुकन्या चक्रवर्ती ने आकाशगंगाओं की अंदरूनी संरचना और द्रव्यमान को मापने के लिए आकाशगंगा की डिस्क के तरंगों का इस्तेमाल किया।
चक्रवर्ती ने यह नतीजे एक संवाददाता सम्मेलन में सात जनवरी को पेश किए। उनके अध्ययन के परिणामों को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स को सौंपा गया है।
अदृश्य पार्टीकल को डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है जिससे ब्रह्मांड का 85 प्रतिशत हिस्सा बना हुआ है। यह रहस्यमय पदार्थ खगोलशास्त्र में एक मूलभूत समस्या का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि यह समझा नहीं जा सका है।
न्यूयॉर्क के रोसेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सहायक प्राध्यापक सुकन्या चक्रवर्ती ने आकाशगंगाओं की अंदरूनी संरचना और द्रव्यमान को मापने के लिए आकाशगंगा की डिस्क के तरंगों का इस्तेमाल किया।
चक्रवर्ती ने यह नतीजे एक संवाददाता सम्मेलन में सात जनवरी को पेश किए। उनके अध्ययन के परिणामों को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स को सौंपा गया है।
अदृश्य पार्टीकल को डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है जिससे ब्रह्मांड का 85 प्रतिशत हिस्सा बना हुआ है। यह रहस्यमय पदार्थ खगोलशास्त्र में एक मूलभूत समस्या का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि यह समझा नहीं जा सका है।
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