Vinay Sitapati
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Book Excerpt: वाजपेयी-आडवाणी संबंध : उथल-पुथल भरी यात्रा, बेमिसाल सहयोग और कामयाबी
- Thursday February 25, 2021
- Vinay Sitapati
दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान में आडवाणी और वाजपेयी ने एक-दूसरे की पूरक भूमिकाएं स्वीकार कर लीं. जब देश में वैचारिक उदारवाद का मूड था – जैसे 1970 के दशक में या 1990 के उत्तरार्ध में – तो वाजपेयी ने नेतृत्व किया और आडवाणी ने उनका अनुसरण किया. जब चिंता का मूड होता था – जैसे 1980 के दशक में और 1990 के दशक के पूर्वार्ध में – तब आडवाणी ने पार्टी का मार्गनिर्देशन किया और वाजपेयी ने उनकी बात मानी.
- ndtv.in
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पीवी नरसिम्हा राव का अंतिम संस्कार दिल्ली की जगह हैदराबाद में क्यों हुआ?
- Monday December 24, 2018
- प्रभात उपाध्याय
PV Narasimha Rao Death Anniversary: पीएम बनने के बाद कांग्रेस और खासकर सोनिया गांधी को राव (PV Narasimha Rao) से जिस तरह की अपेक्षाएं थी, वे उसके विपरीत काम कर रहे थे. इसका ब्योरा विनय सीतापति ने राव की बायोग्राफी 'द हाफ लायन' में दिया है. वे लिखते हैं, ''बकौल के. नटवर सिंह Natwar Singh (कांग्रेसी नेता) नरसिम्हा राव को लगा कि बतौर प्रधानमंत्री उन्हें सोनिया गांधी को रिपोर्ट करने की जरूरत नहीं है. और उन्होंने ऐसा ही किया.
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