Priyanka Gandhi On President Post
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क्या प्रियंका गांधी बनेंगी अध्यक्ष? जानिये कांग्रेस महासचिव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को क्या दिया जवाब...
- Wednesday July 24, 2019
- Reported by: सुनील प्रभु
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए माथापच्ची जारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका गांधी से कांग्रेस के सीनियर नेताओं द्वारा अध्यक्ष पद के बारे में पूछा गया था कि क्या वह पार्टी की बागडोर संभालना चाहेंगी? इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि इसका सवाल ही पैदा नहीं होता है. और इसे विकल्प भी न माना जाए. उन्होंने कहा कि वह पार्टी में महासचिव के पद पर आगे भी काम करती रहेंगी.
- ndtv.in
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राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?
- Tuesday May 28, 2019
- प्रियदर्शन
यह सच है कि 2014 और 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और BJP की ऐतिहासिक जीत के आईने में यह हार कुछ और बड़ी और दुखी करने वाली लगती है. लेकिन अतीत में देखें तो ऐसे इकतरफ़ा परिणाम और अनुमान कांग्रेस और BJP दोनों के हक़ में आते रहे हैं और दोनों को हंसाते-रुलाते रहे हैं. 1984 में जब राजीव गांधी को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं और अटल-आडवाणी को महज 2, तब भी कुछ लोगों को लगा था कि अब तो BJP का सफ़ाया हो गया. लेकिन 1989 आते-आते BJP वीपी सिंह की सत्ता का एक पाया बनी हुई थी.
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क्या प्रियंका गांधी बनेंगी अध्यक्ष? जानिये कांग्रेस महासचिव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को क्या दिया जवाब...
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कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए माथापच्ची जारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका गांधी से कांग्रेस के सीनियर नेताओं द्वारा अध्यक्ष पद के बारे में पूछा गया था कि क्या वह पार्टी की बागडोर संभालना चाहेंगी? इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि इसका सवाल ही पैदा नहीं होता है. और इसे विकल्प भी न माना जाए. उन्होंने कहा कि वह पार्टी में महासचिव के पद पर आगे भी काम करती रहेंगी.
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राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?
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यह सच है कि 2014 और 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और BJP की ऐतिहासिक जीत के आईने में यह हार कुछ और बड़ी और दुखी करने वाली लगती है. लेकिन अतीत में देखें तो ऐसे इकतरफ़ा परिणाम और अनुमान कांग्रेस और BJP दोनों के हक़ में आते रहे हैं और दोनों को हंसाते-रुलाते रहे हैं. 1984 में जब राजीव गांधी को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं और अटल-आडवाणी को महज 2, तब भी कुछ लोगों को लगा था कि अब तो BJP का सफ़ाया हो गया. लेकिन 1989 आते-आते BJP वीपी सिंह की सत्ता का एक पाया बनी हुई थी.
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