बैंक सीरीज़ लंबी चलेगी. कर्मचारी उतावले हैं कि हम सीधा सैलरी की बात करें. बताएं लोगों को कि क्लर्क कैसे 20,000 की सैलरी में गुज़ारा करेंगे. केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में उनकी सैलरी कम हो गई. हम ज़रूर उनकी सैलरी की बात करेंगे मगर महिला बैंकरों की हालत पर पहले बात होगी. अच्छी बात है कि 23 फरवरी को जब हमने महिला बैंकरों की हालत दिखाई तो कई पुरुष बैंकरों ने भी कहा कि उनकी हालत बहुत बुरी है. यही नहीं, ग्रामीण बैंकों में तो और भी बुरी है. समस्या यह है कि नौकरी चले जाने या तबादला कर दिए जाने के डर से महिला बैंकर या कोई भी बैंकर अपनी बात खुद नहीं कह सकता. एक तरीका है कि यूनियन के नेता बोलें लेकिन अभी मैं इतनी जल्दी अपनी सीरीज़ को यूनियन नेताओं की नेतागिरी के हवाले नहीं करना चाहता.