#SalutingTheCovidHeroes टाउनहॉल: कोरोना से जंग में भूमिका निभाने वाले वॉरियर्स को सलाम
#SalutingTheCovidHeroes के नाम से एक स्पेशल टाउनहॉल का आयोजन किया गया, जिसमें कोरोना के साथ जंग में साधारण लोगों के असाधारण योगदान को सलाम किया गया.
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डेटॉल इंडिया 'बनेगा स्वस्थ इंडिया' अभियान के एम्बैस्डर अमिताभ बच्चन भी इस टाउनहॉल का हिस्सा बने. बीते साल वे भी कोरोना से संक्रमित हुए थे और उन्होंने अपने इस बुरे अनुभव को इस दौरान साझा भी किया. उन्होंने चिकित्सा कर्मचारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लढ़ाई की रीढ़ करार दिया.
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Reckitt के सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन भी टाउनहॉल में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हम उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान अपने समुदाय के लिए कुछ उल्लेखनीय काम किया है. नरसिम्हन ने उन कामों का जिक्र किया जो उनकी कंपनी दुनिया भर में सरकारों के साथ साझेदारी में कर रही है ताकि लोगों को सेफ रखा जा सके.
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Reckitt के साउथ एशिया के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट गौरव जैन भी इस टाउनहॉल का हिस्सा बने. उन्होंने बताया कि किस तरह डेटोल कोरोना में लोगों को जागरूक करने में काम करता आया है. उन्होंने कहा कि हमारा अभियान कोरोना के बारे में लोगों को शिक्षा करने, हाथ धोने, मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने का संदेश फैलाने से लेकर अब उदासी और कयामत के समय में उम्मीद का अगुआ बन रहा है.
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एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने टाउनहॉल में कहा कि पिछले डेढ़ साल का वक्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक कठिन समय रहा है जो दिन-रात काम कर रहे हैं. उन्होंने साबित कर दिया है कि दवा एक विज्ञान के साथ कला है, जिसमें रोगियों के प्रति सहानुभूति ऐसे समय में समान रूप से महत्वपूर्ण है.
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डॉ. हरमनदीप सिंह बोपाराय उन कोरोना वॉरियर्स में से एक हैं, जो अमेरिका से इंडिया लोगों की मदद करने के लिए आए थे. वहीं मुंबई के एक डॉक्टर डॉ मार्कस रैने ने अपनी पत्नी डॉ रैना रैने के साथ 'मेड्स फॉर मोर' की शुरुआत की. इस मुहिम में उन्होंने कोरोना के ऐसे मरीजों से संपर्क किया, जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं, और उनके पास कोरोना में चलने वाली दवाईयां बच गई हो.
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नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा, 'हमने कोरोना की दूसरी लहर से सबक सीखा है कि इस महामारी से न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के लोगों और बड़े पैमाने पर समाज को संक्रमित होने से बचाने के लिए, मास्क लगाना, दूरी बनाए रखना, यह हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.
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अपोलो हॉस्पिटल्स की ज्वाइंट एमडी संगीता रेड्डी ने कहा कि तीसरी लहर को इसके कुछ कारकों के आधार पर कम किया जा सकता है, जैसे कि टीकाकरण कराने वाले लोगों की संख्या, कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करने के बारे में प्रभावी ढंग से संवाद करने की क्षमता, वायरस पर नज़र रखने के विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करना.
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बाल और किशोर मनोचिकित्सक और चिल्ड्रन फर्स्ट के निदेशक व सह-संस्थापक डॉ अमित सेन ने कहा कि बच्चों और किशोरों पर कोरोना का असर महीनों, सालों और यहां तक कि पीढ़ियों तक रहेगा. डॉ सेन ने कहा कि वायरस के अलावा लॉकडाउन ने युवा वयस्कों के जीवन को अभूतपूर्व तरीके से बाधित कर दिया है.