निमिषा प्रिया यमन की जेल में कैद है.
- केरल की निमिषा प्रिया को यमन में नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के जुर्म में 16 जुलाई को मौत की सजा दी जानी है.
- निमिषा की जान बचाने के लिए यमनी नागरिक के परिवार को एक मिलियन डॉलर की ब्लड मनी का ऑफर दिया गया है.
- यमनी नागरिक के परिवार ने इस ऑफर पर अभी हां या ना, कुछ नहीं कहा है. निमिषा को बचाने के लिए परिवार की माफी जरूरी है.
भारत की निमिषा प्रिया को यमन के एक नागरिक की हत्या के जुर्म में 16 जुलाई को सजा-ए-मौत दी जानी है. निमिषा के परिवार ने ब्लड मनी के तौर पर एक मिलियन डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) का ऑफर दिया है. लेकिन अब निमिषा की जान बचाने का एक ही तरीका है, यमनी नागरिक के रिश्तेदार ऑफर कबूल कर लें और निमिषा को माफ कर दें. अगर परिवार सजा-ए-मौत से एक घंटा पहले भी निमिषा को माफ कर देता है तो उसकी जान बच सकती है.
नर्स बनकर कैदियों की मदद कर रही निमिषा
निमिषा को बचाने के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. इस काउंसिल से जुड़े एक एक्टिविस्ट बाबू जॉन ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि निमिषा जेल में रहते हुए भी लोगों की मदद कर रही है. वह एक प्रोफेशनल मेडिकल नर्स के रूप में साथी कैदियों की सहायता कर रही है.
जॉन ने बताया कि निमिषा के परिवार ने अपनी तरफ से बात करने के लिए सैमुअल जेरोम को पावर ऑफ अटॉर्नी दी है. वह यमन के सना में हैं और निमिषा को बचाने के लिए बातचीत कर रहे हैं. हमने निमिषा को बचाने के लिए एक मिलियन डॉलर का ऑफर दिया है. मेहदी के परिवार ने अब तक हां या ना नहीं कहा है. अगर परिवार राजी हो जाता है और निमिषा को माफ कर देता है तो हम पैसे भेज देंगे.
यमन में मौत के बदले मौत का कानून
यमन में आंख के बदले आंख और मौत के बदले मौत का कानून है. ऐसे में निमिषा को बचाने की उम्मीदें अब ब्लड मनी पर निर्भर हैं. ब्लड मनी का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से अनजाने में हुई हत्या के लिए पीड़ित परिवार को दिया जाता है. इसे यमनी भाषा में 'दिया' कहा जाता है.
जॉन ने बताया कि सितंबर 2020 में सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल का गठन किया गया था. यह संगठन निमिषा को बचाने के लिए दुनिया भर में भारतीयों से मिलकर काम कर रहा है, राजनीतिक दलों से समर्थन जुटा रहा है और भारत व यमन की सरकारों से मदद मांग रहा है ताकि प्रिया को माफ करवाया जा सके.
भारत सरकार ने वकील करवाया था
जॉन ने बताया कि भारत सरकार ने यमन की अदालतों में निमिषा की पैरवी के लिए एक वकील नियुक्त किया था, लेकिन उसकी सभी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. यमन की सुप्रीम जुडिशल काउंसिल ने भी नवंबर 2023 में उसकी सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया था. यमन के राष्ट्रपति ने भी मौत की सजा पर मुहर लगा दी है. इसके बाद मौत की सजा के लिए 16 जुलाई की तारीख मुकर्रर की गई है.
यमन क्यों गई थी निमिषा प्रिया?
बता दें कि 37 वर्षीय निमिषा अपने माता-पिता की आर्थिक मदद करने के मकसद से 2008 में यमन गई थी. कई अस्पतालों में काम करने के बाद उसने अपना खुद का एक क्लिनिक शुरू किया. इसके लिए उसे यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ी. ऐसा इसलिए कि यमन में विदेशी नागरिकों को बिजनेस खोलने के लिए किसी लोकल व्यक्ति को पार्टनर बनाना जरूरी होता है.
निमिषा ने मेहदी को पार्टनर तो बना लिया लेकिन वह लगातार उसे परेशान करता था. उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था. इसकी वजह से वह वापस भारत नहीं लौट पा रही थी. 2017 में निमिषा ने कथित रूप से मेहदी को नशे का इंजेक्शन दिया ताकि वह पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज़ हासिल कर सके. लेकिन ज्यादा डोज की वजह से मेहदी की मौत हो गई. निमिषा को यमन छोड़ते समय एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया.
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