हिंदी के शलाका पुरुष डॉ नामवर सिंह नहीं रहे. बीती रात 11 बज कर 50 मिनट पर उनका निधन हो गया. इस 26 जुलाई को 93 साल के हो जाते. यह एक भरी पूरी उम्र होती है. फिर उन्होंने एक भरा-पूरा जीवन जिया, इस जीवन में पूरा हिंदी समाज शामिल रहा, इसलिए उनके जाने को शोक का विषय मानना उनके समृद्ध भरे-पूरे जीवन का अपमान होगा. लेकिन उनको याद रखने की बहुत सारी वजहें हैं. आज के भागते-दौड़ते मीडिया के इस दौर में शायद कम लोगों को एहसास होगा कि नामवर सिंह ने हिंदी समाज के लिए, हिंदी साहित्य के लिए और हिंदी विचार के लिए कितना कुछ किया, समाज को कितना कुछ दिया.