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वाक : पुरानी आवाजों के साथ कविताओं के नए सुर उभरने के संकेत
- Thursday April 13, 2017
- Reported by: अमितेश कुमार, Edited by: सूर्यकांत पाठक
रज़ा फाउंडेशन ने दिल्ली के त्रिवेणी कला केंद्र में ‘वाक’ नाम से एक आयोजन किया. यह भारतीय भाषाओं में रची जा रही कविताओं का द्वैवार्षिक आयोजन होगा. इस साल इसका पहला संस्करण संपन्न हुआ. इसमें 15 से भी अधिक भारतीय भाषाओं के 45 के करीब कवि सम्मिलित हुए. ऐसे समारोह अक्सर अतीत के वैभव पर इतराने के आयोजन बन जाते हैं. इनकी सार्थकता तभी है जब पुरानी आवाजों के साथ नई और सशक्त आवाजें भी सामने आएं जिसमें भविष्य की रूपरेखा दिखे. इस सत्र में इसका संकेत मिला.
- ndtv.in
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वाक : पुरानी आवाजों के साथ कविताओं के नए सुर उभरने के संकेत
- Thursday April 13, 2017
- Reported by: अमितेश कुमार, Edited by: सूर्यकांत पाठक
रज़ा फाउंडेशन ने दिल्ली के त्रिवेणी कला केंद्र में ‘वाक’ नाम से एक आयोजन किया. यह भारतीय भाषाओं में रची जा रही कविताओं का द्वैवार्षिक आयोजन होगा. इस साल इसका पहला संस्करण संपन्न हुआ. इसमें 15 से भी अधिक भारतीय भाषाओं के 45 के करीब कवि सम्मिलित हुए. ऐसे समारोह अक्सर अतीत के वैभव पर इतराने के आयोजन बन जाते हैं. इनकी सार्थकता तभी है जब पुरानी आवाजों के साथ नई और सशक्त आवाजें भी सामने आएं जिसमें भविष्य की रूपरेखा दिखे. इस सत्र में इसका संकेत मिला.
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