'Kranti sambhav'

- 88 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | क्रांति संभव |सोमवार फ़रवरी 6, 2017 01:02 AM IST
    बहुत दिनों के बाद ब्लॉग लिखना पड़ रहा है, क्योंकि ख़बर ही ऐसी आई है. आभास तो तब ही से लग रहा था कि जब मैंने एक टैलेंट शो देखा था. जिसमें बहुत से बच्चे गा रहे थे. जज सुन रहे थे और हर गाने के बाद तारीफ़ों के पुल बांध रहे थे. विशेषणों की बरसात की जा रही थी. ‘माइंडब्लोइंग’ 'सुपर्ब’ ‘बेस्ट’ ‘ऑसम’ 'अनबिलीवबल' वगैरह वगैरह. हर बच्चे को सदी का गायक बताया जा रहा था, मानवता पर आशीर्वाद. पर बावजूद इन विशेषणों के, बच्चे छांटे जा रहे थे.
  • Blogs | क्रांति संभव |शनिवार दिसम्बर 3, 2016 12:01 PM IST
    धकना दरअसल एक व्यसन है, इसका असल मज़ा झुंड में ही है, चुनौती सिर्फ़ ये है कि इसकी शेल्फ़ लाइफ़ बहुत छोटी होती है. सिर्फ़ टाइमलाइन जितनी लंबी. ट्रेंडिंग लिस्ट जितनी बड़ी. तो ऐसे मे ज़रूरी है कि नए-नए धिक्कार-योग्य व्यवहार, शर्मनाक बयान, ओछे भाषण और टुच्चे ट्वीट की सप्लाई होती रहे.
  • Blogs | क्रांति संभव |सोमवार नवम्बर 21, 2016 02:46 PM IST
    मैं आज यह ब्लॉग इसलिए नहीं लिख रहा क्योंकि कानपुर में सवा सौ लोग ट्रेन हादसे में मर गए हैं. वो एक दुर्घटना थी, भयावह दुर्घटना थी. इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि हमारी सरकारों के सरोकार ऐसी ही दुर्घटनाओं के बीच दिखाई देते हैं, जो अब तक तो दिखाई नहीं दिया है. सड़क पर मरने वालों का कुछ हुआ नहीं, ट्रैक पर मरने वालों की हालत बेहतर होगी लगता नहीं है. नजदीकी भविष्य में सरोकार बदलेंगे लगता नहीं है, क्योंकि मरने वाले लोग आम आदमी हैं.
  • Blogs | क्रांति संभव |शनिवार नवम्बर 19, 2016 03:30 PM IST
    इस समाज का आचार-सदाचार ही पचरंगा अचार है, स्वाद बदलने के लिए इस्तेमाल होता है. मेन कोर्स मेन्यू तो भ्रष्टाचार ही है. स्वीकार्य है, स्वादिष्ट है और सामिष-निरामिषों में समान रूप से मान्य है.
  • Blogs | क्रांति संभव |गुरुवार नवम्बर 17, 2016 12:43 AM IST
    सबकी आंख पनियाई हुई है. सब ढों-ढों करके खांस रहे हैं. तीन-चार निपट लिए हैं, फर्श पर लोट रहे हैं. महिलाएं साड़ी से मुंह ढंक कर आंख मूंद कर बैठ गई हैं. पुरुषों के पास नाक ढंकने के लिए रुमाल नहीं और धोती भी छोटी पड़ रही है महराज.
  • Blogs | क्रांति संभव |रविवार अक्टूबर 30, 2016 07:13 PM IST
    मैं हद से ज़्यादा प्रेम में पड़ा हुआ था और रामकटोरी को मेरी भावनाओं की कोई क़द्र नहीं थी. पहली नज़र में होने वाले प्यार पर शक़ होना वाजिब है, लेकिन रामकटोरी के लिए जिस तरह से प्रेम ग्राफ़ मेरा चढ़ा था, वह बहुत ही संतुलित तरीक़े से परवान पर पहुंचा था. पर पता नहीं क्यों रामकटोरी ने कई बार मुझे धोखा दिया था.
  • Business | क्रांति संभव |शनिवार अक्टूबर 29, 2016 11:38 PM IST
    पिकअप गाड़ियां या ट्रक भारत में बहुत कॉमन तो नहीं हैं, लेकिन बहुत कॉमन भी नहीं होतीं. सामान ढोने वाले डेक वाला हिस्सा सीमेंट या बोरी से भरा तो आमतौर पर दिखता है लेकिन उनमें पिकनिक का सामान, कोई एटीवी या सुपरबाइक नहीं दिखती.
  • Business | Reported by: क्रांति संभव, Edited by: संदीप कुमार |गुरुवार अक्टूबर 27, 2016 12:02 AM IST
    होंडा ने भारत में अपनी नई अकॉर्ड लॉन्‍च कर दी है. कार नई है, डिज़ाइन नया है, लुक भी नया है. और सबसे ख़ास बात कि ये अकॉर्ड का हाइब्रिड अवतार है. कंपनी ने भारत में पहली बार अकॉर्ड के छठे जेनरेशन को उतारा था
  • Blogs | क्रांति संभव |मंगलवार अक्टूबर 25, 2016 09:35 AM IST
    आखिर वह कौन सा साल था जब से स्कूलों में सेकेंड नेम फर्स्ट हो गया? और यह तय किसने किया? परिवारों ने या नेताओं ने? ये फ्लोचार्ट किसने तय किया कि आरक्षण के समर्थन और विरोध में पहले छात्रों को भिड़ाया जाएगा, फिर दो दशक के बाद अगड़ों को आरक्षण देने की मुहिम चलाई जाएगी? जाति व्यवस्था को मिटाने के नाम पर जातियों की आइडेंटिटी को इतना गाढ़ा कर दिया जाएगा कि हम एक दूसरे को जाति से ही पहचानेंगे?
  • Blogs | क्रांति संभव |रविवार अक्टूबर 23, 2016 11:26 PM IST
    अपने पिछले ब्लॉग में मैंने एक बात अधूरी छोड़ दी थी. वो थी साहस की. मैंने लिखा था कि कला में साहस की ज़रूरत होती है, पर बॉलीवुड तो एक इंडस्ट्री है. वो एक अधूरी बात थी. साहस की ज़रूरत इंडस्ट्री में भी होती है, जो उत्कृष्ट करना चाहते हैं, अपनी सीमाओं का विस्तार करना चाहते हैं, वो इंडस्ट्री जो क्रिएटिव होना चाहती है. पर बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है जो सिर्फ़ सफल होना चाहती है, और सफलता के साथ एक समस्या है.
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