'हिंदी साहित्य'

- 58 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Career | Reported by: भाषा |रविवार फ़रवरी 16, 2020 11:29 AM IST
    साल के दूसरे महीने के दो पखवाड़े गुजर चुके हैं और तीसरे पखवाड़े का पहला दिन इतिहास में कई बड़ी हस्तियों के नाम के साथ दर्ज है. यही वह दिन है जब 1959 में फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा का शासन अपने हाथ में लिया. हिंदी सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के का निधन 1944 में आज ही के दिन हुआ. हिंदी के प्रख्यात लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और बांग्ला साहित्य के प्रतिष्ठित नाम शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्मदिन भी 16 फरवरी ही है.
  • Literature | Reported by: भाषा, Edited by: शहादत |रविवार फ़रवरी 9, 2020 01:56 PM IST
    गिरिराज का जन्म आठ जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फररनगर में हुआ था. उनके पिता ज़मींदार थे. गिरिराज ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया. वह जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहे तथा दिसंबर 1975 से 1983 तक आईआईटी कानपुर में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए गिरिराज किशोर को पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित किया गया.
  • Literature | Reported by: भाषा |रविवार फ़रवरी 9, 2020 12:53 PM IST
    आमतौर पर इसका आयोजन जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल (JLF) के साथ किया जाता है, लेकिन इस बार यह लगभग एक महीने बाद 21 से 23 फरवरी को होगा. इस बार आयोजन स्थल भी रविंद्र मंच के बजाय जवाहर कला केंद्र का शिल्पग्राम होगा. संघ के मुख्य संयोजक ईशमधु तलवार ने बताया कि इस बार PLF में पांच मंचों पर लगभग सौ सत्र तीन दिन में आयोजित किए जाएंगे.
  • Career | Edited by: सुबोध आनंद गार्ग्य |शुक्रवार जनवरी 17, 2020 11:12 AM IST
    जाने माने शायर, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का आज जन्मदिन है. जावेद अख्तर को पद्म श्री, पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार और पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वे दीवार, ज़ंजीर और शोले जैसी फिल्मों की पटकथा लिख चुके हैं. उन्होंने कई सारी हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे. जावेद अख्तर राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं.
  • Literature | Written by: शहादत |बुधवार जनवरी 1, 2020 02:25 AM IST
    साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था.
  • Blogs | प्रियदर्शन |बुधवार दिसम्बर 18, 2019 10:43 PM IST
    इस साल अपने कविता संग्रह 'छीलते हुए अपने को' के लिए साहित्य अकादेमी से सम्मानित नंदकिशोर आचार्य बीते तीन वर्षों में अकादेमी सम्मान प्राप्त हिंदी के सबसे युवा लेखक हैं- महज 74 साल के. वरना बीते साल यह सम्मान 75 साल की चित्रा मुद्गल को मिला और उसके पहले वाले साल 86 साल के रमेश कुंतल मेघ को.
  • Career | Written by: अर्चित गुप्ता |मंगलवार अक्टूबर 8, 2019 12:14 PM IST
    हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
  • Blogs | विवेक रस्तोगी |बुधवार सितम्बर 11, 2019 11:16 AM IST
    पुरानी-नई किताबों की जिल्द की अलग-सी गंध आज भी पढ़ने का शौक ज़िन्दा रखे हुए है... सो, आप लोगों से अब सिर्फ यही कहना चाहता हूं, खुद भी कुछ न कुछ पढ़ने की आदत डालें, और अपने बच्चों को देखने दें कि आप क्या कर रहे हैं, ताकि वे भी वैसे ही बन सकें... और यकीन मानिए, अगर ऐसा हो पाया, तो हिन्दी की दशा सुधारने के लिए हर साल मनाए जाने वाले हिन्दी दिवस की ज़रूरत नहीं रहेगी...
  • Literature | एनडीटीवी |बुधवार जुलाई 17, 2019 04:22 PM IST
    पुस्तक समीक्षाः किताब में समाज, जाति और धर्म से जुड़े अनेक प्रासंगिक सवाल हैं जिनका वाल्मीकि ने तार्किक एवं बेबाक जवाब दिया है. दसअसल, यह किताब मात्र संवाद भर नहीं, साहित्य में दलित विमर्श और समाज में दलितोत्थान के प्रयासों का एक पारदर्शी चेहरा है, जिसमें उनकी कमियां एवं अच्छाइयां सब स्पष्ट हो गई हैं.
  • Literature | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार मई 20, 2019 02:33 PM IST
    सुमित्रानंदन पंत की आज जयंती (Sumitranandan Pant Jayant) है. हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) का जन्म 20 मई, 1900 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गांव में हुआ था. उनका नाम गुसाईं दत्त था. वह गंगादत्त पंत की आठवीं संतान थे. उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया था. झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने. निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही. उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था. 
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