बहुत देर होने से पहले पृथ्वी को बचाने का आह्वान करने वाली 14 वर्षीय क्लाइमेट वॉरियर से मिलें
रिधिमा पांडे एक किशोर क्लाइमेट वॉरियर हैं जो एक उज्जवल भविष्य के लिए छोटे कदम उठाने में विश्वास करती हैं. उन्होंने जलवायु के मुद्दों पर देश में कई केस लड़े हैं और इन मुद्दों पर यूएन को भी संबोधित किया है.
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युवा एक्टिविस्ट रिधिमा पांडे मुश्किल से 5 साल की थीं, जब उन्होंने 2013 में उत्तराखंड बाढ़ के विनाशकारी दृश्य देखे. टेलीविजन पर उन्होंने घरों को बहते हुए देखा और लोगों को रोते हुए देखा क्योंकि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था. उन्हें मदद की ज़रूरत थी. छोटी लड़की का एक आसान सा सवाल था, 'क्या हो रहा है?' और तभी उन्हें पर्यावरण के बारे में पहला लेसन अपनी मां से सीखने को मिला.
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तब से रिधिमा को बाढ़, बादल फटने, अपने घर और माता-पिता को भारी बारिश में खोने और अंततः बाढ़ के कारण मरने के बुरे सपने आने लगे. रात में एक तेज़ गड़गड़ाहट उसे चिंतित कर देती थी. युवा लड़की इस निरंतर भय में नहीं रहना चाहती थी, इसलिए उसने अपने माता-पिता को अप्रोच किया, जिन्होंने उसे ग्लोबल वार्मिंग की अवधारणा से परिचित कराया था और बताया था कि कैसे अचानक बाढ़ आती है.
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जब वह सिर्फ 9 साल की थी, तब रिद्धिमा ने जलवायु परिवर्तन को कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक याचिका दायर की थी. याचिका में एनजीटी से सरकार को देश में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी, विज्ञान आधारित कार्रवाई करने का आदेश देने का आग्रह किया.
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साल 2019 में 11 वर्षीय रिधिमा ने दुनिया भर के 12 देशों के ग्रेटा थुनबर्ग सहित 15 अन्य युवा क्लाइमेट वॉरियर के साथ, जलवायु संकट पर सरकारी कार्रवाई की कमी का विरोध करने के लिए बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति को एक ऐतिहासिक आधिकारिक शिकायत प्रस्तुत की.