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हमारी व्यवस्था इस गटर से बाहर कब निकलेगी?
- Friday June 28, 2019
- रवीश कुमार
न्यूज़ देखना अब टिक टॉक देखने जैसा हो गया है. पूरा समाज और सिस्टम अपना केरिकेचर बन गए हैं. यानी ख़ुद का मज़ाक बन गए हैं. उन्नाव में जेल में पार्टी हो रही है तो लुधियाना की जेल में गोली चल रही है. सीआरपीएफ बुलानी पड़ती है. एक बंदा आता है जो रिवाल्वर ताने दिखता है, लेकिन उसे शायरी भी आती है. वो शायरी भी सुनाता है. व्हाट्सएप शायरी जिसके झांसे में बड़े बड़े लोग आ जाते हैं. सब कुछ का वीडियो मिल जाता है. तुरंत का नहीं मिलता है तो एक महीने बाद मिल जाता है. जैसे ही ये सब गुज़रता है योग की खूबियों पर प्रधानमंत्री का भाषण आ जाता है. जैसे लगता है कि अब सब ठीक हो जाएगा.
- ndtv.in
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हमारी व्यवस्था इस गटर से बाहर कब निकलेगी?
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न्यूज़ देखना अब टिक टॉक देखने जैसा हो गया है. पूरा समाज और सिस्टम अपना केरिकेचर बन गए हैं. यानी ख़ुद का मज़ाक बन गए हैं. उन्नाव में जेल में पार्टी हो रही है तो लुधियाना की जेल में गोली चल रही है. सीआरपीएफ बुलानी पड़ती है. एक बंदा आता है जो रिवाल्वर ताने दिखता है, लेकिन उसे शायरी भी आती है. वो शायरी भी सुनाता है. व्हाट्सएप शायरी जिसके झांसे में बड़े बड़े लोग आ जाते हैं. सब कुछ का वीडियो मिल जाता है. तुरंत का नहीं मिलता है तो एक महीने बाद मिल जाता है. जैसे ही ये सब गुज़रता है योग की खूबियों पर प्रधानमंत्री का भाषण आ जाता है. जैसे लगता है कि अब सब ठीक हो जाएगा.
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