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हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत

'हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत' - 5 News Result(s)
  • शास्त्रीय गायिका प्रभा अत्रे का निधन, तीनों पद्म पुरस्कारों से हैं सम्मानित प्रख्यात

    शास्त्रीय गायिका प्रभा अत्रे का निधन, तीनों पद्म पुरस्कारों से हैं सम्मानित प्रख्यात

    हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के किराना घराने का प्रतिनिधित्व करने वालीं गायिका डॉ. प्रभा अत्रे को भारत सरकार ने तीनों पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया था.

  • मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज

    मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज

    आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.

  • PM मोदी जब वाराणसी से भर रहे थे पर्चा, तब ये प्रख्यात गायक बने थे प्रस्तावक,अब क्यों हुए नाराज

    PM मोदी जब वाराणसी से भर रहे थे पर्चा, तब ये प्रख्यात गायक बने थे प्रस्तावक,अब क्यों हुए नाराज

    Lok Sabha Polls 2019 : हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं. 2014 में जब पीएम मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब छन्नूलाल मिश्रा उनके प्रस्ताव बने थे.

  • स्मृति शेष : हिंदुस्तानी संगीत के आकाश पर दमकते रहेंगे गिरिजा देवी के सुर

    स्मृति शेष : हिंदुस्तानी संगीत के आकाश पर दमकते रहेंगे गिरिजा देवी के सुर

    आम तौर पर गायक एक क्षेत्र विशेष चुनता है जैसे शास्त्रीय, सुगम संगीत या लोक संगीत और उसमें भी ध्रुपद, खयाल, ठुमरी, गजल, भजन वगैरह या फिर कोई खास लोक गायन शैली...लेकिन गिरिजा देवी की गायकी इन सीमाओं में कभी नहीं बंधी. वे शुद्ध शास्त्रीय संगीत में निष्णात थीं तो सुगम संगीत में भी उन्हें महारत था. इतना ही नहीं, वे लोक संगीत को तो खास पहचान देने वाली गायिका थीं. हिंदुस्तानी संगीत के विशाल आकाश पर उनके स्वर हर जगह दमकते रहे. यही कारण है कि वे आम कलाकारों से कहीं ऊपर प्रतिष्ठित थीं.

  • दिग्गज तबला वादक शंकर घोष नहीं रहे, कोलकाता के अस्पताल में निधन

    दिग्गज तबला वादक शंकर घोष नहीं रहे, कोलकाता के अस्पताल में निधन

    दिग्गज तबला वादक शंकर घोष का शुक्रवार को शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक वह पिछले एक महीने से गंभीर रूप से बीमार थे।

'हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत' - 2 Video Result(s)
'हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत' - 5 News Result(s)
  • शास्त्रीय गायिका प्रभा अत्रे का निधन, तीनों पद्म पुरस्कारों से हैं सम्मानित प्रख्यात

    शास्त्रीय गायिका प्रभा अत्रे का निधन, तीनों पद्म पुरस्कारों से हैं सम्मानित प्रख्यात

    हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के किराना घराने का प्रतिनिधित्व करने वालीं गायिका डॉ. प्रभा अत्रे को भारत सरकार ने तीनों पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया था.

  • मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज

    मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज

    आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.

  • PM मोदी जब वाराणसी से भर रहे थे पर्चा, तब ये प्रख्यात गायक बने थे प्रस्तावक,अब क्यों हुए नाराज

    PM मोदी जब वाराणसी से भर रहे थे पर्चा, तब ये प्रख्यात गायक बने थे प्रस्तावक,अब क्यों हुए नाराज

    Lok Sabha Polls 2019 : हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं. 2014 में जब पीएम मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब छन्नूलाल मिश्रा उनके प्रस्ताव बने थे.

  • स्मृति शेष : हिंदुस्तानी संगीत के आकाश पर दमकते रहेंगे गिरिजा देवी के सुर

    स्मृति शेष : हिंदुस्तानी संगीत के आकाश पर दमकते रहेंगे गिरिजा देवी के सुर

    आम तौर पर गायक एक क्षेत्र विशेष चुनता है जैसे शास्त्रीय, सुगम संगीत या लोक संगीत और उसमें भी ध्रुपद, खयाल, ठुमरी, गजल, भजन वगैरह या फिर कोई खास लोक गायन शैली...लेकिन गिरिजा देवी की गायकी इन सीमाओं में कभी नहीं बंधी. वे शुद्ध शास्त्रीय संगीत में निष्णात थीं तो सुगम संगीत में भी उन्हें महारत था. इतना ही नहीं, वे लोक संगीत को तो खास पहचान देने वाली गायिका थीं. हिंदुस्तानी संगीत के विशाल आकाश पर उनके स्वर हर जगह दमकते रहे. यही कारण है कि वे आम कलाकारों से कहीं ऊपर प्रतिष्ठित थीं.

  • दिग्गज तबला वादक शंकर घोष नहीं रहे, कोलकाता के अस्पताल में निधन

    दिग्गज तबला वादक शंकर घोष नहीं रहे, कोलकाता के अस्पताल में निधन

    दिग्गज तबला वादक शंकर घोष का शुक्रवार को शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक वह पिछले एक महीने से गंभीर रूप से बीमार थे।

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