Rafale Deal Cost
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झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट
- Sunday January 20, 2019
- Ravish Kumar
मोदी सरकार का तर्क रहता है कि भारत और फ्रांस के बीच जो करार हुआ है उसकी गोपनीयता की शर्तों के कारण कीमत नहीं बता सकते. मगर उस करार में कहा गया है कि गोपनीयता की शर्तें रक्षा से संबंधित बातों तक ही सीमित हैं. यानी कीमत बताई जा सकती है. कीमत क्लासिफाइड सूचना नहीं है. विवाद से पहले जब डील हुई थी तब सेना और सिविल अधिकारियों ने मीडिया को ब्रीफ किया था और बकायदा कीमत बताई थी.
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राहुल गांधी का हमला- पीएम मोदी ने पूंजीपति दोस्तों के लिए पायलटों की जिंदगी खतरे में डाली
- Friday October 19, 2018
- IANS
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने उद्योगपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए पायलटों को खतरे में डाल दिया. वह पुराने विमान उड़ाने को मजबूर हैं.
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फ्रांस्वा ओलांद अपने बयान पर कायम, कहा- मोदी सरकार में नए फॉर्मूले के तहत रिलायंस का नाम तय हुआ
- Sunday September 23, 2018
- NDTVKhabar News Desk
Rafale Deal: फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद (François Hollande) ने एनडीटीवी से इस बात की पुष्टि की है कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह को भारत सरकार के कहने पर चुना गया .ओलांद के दफ्तर की तरफ से एनडीटीवी को फ्रांस में दी गई सूचना में साफ किया गया है कि ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस को लेकर हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.
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Rafale Deal: शुरू से विवादों में रही है राफेल डील, 15 प्वाइंट्स में जानें कब क्या हुआ
- Saturday September 22, 2018
राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के खुलासे के बाद मचे घमासान के बीच फ्रांस सरकार और डसॉल्ट एविएशन का भी बयान आ गया है. एक तरीके से दोनों ने ओलांद के बयान से किनारा कर लिया है. फ्रांस सरकार ने कहा है कि इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. तो दूसरी तरफ राफेल विमानों की निर्माता डसॉल्ट एविएशन ने कहा है कि डसॉल्ट ने खुद रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था. दरअसल, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक फ़्रेंच अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि रिलायंस का नाम खुद भारत सरकार ने सुझाया था. उनके इस बयान से विपक्ष के आरोपों को बल मिला और विपक्ष सरकार पर हमलावर है. आइये आपको बताते हैं राफेल डील की शुरू से अब तक की पूरी कहानी.
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राफेल सौदे का ब्योरा देने से सरकार का इनकार, फिर क्यों 2016 में दी थी जानकारी
- Thursday February 8, 2018
राफेल समझौते को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल खड़े कर रही है. रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इस बारे में एक बयान भी जारी किया. हालांकि लोकसभा में राफेल सौदे की जानकारी को लेकर सरकार अपना रुख बदलती रही है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था.
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झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट
- Sunday January 20, 2019
- Ravish Kumar
मोदी सरकार का तर्क रहता है कि भारत और फ्रांस के बीच जो करार हुआ है उसकी गोपनीयता की शर्तों के कारण कीमत नहीं बता सकते. मगर उस करार में कहा गया है कि गोपनीयता की शर्तें रक्षा से संबंधित बातों तक ही सीमित हैं. यानी कीमत बताई जा सकती है. कीमत क्लासिफाइड सूचना नहीं है. विवाद से पहले जब डील हुई थी तब सेना और सिविल अधिकारियों ने मीडिया को ब्रीफ किया था और बकायदा कीमत बताई थी.
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राहुल गांधी का हमला- पीएम मोदी ने पूंजीपति दोस्तों के लिए पायलटों की जिंदगी खतरे में डाली
- Friday October 19, 2018
- IANS
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने उद्योगपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए पायलटों को खतरे में डाल दिया. वह पुराने विमान उड़ाने को मजबूर हैं.
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फ्रांस्वा ओलांद अपने बयान पर कायम, कहा- मोदी सरकार में नए फॉर्मूले के तहत रिलायंस का नाम तय हुआ
- Sunday September 23, 2018
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Rafale Deal: फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद (François Hollande) ने एनडीटीवी से इस बात की पुष्टि की है कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह को भारत सरकार के कहने पर चुना गया .ओलांद के दफ्तर की तरफ से एनडीटीवी को फ्रांस में दी गई सूचना में साफ किया गया है कि ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस को लेकर हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.
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Rafale Deal: शुरू से विवादों में रही है राफेल डील, 15 प्वाइंट्स में जानें कब क्या हुआ
- Saturday September 22, 2018
राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के खुलासे के बाद मचे घमासान के बीच फ्रांस सरकार और डसॉल्ट एविएशन का भी बयान आ गया है. एक तरीके से दोनों ने ओलांद के बयान से किनारा कर लिया है. फ्रांस सरकार ने कहा है कि इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. तो दूसरी तरफ राफेल विमानों की निर्माता डसॉल्ट एविएशन ने कहा है कि डसॉल्ट ने खुद रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था. दरअसल, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक फ़्रेंच अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि रिलायंस का नाम खुद भारत सरकार ने सुझाया था. उनके इस बयान से विपक्ष के आरोपों को बल मिला और विपक्ष सरकार पर हमलावर है. आइये आपको बताते हैं राफेल डील की शुरू से अब तक की पूरी कहानी.
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राफेल सौदे का ब्योरा देने से सरकार का इनकार, फिर क्यों 2016 में दी थी जानकारी
- Thursday February 8, 2018
राफेल समझौते को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल खड़े कर रही है. रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इस बारे में एक बयान भी जारी किया. हालांकि लोकसभा में राफेल सौदे की जानकारी को लेकर सरकार अपना रुख बदलती रही है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था.
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