Zara Hatke | Written by: मोहित चतुर्वेदी |बुधवार अप्रैल 28, 2021 10:24 AM IST “मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं,'' ऐसा कह कर कोरोना पीडित
नारायण भाऊराव दाभाडकर ने अपना बेड दूसरे मरीज़ को दे दिया.