K K Muhammed
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आज मैं 'दोषमुक्त' महसूस कर रहा हूं, बिलकुल वही फैसला है जैसा सब लोग चाहते थे : केके मोहम्मद
- Saturday November 9, 2019
- Reported by: ANI, Edited by: मानस मिश्रा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व निदेशक केके मोहम्मद ने कहा है कि एएसआई की ओर से दिए गए सबूतों के आधार पर ही कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यहां पर एक भव्य मंदिर था. उन्होंने कहा कि यहां पर एक बार फिर से मंदिर ही बनाना चाहिए. आपको बता दें कि केके मोहम्मद हमेशा से ही विवादित स्थल पर मंदिर होने का दावा करते हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि आज वह खुद को 'दोषमुक्त' महसूस कह रहे हैं क्योंकि मंदिर की बात करने पर उनको कुछ समूहों की ओर धमकी दी गई थी.
- ndtv.in
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केके मोहम्मद ने मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए किया सराहनीय काम, मिला पद्मश्री
- Sunday January 27, 2019
- Reported by: रवीश रंजन शुक्ला
केके मोहम्मद बताते हैं कि नब्बे के दशक में जब पहली बार वो बटेश्वरा मंदिर पहुंचे तो मंदिर के बचे अवशेष पर लंबी मूंछ और हाथ में बंदूक लिए एक शख्श मिला. उसे जब पता चला कि वो इन मंदिरों का जीर्णोद्वार करने आए तो खुश हुआ. बाद में लोगों ने बताया कि ये दुर्दांत डाकू निर्भय गुज्जर था. डाकुओं और खनन माफियाओं के चलते मंदिर के जीर्णोद्वार का काम कोई करने को तैयार न था लेकिन केके मोहम्मद को अकेले काम करता देख लोगों का हौसला बढ़ा फिर इसका काम शुरू हुआ.
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आज मैं 'दोषमुक्त' महसूस कर रहा हूं, बिलकुल वही फैसला है जैसा सब लोग चाहते थे : केके मोहम्मद
- Saturday November 9, 2019
- Reported by: ANI, Edited by: मानस मिश्रा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व निदेशक केके मोहम्मद ने कहा है कि एएसआई की ओर से दिए गए सबूतों के आधार पर ही कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यहां पर एक भव्य मंदिर था. उन्होंने कहा कि यहां पर एक बार फिर से मंदिर ही बनाना चाहिए. आपको बता दें कि केके मोहम्मद हमेशा से ही विवादित स्थल पर मंदिर होने का दावा करते हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि आज वह खुद को 'दोषमुक्त' महसूस कह रहे हैं क्योंकि मंदिर की बात करने पर उनको कुछ समूहों की ओर धमकी दी गई थी.
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केके मोहम्मद ने मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए किया सराहनीय काम, मिला पद्मश्री
- Sunday January 27, 2019
- Reported by: रवीश रंजन शुक्ला
केके मोहम्मद बताते हैं कि नब्बे के दशक में जब पहली बार वो बटेश्वरा मंदिर पहुंचे तो मंदिर के बचे अवशेष पर लंबी मूंछ और हाथ में बंदूक लिए एक शख्श मिला. उसे जब पता चला कि वो इन मंदिरों का जीर्णोद्वार करने आए तो खुश हुआ. बाद में लोगों ने बताया कि ये दुर्दांत डाकू निर्भय गुज्जर था. डाकुओं और खनन माफियाओं के चलते मंदिर के जीर्णोद्वार का काम कोई करने को तैयार न था लेकिन केके मोहम्मद को अकेले काम करता देख लोगों का हौसला बढ़ा फिर इसका काम शुरू हुआ.
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